राजनीति संभावनाओं का खेल है, यहां कब क्या हो जाए, किसी को नहीं पता. बीते कुछ वक्त से पायलट के राजनीतिक भविष्य को लेकर तरह-तरह की बातें की जा रही हैं. सियासी गलियारों में इस बात की सबसे अधिक चर्चा है कि सचिन पायलट की डिमांड अगर पूरी नहीं हुई तो अलग पार्टी बना सकते हैं. हालांकि, पायलट जिस तरह की रणनीति अपना रहे हैं, उससे ऐसा कम ही लग रहा है. पायलट ने गहलोत सरकार को 31 मई तक का अल्टीमेटम दे रखा है. हालांकि पायलट ने ये भी साफ कर दिया है कि वो कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे और पार्टी में रहकर ही लड़ाई लड़ेंगे. यानी पायलट का प्लान-B तब शुरू होगा, जब हाईकमान कोई कार्रवाई करे. ऐसे में पायलट गुट को राजस्थान में भावनात्मक तौर पर फायदा मिल सकता है. राजस्थान को लेकर बड़ा सवाल यही है कि सचिन पायलट अगर अलग रास्ते पर जाते हैं, तो क्या होगा?
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