दिल्ली में है इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम, बच्चों को जरूर ले जाएं घूमाने

अगर आप भी अपने बच्चों के साथ कुछ नया एक्सप्लोर करना चाहते हैं तो आप शंकर इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम देखने जा सकते हैं. तो चलिए हम आपको इस फेमस म्यूजियम से जुड़ी सारी महत्वपूर्ण जानकारियों से रूबरू कराते हैं.

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News Tak Desk

• 07:36 PM • 06 Jun 2024

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वैसे तो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में घूमने के लिए कई सारी जगहें हैं, लेकिन आज हम आपको शंकर इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम के बारे में बताएंगे. जहां आप अपने बच्चों को ले जाकर उन्हें एक अलग प्रकार की खुशी दें सकते हैं. आपको बता दें, ये म्यूजियम बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित है, जहां दुनिया भर की तमाम डॉल्स को देखा जा सकता है. ऐसे में अगर आप भी अपने बच्चों के साथ कुछ नया एक्सप्लोर करना चाहते हैं तो आप यह म्यूजियम देखने जा सकते हैं. तो चलिए हम आपको इस फेमस म्यूजियम से जुड़ी सारी महत्वपूर्ण जानकारियों से रूबरू कराते हैं. 

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शंकर इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम का इतिहास

इस डॉल म्यूजियम के स्थापना का इतिहास बहुत ही दिलचस्प है. दरअसल, देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जब विदेश दौरे पर जाते थे, तब अक्सर उनके साथ उनके दल के सदस्य के रूप में प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट के. शंकर पिल्लई भी जाते थे. बता दें, वो जिस भी देश में जाते थे, वहां की डॉल लेकर आते थे. इस तरह से कुछ समय बाद उनके पास 500 तरह की डॉल्स जमा हो गईं. जिसके कारण शंकर पिल्लई चाहते थे कि इन गुड़ियों को देशभर के बच्चे देखें और इनके बारे में जानें. इसी विचार के तहत वो अलग-अलग जगहों पर अपने कार्टून के साथ-साथ डॉल्स की भी प्रदर्शनी लगाने लगे.

         ऐसे में एक बार उनकी प्रदर्शनी देखने जवाहरलाल नेहरू अपनी बेटी इंदिरा गांधी के साथ पहुंचे. उन्हें यह प्रदर्शनी बहुत पसंद आई. उसी समय शंकर पिल्लई ने अपनी परेशानी जवाहरलाल नेहरू के सामने रखी. उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी के लिए जगह-जगह ले जाने से गुड़ियों के टूटने का डर रहता है. इस पर नेहरू ने इन गुड़ियों के लिए एक सुरक्षित जगह बनवाने का भरोसा दिया. जिसके बाद, उन्होंने शंकर पिल्लई के साथ मिलकर इस संग्रहालय की स्थापना 30 नवंबर 1965 को की. आपको बता दें, तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने इस म्यूजियम का उद्घाटन किया था. 

शंकर इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम से जुड़ी इंटरेस्टिंग बातें-

  • इसकी स्थापना मशहूर कार्टूनिस्ट के. शंकर पिल्लई (1902-1989) ने 30 नवंबर 1965 को की थी. 
  • आपको बता दें, जब इस म्यूजियम का उद्घाटन हुआ था, तब उस समय यहां पर मात्र एक हजार गुड़िया थीं. वहीं वर्तमान समय में यहां 85 देशों की 7,500 से ज्यादा गुड़ियां हैं.
  • 5184 वर्ग फुट आकार वाले इस म्यूजियम में 1,000 फीट की लंबाई में दीवारों पर 160 से अधिक कांच केस बनाए गए हैं.
  • ये म्यूजियम दो हिस्सों में बटा हुआ है, जहां आपको हर देश की डॉल्स देखने को मिलेगी. जैसे- अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अफ्रीका इत्यादि. वहीं इसके अलावा भारत के हर राज्य की 150 से ज्यादा वेशभूषा में गुड़िया रखी हुई है.  
  • खास बात ये है कि इस म्यूजियम में मौजूद गुड़िया को डॉल्स बिएननेल में गोल्डन पीकॉक फेदर नाम की प्रथम पुरस्कार भी मिल चुका है, जो साल 1980 में क्राको (पोलैंड) में आयोजित किया गया था. 
  • इन डॉल्स को एक वर्कशॉप में बनाया गया है जो म्यूजियम से ही जुड़ी हुई है. इस कार्यशाला में बनाई जाने वाली भारतीय गुड़ियों को अक्सर विदेशों से प्राप्त उपहारों के लिए आदान-प्रदान किया जाता है या जो उन्हें इकट्ठा करना चाहते हैं उन्हें बेच दिया जाता है.
  • इन गुड़िया को बनाने में काफी मेहनत और शोध किया गया है. इस वर्कशॉप के अलावा बीमार गुड़ियों के लिए एक क्लीनिक भी है जहां किसी भी प्रकार की क्षति होने पर गुड़ियों को भेजा जाता है.

शंकर इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम की टाइमिंग व एंट्री फीस

जानकारी के मुताबिक, शंकर इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है. लेकिन सोमवार के दिन ये म्यूजियम बंद रहता है. इसके अलावा नेशनल हॉलिडे के दौरान भी यह म्यूजियम बंद रहता है. 

        वहीं इस म्यूजियम की एंट्री फीस की बात करें तो एडल्ट्स के लिए 30 रुपए और बच्चों के लिए 15 रुपए है.

शंकर इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम तक कैसे पहुंचें?

आपको बता दें, ये म्यूजियम आईटीओ क्रॉसिंग के पास नेहरू हाउस में स्थित है. ऐसे में आप अपने सुविधानुसार फ्लाइट, ट्रेन, मेट्रो या बस किसी भी साधन से यहां आसानी से पहुंच सकते हैं.

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