उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के एक घर में बवाल मचा हुआ था. उस घर से एक बुजुर्ग की डेड बॉडी मिली. बुजुर्ग को देख ऐसा लग रहा था कि शरीर में महज हडि्डयों का ढांचा है. भूख और प्रताड़ना से बुजुर्ग की जान गई है. परिजन जब नीचे के एक अंधेरे कमरे में पहुंचे तो बेड पर गंदगी से भरे गद्दे और कंबल के बीच लकड़ी सा कुछ दिखा. कंबल हटाया तो सबकी चीखें निकल पड़ीं. कंबल में 26 साल की युवती थी जो 80 साल की बुढ़िया की तरह दिख रही थी. शरीर पर एक भी कपड़े नहीं थे. उलझे और बेहद रुखे बालों के बीच सूखे चेहरे से आंखें बाहर निकलती हुई झांक रही थीं. मानों मौत गले में बैठी बस निकलने की इंतजार कर रही हो.
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रौंगटे खड़े कर देने वाला ये नजारा महोबा के कोतवाली थाना इलाके के हिंद टायर गली के एक मकान में दिखा. मकान में कौन रहता है, कब बाहर निकलता है, क्या खाता है, कैसे जीता है, जिंदा है भी कि नहीं, परिवार में कितने सदस्य हैं ये किसी को पता नहीं था. पूरे मकान पर नौकर दंपति का राज चलता था. बिजली का बिल नौकरानी के नाम पर था. मकान मालिक के बैंक बैलेंस पर ऐश चल रहा था. तो क्या नौकर-नौकरानी को ओनर और उसकी इकलौती बेटी की मौत का इंतजार था? पिता और बेटी के साथ ये दंपति 5 सालों से क्या कर रहे थे. किसी को उनसे मिलने क्यों नहीं देते हैं...ऐसे कई सवाल अब उठने लगे हैं जिनका जवाब ढूंढने के लिए पुलिस मामले की जांच कर रही है. परिजन तो नौकर-नौकरानी में कई गंभीर आरोप लगा रहे हैं.
क्या है ये पूरा मामला?
रेलवे में क्लर्क की नौकरी करने वाले ओम प्रकाश सिंह राठौड़ सूट-बूट और टाई पहनकर घर से निकलते थे. पड़ोसी भी ये नजारा देख ऐसी नौकरी के सपने बुनते थे. घर में पत्नी-इकलौती बेटी के साथ जीवन खुशी-खुशी बीत रहा था. परिवार में भाई अमर सिंह और उनका परिवार भी रहता था. ओम प्रकाश 2015 में रिटायर हो गए. इसके बाद वे अपनी पत्नी और बेटी के साथ छोटे भाई के पास रहने लगे. उनकी इकलौती बेटी रश्मि मानसिक रूप से विक्षिप्त है. उसकी परवरिश पति-पत्नी करते थे. साल 2016 में ओम प्रकाश की जिंदगी में नया मोड़ आया. ओम प्रकाश की पत्नी का निधन हो गया. इनके भाई अमर सिंह ने बताया कि पता नहीं क्यों वे बेटी को लेकर अलग घर में रहने लगे. बेटी की परवरिश का भार अकेले उनके कंधे पर आ गया.
देखरेख के लिए नौकर दंपति को रखा
बुजुर्ग ओम प्रकाश ने अपनी और बेटी के देखरेख के लिए चरखारी निवासी रामप्रकाश कुशवाहा और उसकी पत्नी रामदेवी को रख लिया. आरोप है कि बेटी के विक्षिप्त होने और ओम प्रकाश के बुजुर्ग होने का फायदा इस दंपति ने उठाना शुरू कर दिया. इनकी मजबूरियों का फायदा उठाकर ये ऐश के साथ मकान के ऊपरी हिस्से में रहने लगे. बुजुर्ग और उनकी बेटी रश्मि को भरपेट भोजन तक नहीं देते थे.
