सलूंबर विधायक अमृत लाल मीणा के निधन पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उनके घर पहुंचकर दुख जताया. उन्होंने कहा है कि आदिवासियों की आवाज उठाने वाले और उनके उत्थान के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले एक लोकप्रिय नेता के निधन से भाजपा को बड़ी क्षति हुई है. उदयपुर में कार्यक्रम के दौरान उन्होंने एक जैन संत के चार्तुमास पर आयोजित कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया. शिष्टाचार-लोकाचार को लेकर बात रखते हुए पूर्व सीएम ने कहा कि जैन धर्म का मूल सिद्धांत है हिंसा रहित जीवन, लेकिन हिंसा की परिभाषा सिर्फ हथियार से हिंसा करना या किसी को मारना-पीटना ही नहीं. किसी का दिल दुखाना, किसी का दिल तोड़ना और किसी की आत्मा को सताना भी है.
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उन्होंने ये भी कहा "राजनीति में सबसे बड़ी धन दौलत जनता का प्यार है, जो उन्हें निरंतर मिल रहा है. वे ऋषभदेव मंदिर में जैन संत आचार्य पुलक सागरजी महाराज के ज्ञान गंगा महोत्सव में बोल रही थी."
पूर्व सीएम ने कहा कि जैन धर्म का सिद्धांत 'जियो और जीने दो' है, लेकिन कई लोगों ने इसे उलट दिया है. जियो और जीने मत दो यानी खुद तो जीओ, लेकिन दूसरों को जीने मत दो. ऐसा करने वाले वाले भले ही थोड़े समय खुश हो जाए, पर वे हमेशा सुखी नहीं रह सकते. क्योंकि जैसा बोओगे-वैसा काटोगे.
"काश ऐसी बारिश आए, जिसमें अहम डूब जाए"- राजे
राजे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच को आगे बढ़ाते हुए सभी लोग भारत के विकास में अपना योगदान दें. उन्होंने दो पंक्तियां भी सुनाई कि काश ऐसी बारिश आए, जिसमें अहम डूब जाए और मतभेद के किले ढह जाएं. घमंड चूर-चूर हो जाए, गुस्से के पहाड़ पिघल जाए, नफरत हमेशा के लिए दफ़न हो जाये और सब के सब,मैं से हम हो जाएं. इस दौरान पूर्व मंत्री व विधायक कालीचरण सराफ, बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी, विधायक भैराराम सिओल, विधायक ताराचंद जैन, महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुमन शर्मा, पूर्व विधायक अमृता मेघवाल, नानाराम अहारी, उदयपुर बीजेपी देहात जिला अध्यक्ष चंद्रगुप्त सिंह आदि मौजूद रहे.
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