रविंद्र भाटी ने भाषण में जिस 80 साल के बुजुर्ग का किया जिक्र उनका वीडियो आया सामने, देखिए क्या बोले?

Ranvidra bhati: बीजेपी (bjp) ज्वॉइन करने के सप्ताहभर भीतर के ही रविंद्र सिंह भाटी (Ravindra Bhati) ने शिव विधानसभा से निर्दलीय नामांकन भर दिया है. पार्टी से टिकट नहीं मिलने के बाद बागी हुए भाटी ने नामांकन रैली में जोरदार भाषण दिया. इस दौरान उन्होंने कहा “अगर मैं ठहर गया तो क्या जवाब दूंगा भांडासर […]

युवा नेता रविंद्र सिंह भाटी के BJP ज्वाइन करने के बाद इस विधानसभा से टिकट मिलने की चर्चा

युवा नेता रविंद्र सिंह भाटी के BJP ज्वाइन करने के बाद इस विधानसभा से टिकट मिलने की चर्चा

राजस्थान तक

• 07:19 AM • 08 Nov 2023

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Ranvidra bhati: बीजेपी (bjp) ज्वॉइन करने के सप्ताहभर भीतर के ही रविंद्र सिंह भाटी (Ravindra Bhati) ने शिव विधानसभा से निर्दलीय नामांकन भर दिया है. पार्टी से टिकट नहीं मिलने के बाद बागी हुए भाटी ने नामांकन रैली में जोरदार भाषण दिया. इस दौरान उन्होंने कहा “अगर मैं ठहर गया तो क्या जवाब दूंगा भांडासर के उन 80 साल के लंगे खानजी को, जिनसे पानी का वादा करके आया था? क्या जवाब दूंगा डगारी गांव के उस बुजुर्ग को जिन्होनें मुझे माला पहनाते हुए कहा था कि तुमने पोस्टर पर मेरे गांव का नाम लिखा?” अब भाटी का वह वी़डियो भी सामने आ गया है, जिसमें वह लंगे खान से बात करते नजर आ रहे हैे. जिसमें भाटी ने बुजुर्ग से आर्शीवाद भी मांगा. भाटी ने कहा कि पानी मैं लेकर आऊंगा, आप आर्शीवाद रखना. जिसके बाद बुजुर्ग ने उन्हें आशीर्वाद दिया.

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यहां देखे वीडियो

कौन हैं रविंद्र सिंह भाटी?

रविंद्र सिंह भाटी बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा क्षेत्र में स्थित दुधोड़ा गांव के रहने वाले हैं. पिछले एक साल से भाटी इसी सीट से अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने में जुट थे. गत वर्ष रन फॉर रेगिस्तान नाम का मैराथन निकालकर भाटी ने हजारों की संख्या में युवाओं को इकठ्ठा कर शक्ति प्रदर्शन किया था. भाटी मारवाड़ की सबसे बड़े जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके हैं.

रविंद्र को वो भाषण जो जिसकी हो रही चर्चा

जेएनवीयू में भी निर्दलीय चुनाव लड़े थे भाटी

रविंद्र सिंह भाटी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 2019 में जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में छात्र संघ अध्यक्ष के चुनाव में जीत हासिल कर की थी. दिलचस्प बात यह है कि उस दौरान भी उन्हें ABVP से टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता भी. गौरतलब है कि वह यूनिवर्सिटी में साल 2016 से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे. जब 3 साल बाद चुनाव में उन्होंने दावेदारी जाहिर की तो लेकिन उन्हें ABVP के टिकट नहीं मिला, जिसके कारण इन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का सोचा. निर्दलीय चुनाव लड़ने के बावजूद इन्होंने 1294 वोट से भारी जीत हासिल करके एक रिकॉर्ड बना डाला.

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