Rajasthan Politcs: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की बुधवार को जोधपुर में RSS प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात हुई. दोनों के बीच सुबह करीब 20 मिनट तक बातचीत हुई. इस मुलाकात के बाद सियासी अटकलों का बाजार गर्म हो गया है. मुलाकात क्यों हुई और दोनों के बीच क्या बातचीत हुई, अभी तक इसकी जानकारी अभी तक बाहर नहीं आई है. लेकिन इस मीटिंग के बाद राजस्थान से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में नए कयास लगाए जा रहे हैं.
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क्यों है यह मुलाकात इतनी अहम?
इस बैठक को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि हाल ही में वसुंधरा राजे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी. इन मुलाकातों के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि राजे को भारतीय जनता पार्टी (BJP) में कोई बड़ा पद मिल सकता है. कुछ सूत्रों का दावा है कि उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है. अगर ऐसा होता है तो वह पार्टी के इतिहास में इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला होंगी.
जोधपुर में RSS की समन्वय बैठक
मोहन भागवत जोधपुर में 5 से 7 सितंबर तक चलने वाली RSS की अखिल भारतीय समन्वय बैठक में भाग लेने आए हैं. इस बैठक में RSS से जुड़े 32 संगठनों के शीर्ष नेता और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हो रहे हैं. इस बैठक में वसुंधरा राजे भी हिस्सा ले रही हैं.
'वनवास' बयान और सियासी संकेत
हाल ही में धौलपुर में वसुंधरा राजे ने 'वनवास' को लेकर एक बयान दिया था, जिसने काफी सुर्खियां बटोरी थीं. उन्होंने कहा था, "वनवास हर किसी के जीवन में आता है, लेकिन यह स्थायी नहीं होता. धैर्य रखना चाहिए."
अब मोहन भागवत और पार्टी के शीर्ष नेताओं से उनकी मुलाकात के बाद उनके इस बयान को उनकी राजनीतिक सक्रियता और संभावित वापसी का संकेत माना जा रहा है.
BJP राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में
सूत्रों के मुताबिक, RSS वसुंधरा राजे को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के पक्ष में है. संघ के कुछ पूर्व नेताओं का मानना है कि राजे की संगठनात्मक क्षमता और संघ के प्रति उनकी निष्ठा पार्टी को मजबूत कर सकती है. हालांकि, इस पद के लिए शिवराज सिंह चौहान का नाम भी चर्चा में है, जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह का समर्थन मिलने की बात कही जा रही है.
क्या बदलेगा राजस्थान का सियासी समीकरण?
2023 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद की प्रबल दावेदार होने के बावजूद पार्टी ने भजनलाल शर्मा को चुना था, जिसके बाद राजे और पार्टी आलाकमान के बीच संबंधों पर सवाल उठे थे. अब इन मुलाकातों के बाद राजस्थान की राजनीति में एक नई हलचल देखने को मिल सकती है.
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