KAUN JEETEGA RAJASTHAN 2023: शेखावाटी में किसकी रहेगी बादशाहत और किसकी डूबेगी नैया?

KAUN JEETEGA RAJASTHAN 2023: Whose kingdom will remain in Shekhawati and whose boat will sink?

राजस्थान तक

• 02:16 PM • 16 Aug 2023

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राजस्थान सहित पूरे देश में चूरू जिला सर्दियों में सबसे ठंडा और गर्मियों में सबसे गर्म वातावरण के लिए जाना जाता है। चूरु जिला कृषि प्रधान जिला है । यहा के लोग ज्यादातार कृषि पर निर्भर है।चुरू जिले में विधानसभा की सभी सीटों पर निर्णय ग्रामीण क्षेत्रों का होता है जिस तरफ ग्रामीणो का रुझान होता है वही उम्मीदवार और वही पार्टी यहां से जीत हासिल करती है। चूरु जिले में चूरु, सरदारशहर और रतनगढ़ को छोड़ दे तो लगातार किसी पार्टी ने जीत दर्ज नही की। रतनगढ़ और चूरु विधानसभा में भाजपा तो सरदारशहर में कांग्रेस का दबदबा वर्षो से बरकरार रहा है।वर्तमान में चूरू जिले की छह सीटों पर 2 पर बीजेपी और 4 सीटों पर कांग्रेस के विधायको ने जीत दर्ज कर रखी है, जिनमे चूरु, रतनगढ़ बीजेपी और अन्य चार सरदारशहर, तारानगर, सुजानगढ़, सादुलपुर पर कांग्रेस के उम्मीदवार विजयी रहे। चूरु विधानसभा की बात करे तो यहा से भाजपा से राजेंद्र राठौड़ 6 बार विधायक रहे है, एक बार कांग्रेस के मकबूल मंडेलिया विजयी रहे रहे है। यही कारण है की कांग्रेस चूरु से ज्यादा कुछ कर नही पाई। राजेंद्र राठौड़ जो नेता प्रतिपक्ष के साथ इनका राजनीतिक जीवन काफी लंबा और अनुभव होने के कारण इन्होंने चूरू में काफी विकास तो करवाये ही हैं साथ ही इनकी पेठ है वह आमजन के अंदर तक होने के कारण राजनीति के ताकतवर उम्मीदवार हैं।वही नगर परिषद से सभापति जरूर कांग्रेस की काबिज है। रतनगढ़ में भी कुछ ऐसा ही है यह भी भारतीय जनता पार्टी का हमेशा से गढ़ रहा है बीच में एक बार राजकुमार रिणवा निर्दलीय जीते, लेकिन जीत के बाद में भी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए, उसके बाद तीन बार लगाता जीतने के बाद राजकुमार रिणवा का टिकट काट कांग्रेस से खड़े होने वाले अभिनेष महर्षि को टिकट दिया, जबकि राजकुमार रिणवा निर्दलीय खड़े हुए, महर्षि जिन्होंने आश्चर्यचकित करते हुए सभी को हरा फिर एक बार भारतीय जनता पार्टी की सीट निकाली। चुरू जिले के सुजानगढ़ सीट की खास बात है की यहां से खड़े विधायक उम्मीदवार लगातार दो बार नहीं जीत सका है यहां हमेशा एक बार कांग्रेसी और एक बार बीजेपी आती रही है। यहां से भंवर लाल मेघवाल के विधायक का विधायक के रुप में एक लंबा सफर रहा है और उन्हें हमेशा से दबंग विधायक माना गया, लेकिन सुजानगढ़ में ज्यादातर एक बार कांग्रेस तो एक बार भाजपा रही है। कांग्रेस के भंवर लाल मेघवाल के देहांत के बाद यहां से उनके पुत्र मनोज मेघवाल उपचुनाव में बड़ी जीत दर्ज कर पाए, लेकिन जनता के बीच उन्होंने ज्यादा छाप नहीं छोड़ी, सबसे अहम मुद्दा सुजानगढ़ को जिला बनाने में वह असफल रहे, जिसका खामियाजा आने वाले समय में उनको उठाना पड़ सकता है। सादुलपुर विधानसभा में एक बार बसपा के मनोज न्यांगली को छोड़ दे तो हमेशा से ही जाट जाति के विद्यायक बने है। यहां जाट बाहुल्य होने के कारण हार जीत का फैसला भी इन्हीं के मतों से और इन्हीं के समर्थन से प्रभावित होता आया है। वर्तमान में कांग्रेस की कृष्णा पूनिया यहां से विधायक हैं जिन्होंने बसपा के मनोज न्यांगली को लगभग 16 हजार वोटों से हराया जबकि रामसिंह कस्वां भाजपा के तीसरे नंबर पर लुढ़क गये। तारानगर सीट हमेशा से कांग्रेस के कब्जे में रही यहां चंदनमल वैद्य जो कांग्रेस में वित्त मंत्री भी रहे उनके देहांत के बाद उनके पुत्र चंद्रशेखर वैद्य एक बार जरूर इस सीट पर जीत दर्ज कर पाए, लेकिन फिर चूरू विधानसभा छोड़ कर आए राजेंद्र राठौड़ ने उन्हें भारी मतों से हरा इस तारानगर सीट पर कब्जा कर लिया। उसके बाद यहा से जयनारायण पुनिया खड़े हुए जिन्होंने फिर एक बड़ी जीत दर्ज की, भाजपा का तारानगर विधानसभा पर लगातार दो बार कब्जा रहा। भाजपा के जयनारायण पूनिया के स्वर्गवास के बाद वर्तमान में नरेंद्र बुडानिया कांग्रेश से यहां विधायक हैं इन्होंने भाजपा के राकेश जांगिड़ को हराया, लेकिन इस समय यहां कांग्रेस के अंदर कलह के कारण उन्हें सीट मिलती है या नहीं यह भी देखने की बात है, क्योंकि कांग्रेस के कार्यकर्ता बाहरी और स्थानीय उम्मीदवार पर सहमत नही बना पा रहे वे यहां से स्थानीय उम्मीदवार की मांग कर रहे हैं। सरदारशहर विधानसभा में हमेशा से ही कांग्रेस का दबदबा रहा है, यहां पंडित भंवर लाल शर्मा एक लंबे राजनीतिक जीवन के बाद उनका देहांत हुआ उसके बाद उपचुनाव में उनके पुत्र अनिल शर्मा भारी मतों से विजई रहे लेकिन यहां उप चुनावों में एक खास बात देखने को मिली उप चुनाव में आरएलपी ने भी लगभग 45000 वोट लेकर सभी को अचंभित करते हुए अपनी छाप छोड़ी। सरदार शहर में कांग्रेस की ओर से कभी किसी ने पंडित भंवर लाल शर्मा के सामने टिकट नहीं मांगी लेकिन उनके देहांत के बाद अब काफी लोगों ने सरदारशहर विधानसभा के लिए टिकट की मांग की है वही उप चुनाव में जीते उनके पुत्र अनिल शर्मा ने अपने कार्यकाल में कुछ खास ना करने के कारण जो दबंग छवि पंडित भंवर लाल शर्मा की थी कहीं ना कहीं उसकी कमी दिखाई दी है। पंडित भंवर लाल शर्मा ने अंतिम चुनाव में भाजपा के अशोक पीचा को एक बड़े अंतर से हराया कुछ उपचुनाव में भी उनके पुत्र अनिल शर्मा ने भाजपा के अशोक पींचा को भारी मतों से जीत दर्ज कर अपनी वही छवि कायम रखी है।

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