दुनिया भर में विलुप्त हो रहा जलीय जीव घड़ियाल की आबादी राजस्थान और मध्य प्रदेश में बहने वालइ चंबल नदी में तेजी से बढ़ रही है. घड़ियाल सेंचुरी चंबल में मई-जून के महीने में घड़ियालों के बच्चे अंडों से निकलते हैं. ये नजारा बहुत अद्भुत होता है. मादा घड़ियाल अंडे देने के बाद उन्हें रेत में गाड़ देती हैं. फिर जैसे ही अंडे में बच्चे बड़े हो जाते हैं तो मदर कॉल करते हैं. उनकी आवाज सुनकर मादा घड़ियाल रेत हटाकर अंडों से बच्चों के बाहर निकलने में मदद करती है.
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राजस्थान (rajasthan news) और मध्य प्रदेश में बह रही चंबल नदी फिर दुनिया में विलुप्तप्राय जीव से गुलजार है. यहां घड़ियालों की आबादी तेजी से बढ़ रही है. घड़ियाल फरवरी महीने में मेटिंग करते हैं और मादा अप्रैल महीने में अंडे देती है. इन अंडों से मई के आखिरी और जून के पहले सप्ताह में बच्चे बाहर निकलते हैं.
मादा घड़ियाल (alligator Gharial Crocodile in chambal river) रेत में 30-40 सेमी का गड्ढा खोदकर इन अंडों को गाड़ देती हैं. जब बच्चे अंडों से निकलकर मदर कॉल करते हैं तब मादा घड़ियाल रेत हटाती है और बच्चे नदी में चले जाते हैं. अब सवाल ये उठता है कि मादा घड़ियाल अंडों को रेत में क्यों गाड़ती है? दरअसल इन अंडों को बचाना और अंडों से निकले बच्चों को बचाना भी बड़ी चुनौती होती है. कई बार कौवे और शिकारी पक्षियों के अलावा मगरमच्छ और दूसरे बड़े मांसाहारी जीव अंडों और बच्चों को चट कर जाते हैं.
देवरी घड़ियाल केंद्र में पाले जाते हैं घड़ियाल (alligator birth)
घड़ियालों का कुनबा बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश के देवरी घड़ियाल पालन केंद्र में दो सौ अंडो में से 181 बच्चे सुरक्षित निकल आये हैं. 19 अंडे अभी शेष बचे हुए हैं. देवरी घड़ियाल केंद्र पर 200 अंडे प्रति वर्ष चम्बल अभ्यारण की नेस्टिंग साइट से कलेक्ट करके लाए जाते हैं और कैप्टिविटी हैचरी में रखे जाते हैं.
ऐसे बड़े होते हैं घड़ियाल (alligator in chambal river)
यहां एक चैम्बर बना हुआ हैं जिसका तापमान 30 डिग्री से 35 डिग्री सेंटीग्रेट तक मेंटेन किया जाता हैं. यहां कृत्रिम हैचिंग कराकर अंडों से बच्चे निकलने के बाद पाला जाता है. जब ये 1.2 मीटर हो जाते हैं तो इन्हें नदी में छोड़ दिया जाता है. देवरी घड़ियाल केंद्र के ही बच्चे चम्बल नदी में सस्टेन कर पाते हैं. ध्यान देने वाली बात है कि घड़ियाल विलुत्प्राय जीवों की श्रेणी में है.
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