दिल्ली के छतरपुर में स्थित आद्या कात्यायनी मंदिर में नवरात्र में यहां की रौनक और महत्ता दोनों बढ़ जाती है. ऐसी मान्यता है कि मंदिर में मांगी गई मनौती कभी व्यर्थ नहीं जाती है. आद्या कात्यायिनी मंदिर दिल्ली के सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में एक है. इस मंदिर में मां दुर्गा अपने छठे रूप माता कात्यायनी के रौद्र स्वरूप में दिखाई देती हैं.
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माँ के श्रृंगार के लिए दक्षिण भारत से आते हैं फूल
कात्यायनी की विशाल सोने की मूर्ति हमेशा चमचमाते कपड़ों चमकदार ज्वैलरी और भारी हार से सजी रहती है. इस मंदिर में वैसे तो वर्ष भर लोगों का आना जाना लगा ही रहता है परंतु नवरात्रि के पर्व के समय लाखों की संख्या में भक्तगण मां के दर्शन करने यहां आते हैं. कई लोग नंगे पांव पैदल ही माता के दर्शनों के लिए छतरपुर मंदिर आते हैं.
परिसर में लगा हुआ है चमत्कारी पेड़
यहां एक पेड़ ऐसा भी है जहां श्रद्धालु धागे और रंग-बिरंगी चूड़ियां बांधते हैं. इस पेड़ के साथ बंधे हुए धागे की प्रत्येक गाँठ में श्रद्धा, भक्ति और धार्मिक आस्था की एक चमत्कारी कहानी विद्यमान है. लोगों का मानना है कि ऐसा करने से मनोकामना पूर्ण होती है.
साल में दो बार ही खुलता है मंदिर
यह मंदिर साल में केवल दो बार पूर्णिमा के दिन (पूर्णिमा) और पवित्र नवरात्रि उत्सव पर दर्शन के लिए खुला रहता है. गर्भगृह में सुंदर वस्त्रों, आभूषणों और फूलों से सजी देवी की एक भव्य सुनहरी छवि मौजूद है. माँ कात्यायनी का मंदिर एक बड़े सत्संग या प्रार्थना कक्ष के लिए खुलता है जहाँ देवी के सम्मान में भजन गाए जाते हैं.
आद्या शक्ति कात्यायनी मंदिर खुलने का समय
कात्यायनी मंदिर का समय भारत के अन्य शक्तिपीठों के समान है. मंदिर महा आरती के लिए सुबह लगभग 5 बजे खुलता है और रात 10 बजे के बाद बंद हो जाता है. इस दौरान आप माँ के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.
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