केरल के वायनाड जिले में स्थित कोडिन्ही गांव एक अद्भुत जगह है, जो अपनी अनोखी विशेषता के लिए जाना जाता है. कोडिन्ही गांव में, जुड़वां बच्चों के जन्म की संख्या असामान्य रूप से अधिक है. इसके कारण इस गांव को "जुड़वा बच्चों की भूमि" उपनाम मिला है. इस रहस्यमयी घटना ने वैज्ञानिकों और चिकित्सकों का ध्यान आकर्षित किया है, और वे इस घटना का कारण जानने के लिए लगातार अध्ययन कर रहे हैं.
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रहस्यमयी है यहां की कहानी
इस गांव में रहने वाले जुड़वां जोड़ों में सबसे उम्रदराज 65 साल के अब्दुल हमीद और उनकी जुड़वा बहन कुन्ही कदिया है. ऐसा माना जाता है इस गांव में तभी से जुड़वां बच्चे पैदा होने शुरू हुए थे. शुरू में तो सालों में कोई इक्का-दुक्का जुड़वा बच्चे पैदा होते थे लेकिन बाद में इसमें तेजी आई और अब तो बहुत ही ज्यादा रफ्तार से जुड़वा बच्चे पैदा हो रहे हैं.
वैज्ञानिकों का अध्ययन
वैज्ञानिकों ने कोडिन्ही में जुड़वां बच्चों की उच्च दर का अध्ययन करने के लिए कई शोध किए हैं. कुछ शोधों में पाया गया है कि पर्यावरणीय कारक, जैसे कि पानी और मिट्टी में मौजूद कुछ रसायन, जुड़वा गर्भावस्था में योगदान दे सकते हैं. अन्य शोधों में आनुवंशिकी को जुड़वां बच्चों की उच्च दर के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. हालांकि, अभी भी इस रहस्यमयी घटना का कोई निश्चित कारण नहीं पता है.
प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है कोडिन्ही
कोडिन्ही न केवल जुड़वां बच्चों के लिए, बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है. यहां पहाड़ी इलाके, घने जंगल, चाय के बागान और नदियां हैं. यह गांव पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय स्थान है, जो यहां जुड़वां बच्चों की कहानी सुनने और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने के लिए आते हैं.
भारत के केरल प्रांत में स्थित इस मुस्लिम बहुल गांव की कुल आबादी 2000 है. इनमें से 250 से ज्यादा जुड़वां लोग हैं. ऐसे में आपको इस गांव में, स्कूल में और पास के बाजार में कई हमशक्ल बच्चे नजर आ जाएंगे.
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