Jagdeep Dhankhar Biography: देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार देर शाम स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा (Jagdeep Dhankhar Resign) दे दिया है. जगदीप का जन्म राजस्थान के एक छोटे से गांव में हुआ है. उन्होंने ऐसे समय में इस्तीफा दिया है जब संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ है. चलिए जानते हैं राजस्थान के एक छोटे से गांव से निकलकर उपराष्ट्रपति तक का सफर तय करने वाले जगदीप धनखड़ के बचपन से लेकर कानूनी और राजनीतिक करियर तक की पूरी कहानी.
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गांव से शुरू हुआ सफर, 1979 में हुआ विवाह
जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनूं जिले के गांव किठाना (Jagdeep Dhankhar Village) में हुआ था. उनके पिता का नाम गोपाल चंद और माता का नाम केसरी देवी था. बचपन से ही पढ़ाई में रुचि रखने वाले धनखड़ का जीवन पूरी तरह साधारण ग्रामीण परिवेश में बीता. उनका विवाह 1979 में डॉ. सुदेश धनखड़ (Jagdeep Dhankhar Wife) से हुआ. उनकी एक लड़की (Jagdeep Dhankhar Daughter) है, जिनका नाम कामना है.
सरकारी स्कूल से हुई प्रारंभिक शिक्षा
धनखड़ ने कक्षा 1 से 5 तक की प्रारंभिक शिक्षा गांव किठाना के सरकारी प्राथमिक विद्यालय से प्राप्त की. इसके बाद कक्षा 6 में उन्होंने 4 से 5 किलोमीटर दूर स्थित घाढ़ाना गांव के सरकारी मिडिल स्कूल में दाखिला लिया. इस दौरान वे हर सिन पैदल चलकर स्कूल जाते थे.
सैनिक स्कूल में मिला स्कॉलरशिप पर दाखिला
जानकारी के मुताबिक, साल 1962 में चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में एडमिशन लिया. इस दौरान उन्होंने फुल मेरिट स्कॉलरशिप पर एडमिशन मिला . यहां से उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी द्वारा मान्यता प्राप्त इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट का एग्जाम पास किया.
सैनिक स्कूल के बाद उन्होंने जयपुर के महाराजा कॉलेज से फिजिक्स में बीएससी ऑनर्स में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने 1978 से 79 के बीच राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की.
ऐसे हुई कानूनी करियर की शुरुआत
जगदीप धनखड़ ने 10 नवंबर 1979 को राजस्थान बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में रजिस्ट्रेशन कराया था. 27 मार्च 1990 को उन्हें राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता (Senior Advocate) के रूप में नामित किया गया. इसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट सहित देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में सक्रिय रूप से वकालत करने लगे.
वर्ष 1990 से उन्होंने मुख्य रूप से सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस की. उनकी विशेषज्ञता स्टील, कोयला, खनन और अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता जैसे मामलों में रही. उन्होंने 30 जुलाई 2019 को राज्यपाल पद की शपथ ली थी.
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