उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर भगवान कार्तिकेय, भगवान शिव के पुत्र को समर्पित एक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है. दरअसल, यह मंदिर बादलों के बीच बना हुआ है. यह मंदिर 3050 मीटर की ऊंचाई पर एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है. यह भारत में इकलौता ऐसा मंदिर है, जो भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय को समर्पित मंदिर है. आइए जानते हैं कार्तिक स्वामी मंदिर से जुड़ी दिलचस्प बातों के बारे में.
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कथा के अनुसार भगवान शिव ने अपने पुत्रों भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय को चुनौती दी कि जो कोई भी पहले ब्रह्मांड के सात चक्कर लगाएगा, उसे पहले पूजा करने का सम्मान मिलेगा. यह सुनकर, भगवान कार्तिकेय अपने वाहन पर ब्रह्मांड का चक्कर लगाने के लिए निकल गए, जबकि, भगवान गणेश ने अपने माता-पिता, भगवान शिव और देवी पार्वती के सात चक्कर लगाए. भगवान शिव ने भगवान गणेश को सबसे पहले पूजा होने का सौभाग्य दिया. भगवान कार्तिकेय ने इस निर्णय पर क्रोध दिखाया और श्रद्धा के रूप में अपने शरीर और हड्डियों को अपने पिता को बलिदान कर दिया.
मंदिर में घंटी चढ़ाने की है मान्यता
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में घंटी बांधने से इच्छा पूर्ण होती है. मंदिर के गर्भ गृह तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को मुख्य सड़क से लगभग 80 सीढ़ियों का सफर तय करना पड़ता है. यहां शाम की आरती बेहद खास होती है. इस दौरान यहां भक्तों का भारी जमावड़ा लग जाता है.
कब जाएं कार्तिक स्वामी मंदिर?
अगर आप कार्तिक स्वामी मंदिर जाना चाहते हैं तो अक्टूबर से जून तक का समय बहुत अच्छा है. अक्टूबर और नवंबर के बीच यहां कार्तिक पूर्णिमा पर उत्सव मनाया जाता है, आप इसमें शामिल हो सकते हैं.
कार्तिक स्वामी मंदिर कैसे पहुंचे?
कार्तिक स्वामी मंदिर तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका हरिद्वार/ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग तक बस लेना है. कार्तिक स्वामी मंदिर रुद्रप्रयाग-पोखरी मार्ग पर रुद्रप्रयाग से केवल 40 किलोमीटर दूर है. आप रुद्रप्रयाग से टैक्सी किराये पर ले सकते हैं. यह रुद्रप्रयाग में स्थित कनकचौरी गांव से शुरू होने वाला 3 किलोमीटर का आसान ट्रैक है.
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