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Lucknow: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 40 से अधिक विधायकों की एक मीटिंग की सियासी गलियारों में खूब चर्चा हो रही है. सोमवार को हुई इस बैठक में बीजेपी के साथ-साथ सपा के बागी ठाकुर विधायक शामिल हुए. इस बैठक को 'कुटुंब' नाम दिया गया है, अब इस नए ग्रुप की फ्यूचर पॉलिटिक्स को कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
क्या है 'कुटुंब' बैठक का मकसद?
लखनऊ के एक पांच सितारा होटल में हुई इस बैठक को 'कुटुंब' नाम दिया गया है, जिसका मतलब परिवार होता है. इस बैठक में शामिल हुए अधिकांश विधायक ठाकुर समुदाय से थे. इसके अलावा, एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया गया है, जिसका नाम 'कुटुंब परिवार' रखा गया है. इस ग्रुप में सत्ता पक्ष और विपक्ष के ठाकुर विधायकों को जोड़ा गया है.
वहीं सियासी पंडितों का मानना है कि यह बैठक जातिगत एकता को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब प्रदेश में बीजेपी अध्यक्ष के चयन और मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चाएं चल रही हैं.
पर्दे के पीछे सपा के बागी विधायक
इस बैठक का आयोजन बीजेपी के विधान परिषद सदस्य जयपाल सिंह व्यस्त और मुरादाबाद की कुंदरकी से विधायक ठाकुर रामवीर सिंह ने किया था. हालांकि, सूत्रों के मुताबिक, इसके पीछे समाजवादी पार्टी (सपा) के बागी विधायक राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह का हाथ है. बताया जा रहा है कि इन दोनों विधायकों ने खुद सामने आने के बजाय पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नेताओं को आगे रखकर विधायकों को आमंत्रित किया था.
बैठक में क्या हुआ?
बैठक में शामिल होने वाले सभी विधायकों को भगवान श्री राम की मूर्ति और त्रिशूल गिफ्ट में दिया गया. इस कार्यक्रम के पोस्टर में 'कुटुंब परिवार में आप माननीय सदस्यों का स्वागत और अभिनंदन है' लिखा हुआ था. करीब आठ साल बाद हुई ठाकुर विधायकों की इतनी बड़ी बैठक में क्या बात हुई, यह बात सामने नहीं आ सकी है.
उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातिगत समीकरण हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं. ऐसे में ठाकुर समुदाय के विधायकों का एक साथ आना और 'कुटुंब' नाम से एकजुट होना, कई सियासी मायने रखता है. भले ही इसे पारिवारिक कार्यक्रम बताया जा रहा हो, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे भविष्य की राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि 'कुटुंब' नाम से बनी यह एकजुटता आने वाले समय में उत्तर प्रदेश की राजनीति में क्या रंग लाती है.
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