Inverter AC vs Non-Inverter AC: गर्मी का मौसम आ गया है, और अब हर कोई चाहता है कि घर में ठंडी-ठंडी हवा चले. तो इसके लिए सबसे बढ़िया ऑप्शन होता है AC. लेकिन एसी खरीदने की बारी आई तो दिमाग में सवाल घूमने लगते हैं कौन सा एसी ले इन्वर्टर एसी या नॉन-इन्वर्टर एसी? अगर आप भी अगर आप भी दुकान या ऑनलाइन साइट पर जाकर कन्फ्यूज़ हो जाते हैं, तो टेंशन न लें. कन्फ्यूजन दूर करने के लिए हम आपके लिए लाए हैं एकदम आसान अंदाज में गाइड, ताकि आप अपनी जेब और जरूरत के हिसाब से बेस्ट एसी चुन सकें. तो चलिए, इस गर्मी को कूल बनाते हैं!
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इन्वर्टर और नॉन-इन्वर्टर एसी में क्या है फर्क?
इन्वर्टर एसी: ये बड़ा स्मार्ट वाला एसी है. इसका कम्प्रेशर (जो ठंडक देता है) कमरे की गर्मी के हिसाब से अपनी स्पीड कम-ज्यादा करता रहता हैय जैसे गाड़ी का एक्सीलेटर, जरूरत पड़ी तो तेज, नहीं तो धीमा. इससे बिजली की खूब बचत होती है.
नॉन-इन्वर्टर एसी: ये पुराने जमाने का एसी है. इसका कम्प्रेशर या तो फुल स्पीड से चलता है या पूरी तरह बंद हो जाता है. बार-बार ऑन-ऑफ होने की वजह से बिजली थोड़ी ज्यादा खर्च करता है.
अब चलिए जानते है अंदर की बात...
खासियत और परेशानी
इन्वर्टर एसी की खासियत
- बिजली बिल की टेंशन खत्म: ये कम्प्रेशर को बार-बार बंद नहीं करता, बस उसकी स्पीड सेट करता है। इससे बिजली 20-40% तक कम लगती है.
- जल्दी ठंडक, मजा बरकरार: कमरा पलक झपकते ठंडा, और तापमान एकदम सेट.
- खामोशी का साथ: शोर इतना कम कि रात में चैन की नींद आए.
- लॉन्ग लाइफ: कम्प्रेशर पर कम जोर पड़ता है, तो ये आपका साथ सालों-साल निभाएगा.
- पर्यावरण का दोस्त: कम बिजली खाता है और R32 जैसे रेफ्रिजरेंट से पर्यावरण को भी बचाता है.
इन्वर्टर एसी की परेशानी
- जेब थोड़ी ढीली करनी पड़ेगी: इसकी कीमत ₹35,000 से शुरू होती है, जो नॉन-इन्वर्टर से 10-15 हजार ज्यादा है.
- रिपेयर का झंझट: टेक्नोलॉजी हाई-फाई है, तो मरम्मत का खर्चा और समय ज्यादा लग सकता है.
- कम चलाओ, तो बचत कम: अगर दिन में सिर्फ 2-3 घंटे एसी चलता है, तो बिजली की बचत का फायदा उतना नहीं मिलेगा.
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नॉन-इन्वर्टर एसी की खासियत
- बजट में फिट: ये वाला एसी ₹25,000 से शुरू हो जाता है. कम पैसे में ठंडक चाहिए, तो ये बढ़िया ऑप्शन हो सकता हैं.
- रखरखाव में आसानी: टेक्नोलॉजी सिंपल है, तो लोकल मैकेनिक भी इसे आसानी से ठीक कर देता है, वो भी सस्ते में.
- छोटे कमरों का बेस्ट फ्रेंड: छोटे कमरे या कम समय के लिए ये एकदम झक्कास है.
नॉन-इन्वर्टर एसी की परेशानी
- बिजली बिल का दर्द: बार-बार ऑन-ऑफ होने से बिजली ज्यादा खर्च होती है.
- थोड़ा शोर करता है: कम्प्रेशर के ऑन-ऑफ होने की वजह से आवाज आती है, जो रात में थोड़ा खलल डाल सकती है.
- कूलिंग में उतार-चढ़ाव: कभी ज्यादा ठंडा, तो कभी कम - तापमान एकसमान नहीं रहता.
आपके लिए कौन सा एसी है परफेक्ट?
सही एसी चुनना आपकी जरूरत, बजट, और लाइफस्टाइल पर निर्भर करता है. चलिए, इसे और आसानी से बताते हैं:
इन्वर्टर एसी लें, अगर:
- आप गर्मी में रोज 8-10 घंटे एसी चलाते हैं (जैसे दिल्ली, मुंबई, या चेन्नई में).
- बिजली का बिल कम करना और पर्यावरण की फिक्र करना चाहते हैं.
- शांत और एकसमान कूलिंग चाहिए.
- थोड़ा ज्यादा खर्च करने को तैयार हैं, जो बाद में बिजली बचत से वसूल हो जाएगा.
- उदाहरण: अगर आपका बिजली बिल ₹10/यूनिट है, तो इन्वर्टर एसी से सालाना ₹5,000-10,000 की बचत हो सकती है.
नॉन-इन्वर्टर एसी लें, अगर:
- आपका बजट टाइट है और कम खर्च में एसी चाहिए.
- आप एसी को कम समय (2-4 घंटे) या सिर्फ कुछ हफ्तों के लिए चलाते हैं.
- आपके इलाके में बिजली सस्ती है, तो बिल की ज्यादा चिंता नहीं.
- आप आसान और सस्ती सर्विसिंग चाहते हैं.
- उदाहरण: किराए के घर या छोटे कमरे के लिए, जहां बार-बार शिफ्टिंग हो, नॉन-इन्वर्टर सही रहेगा.
एसी खरीदने से पहले ये 5 टिप्स जरूर ध्यान रखें
- कमरे का साइज चेक करें: 150 वर्ग फुट के कमरे के लिए 1 टन, 200 वर्ग फुट के लिए 1.5 टन का एसी लें.
- स्टार रेटिंग देखें: 3-स्टार या 5-स्टार रेटिंग वाला एसी लें. इन्वर्टर एसी में 5-स्टार ज्यादा बचत देता है.
- रेफ्रिजरेंट का ध्यान: R32 या R410A जैसे इको-फ्रेंडली रेफ्रिजरेंट चुनें. R22 पुराना और हानिकारक है.
- 6t अगर आपके इलाके में पावर कट ज्यादा हैं, तो इन्वर्टर एसी को लगातार बिजली चाहिए. ऐसे में नॉन-इन्वर्टर बेहतर हो सकता है.
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