हरी-भरी पहाड़ियों से लेकर शांत द्वीपों तक, असम में घुमक्कड़ों के लिए हर तरह के विकल्प मौजूद हैं. अगर आप पहाड़ों की तलाश में हैं तो हाफलांग आपका स्वागत करता है. पूर्व का स्विट्जरलैंड कहे जाने वाले इस हिल स्टेशन में चाय के बागानों, झीलों और जंगलों का मनमोहक नजारा मिलेगा. आइए जानते हैं आप असम में किन-किन जगहों को अपने घूमने वाले लिस्ट में शामिल कर सकते हैं.
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हाफलांग
असम का स्विट्जरलैंड कहा जाने वाला हाफलांग असम का इकलौता हिल स्टेशन है. पहाड़ों से घिरा ये कस्बा सभी लोगों के लिए बेस्ट है. हाफलांग गुवाहटी से लगभग 300 और सिलचर से 100 किमी. की दूरी पर है. हाफलांग समुद्र तल से लगभग 680 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है. असम में घूमने के लिए इससे अच्छी जगह नहीं हो सकती. वैसे तो आप हाफलांग कभी भी जा सकते हैं लेकिन हाफलांग जाने के लिए सबसे बेस्ट टाइम नवंबर से फरवरी तक का माना जाता है.
माजुली द्वीप
असम की सांस्कृतिक विरासत को जानने के लिए माजुली द्वीप जाएं. विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप होने का गौरव प्राप्त यह द्वीप विभिन्न जनजातियों का घर है. माजुली द्वीप अपनी समृद्ध संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य और अद्वितीय जीवन शैली के लिए जाना जाता है. माजुली द्वीप प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है. यहां आपको हरे-भरे चाय के बागान, घने जंगल, शांत झीलें और ब्रह्मपुत्र नदी का मनमोहक दृश्य देखने को मिलेगा. माजुली द्वीप गुवाहाटी से नौका या फेरी से सबसे आसानी से पहुंचा जा सकता है. गुवाहाटी असम की राजधानी है और देश के अन्य प्रमुख शहरों से हवाई, रेल और सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है.
बराक वैली टी स्टेट
बराक वैली असम राज्य का एक क्षेत्र है जो अपनी चाय की बागानों, प्राकृतिक सौंदर्य और समृद्ध संस्कृति के लिए जाना जाता है. बराक वैली दक्षिणी असम में स्थित है. बराक वैली भारत के कुछ सबसे प्रसिद्ध चाय के बागानों का घर है. आप इन बागानों की सैर कर सकते हैं, चाय की पत्तियों को तोड़ सकते हैं और ताजी चाय का स्वाद चख सकते हैं.
कामाख्या मंदिर
कामाख्या मंदिर असम के गुवाहाटी शहर में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है. यह देवी कामाख्या को समर्पित है, जिन्हें तंत्र देवी के रूप में पूजा जाता है. यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, जो देवी सती के अंगों के पतन स्थल माने जाते हैं. कामाख्या मंदिर एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है और हर साल लाखों तीर्थयात्री यहां आते हैं. विशेष रूप से अंबुवासी मेला, जो हर साल जून या जुलाई में आयोजित किया जाता है, तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है.
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