शनि ग्रह, जिन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में नौ ग्रहों में से सबसे महत्वपूर्ण ग्रहों में से एक हैं. शनि की साढ़े साती, ढैय्या, और शनि दोष जैसी अवधियां जीवन में कठिनाइयाँ और बाधाएं ला सकती हैं. इन कठिनाइयों से निजात पाने के लिए, शनिदेव के अनेक मंदिर प्रसिद्ध हैं, जहाँ दर्शन मात्र से ही शनिदेव की कृपा प्राप्त हो सकती है. बता दें, इस बार शनि जयंती 6 जून को मनाई जाएगी. आइए जानते हैं शनि जयंती पर किन-किन मंदिरों के दर्शन करने से पापों से मुक्ति मिल सकती है.
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शनि शिंगणापुर मंदिर, (महाराष्ट्र)
यह मंदिर दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ शनिदेव स्वयंभू रूप से विराजमान हैं. यहाँ शनिदेव की कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि शनिदेव एक विशाल शिला के रूप में विद्यमान हैं. यह मंदिर लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, जो शनिदेव से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यहाँ आते हैं. यहाँ घरों में दरवाजे और ताले नहीं होते हैं क्योंकि माना जाता है कि शनिदेव स्वयं गाँव की रक्षा करते हैं.
शनि मंदिर, (मध्य प्रदेश)
मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित यह मंदिर अपनी अनोखी परंपरा के लिए जाना जाता है. यहाँ भक्त शनिदेव की मूर्ति को गले लगाकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और हर साल हजारों श्रद्धालु यहाँ आते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शनि अपने क्रोध के लिए जाने जाते थे. एक बार, भगवान हनुमान शनिदेव के दर्शन करने गए. हनुमान जी ने शनिदेव को गले लगा लिया, जिससे शनिदेव का क्रोध शांत हो गया. तभी से, भक्तों का मानना है कि शनिदेव को गले लगाने से उनके क्रोध को शांत किया जा सकता है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है.
शनि धाम मंदिर, (दिल्ली)
श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम नई दिल्ली में स्थित शनिदेव का एक प्रसिद्ध मंदिर है. यह मंदिर गुलाबी संगमरमर से बना है और इसकी भव्यता देखते ही बनती है. यहाँ शनिदेव की विशाल मूर्ति स्थापित है, जो 21 फीट ऊँची और 7.5 फीट चौड़ी है. यह मूर्ति दुनिया की सबसे बड़ी शनिदेव की मूर्तियों में से एक है. यहाँ शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए तेल, सिंदूर, काले तिल, और नारियल चढ़ाया जाता है. प्रत्येक शनिवार को यहाँ विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है.
श्री शनि महात्मा मंदिर, (कर्नाटक)
श्री शनि महात्मा मंदिर, कर्नाटक के तुमकुर जिले में स्थित शनिदेव का एक प्रसिद्ध मंदिर है. यह मंदिर 8वीं शताब्दी का माना जाता है और भगवान शिव के भक्त ऋषि अगस्त्य द्वारा स्थापित किया गया था. यह मंदिर अपने शांत वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है. माना जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से शनिदेव की साढ़े साती, ढैय्या, और शनि दोष का प्रभाव कम होता है.
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