12 साल में एक बार ही क्यों होता है महाकुंभ? कहां हो रहा आयोजन, जानिए सबकुछ

महाकुंभ मेले का आयोजन हर 12 साल में एक बार होता है.  इसके अलावा अर्धकुंभ मेला हरिद्वार और प्रयागराज में 6-6 सालों में एक बार होता है. कुंभ मेला समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा माना गया है. मान्यताओं के अनुसार अमृत छलकने पर उसकी बूंदे चार स्थानों पर गिरी थीं और ये स्थान पवित्र हो गए. 

Mahakumbh 2025

प्रयागराज में महाकुंभ लगने जा रहा रहा है (फोटो- AI)

शुभम गुप्ता

• 03:05 PM • 03 Jan 2025

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Mahakumbh 2025: माना जाता है कि, युगों पहले सागर मंथन के दौरान अमृत की खोज हुई थी. देवताओं और असुरों ने मिलकर इस कार्य को अंजाम दिया, लेकिन अंत में दोनों पक्षों के बीच अमृत को लेकर संघर्ष छिड़ गया. यह मंथन केवल अमृत के लिए नहीं, बल्कि अलग-अलग संस्कृतियों और विचारधाराओं के बीच तालमेल का पहला उदाहरण था. हालांकि, लालच और जिद के कारण अमृत किसी का नहीं रहा. छीना-झपटी के दौरान अमृत कलश से अमृत छलककर अलग-अलग स्थानों पर गिरा.  

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एकता का प्रतीक महाकुंभ

महाकुंभ इसी अमृत की खोज का प्रतीक है. यह आयोजन भारतीय जनमानस को एक मंच पर लाने वाला सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक मेला है. यहां विभिन्न पवित्र नदियों के किनारे लोग अपनी जाति, धर्म और पहचान भूलकर केवल इंसान के रूप में आते हैं. गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं. यह मेला आध्यात्मिक एकता और मानवता का उत्सव है. कुंभ मेला चार स्थानों पर बारी-बारी से आयोजित होता है: 

प्रयागराज (यूपी)
हरिद्वार (उत्तराखंड)
उज्जैन (मध्य प्रदेश)
नासिक (महाराष्ट्र)

महाकुंभ मेले का आयोजन हर 12 साल में एक बार होता है.  इसके अलावा अर्धकुंभ मेला हरिद्वार और प्रयागराज में 6-6 सालों में एक बार होता है. कुंभ मेला समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा माना गया है. मान्यताओं के अनुसार अमृत छलकने पर उसकी बूंदे चार स्थानों पर गिरी थीं और ये स्थान पवित्र हो गए. 

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महाकुंभ 2025 के प्रमुख सवाल और जवाब  

सवाल- महाकुंभ मेला 2025 कब और कहां आयोजित होगा?  
जवाब- महाकुंभ मेला 2025 उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित होगा. यह 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के स्नान से शुरू होकर 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर समाप्त होगा.  

सवाल- प्रयागराज कैसे पहुंचें?  
जवाब-  रेलवे, हवाई मार्ग, और सड़क मार्ग के जरिए प्रयागराज जाया सकता है.  विशेष ट्रेनें, फ्लाइट्स, और राज्य परिवहन की बस सेवाएं यात्रियों के लिए उपलब्ध रहेंगी.  

सवाल- क्या हैं महाकुंभ 2025 की मुख्य स्नान की तारीखें?  
जवाब- 14 जनवरी: मकर संक्रांति  
- 29 जनवरी: मौनी अमावस्या  
- 3 फरवरी: वसंत पंचमी  
- 12 फरवरी: माघी पूर्णिमा  
- 26 फरवरी: महाशिवरात्रि  

सवाल- रहने की व्यवस्था कैसे करें? 
जवाब- धर्मशालाएं, होटल, और टेंट सिटी में ठहरने की सुविधा उपलब्ध होगी. ऑनलाइन बुकिंग प्लेटफॉर्म्स और सरकारी पोर्टल्स पर भी बुकिंग कर सकते हैं.  

सवाल-विशेष तैयारियां क्या हैं?
जवाब- एआई-आधारित निगरानी, स्वच्छता अभियान, स्वास्थ्य केंद्र, ट्रैफिक कंट्रोल और फ्री वाई-फाई जैसी सुविधाएं सरकार द्वारा सुनिश्चित की गई हैं.  

सवाल-महाकुंभ 2025 में शामिल होने के लिए क्या रजिस्ट्रेशन जरूरी है?
जवाब- हां, महाकुंभ 2025 में शामिल होने के लिए सरकारी पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य है. पंजीकरण के बाद आपको एक यूनीक आईडी और यात्रा पास प्राप्त होगा.

सवाल- महाकुंभ 2025 के दौरान प्रयागराज में पार्किंग की क्या व्यवस्था होगी?
जवाब- प्रयागराज में महाकुंभ के लिए विशेष पार्किंग स्थल बनाए गए हैं, जहां ई-पास और शटल सेवाओं की सुविधा होगी.

सवाल- महाकुंभ के स्नान का धार्मिक महत्व क्या है?
जवाब- संगम में स्नान करना पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग माना जाता है. यह अवसर जीवन में अत्यंत दुर्लभ और आध्यात्मिक महत्व का होता है.

सवाल-महाकुंभ के दौरान पर्यावरण संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
जवाब- गंगा को स्वच्छ रखने और कचरा प्रबंधन के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. प्लास्टिक उपयोग पर प्रतिबंध और पर्यावरण जागरूकता अभियान भी चलाए जाएंगे.

सवाल-महाकुंभ के दौरान कौन-कौन से धार्मिक अनुष्ठान आयोजित होंगे?
जवाब- गंगा आरती, यज्ञ, भजन-कीर्तन, और संतों के प्रवचन जैसे अनुष्ठान महाकुंभ के प्रमुख आकर्षण होंगे.

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