रिश्तेदार आते तो बनाते थे ये बहाने
ओम प्रकाश की भाई की पत्नी पुष्पा सिंह राठौर ने नौकर दंपति पर आरोप लगाते हुए कहा कि इन्होंने जेठ को भूखा मार दिया. ये लोग किसी से उनको मिलने नहीं देते थे. कहते थे कि वे किसी से मिलना नहीं चाहते हैं. हम लोगों ने बहुत कोशिश की इनके घर में जाने की तो ये नौकर बहाने बनाते थे. हमने फिर जबरदस्ती करते हुए कहा कि तुम लोग मिलने नहीं दोगे तो पुलिस के पास जाएंगे. ऐसे में वे मिलने दिए. नीचे वाले अंधेरे कमरे में जाकर देखा कि बिटिया बिस्तर पर न्यूड लेटी थी. वो इतनी सूख गई है कि 80 साल की बुढिया लग रही है.
'मेरे जेठ रेलवे में थे. उनके पास मकान और पैसा है. नौकर और उसकी पत्नी की नजर इनकी प्रॉपर्टी और पैसे पर थी. इसलिए वे इन्हें किसी से मिलना नहीं चाह रहे थे. उन्होंने इन्हें कैद करके रखा था.'- पुष्पा सिंह राठौर
पुष्पा ने कहा कि, मेरे जेठ 2015 रिटयर हो गए. हमारे घर रहे 2 साल फिर यहां आकर रहने लगे. यहां उन्होंने अपना मकान बनवा लिया. पत्नी का 2016 में निधन हो गया. वे खाना नहीं बना पाते थे. बच्ची मानसिक रूप से पैदायशी विक्षिप्त थी. इसलिए नौकर और नौकरानी को काम पर रख लिया. इन्होंने भाई और उनकी बेटी को इतना बेबस कर दिया कि उनकी हालत खराब हो गई. भाई को एक बार डॉक्टर को दिखाया. हमने काफी कोशिश की पर नौकर ने दिखाने नहीं दिया.
घर में ताला लगाकर निकल जाते थे बाजार
नौकर-नौकरानी घर में बाहर से ताला लगाकर बाजार निकल जाते थे. ये 6-8 घंटे में लौटकर आते थे. तब तक भाई और उनकी बेटी बिस्तर पर पड़े-पड़े इनका इंतजार करते थे. बिटिया की हालत तो ऐसी हो गई है कि वो खुद से उठ भी नहीं पाती है. बड़े भाई की हालत ऐसी हो गई के वे खुद अपना कष्ट भी बताने की हालात में नहीं थे. मेरे बगल में एक राजू महाराज रहते हैं. उनके दामाद बड़े भाई ओम प्रकाश सिंह के पड़ोसी हैं. उन्हें नौकर ने बताया कि वे अब नहीं रहे. हमें अगले दिन सुबह बताया कि उनकी हालत खराब है.
''ये कहते थे की बच्ची कपड़ा फाड़ती थी. ये झूठ है. वो 2 साल हमारे यहां रही पर कभी कपड़ा नहीं फाड़ती थी. वो आराम से 4-5 रोटी खा लेती थी. कह रहे हैं कि 2 टाइम 2-2 रोटी खाती थी. यदि वो 2-2 रोटी भी खाती तो ये हालत नहीं रहती. बड़े भाई की भी ऐसी हालत कर रखी है.''- छोटे भाई अमर सिंह
महोबा की पुलिस अधीक्षक वंदना सिंह ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी करते हुए बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण क्रॉनिक लंग डिजीज पाया गया है. मृतक की बेटी मानसिक रूप से विक्षिप्त बताई जा रही है, जो मौके पर काफी कमजोर मिली. परिजनों ने नौकर और नौकरानी पर आरोप लगाए हैं. जांच में सामने आया है कि ये दोनों पिछले 8 सालों से यहां देखभाल कर रहे थे.
मकान का बिल नौकर की पत्नी के नाम कर दिया
महोबा पुलिस के मुताबिक लंबे समय से देखभाल करने के कारण मृतक ने मकान का रजिस्टर्ड बिल भी नौकर की पत्नी के नाम कर दिया था. जांच में ये भी पता चला है कि मृतक के परिजनों ने भी कभी मृतक और उसकी बेटी के देखभाल की कोई कोशिश नहीं की. परिजनों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों की जांच की जा रही है. जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.
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