उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में धार्मिक पहचान को लेकर उठा एक विवाद अब नया मोड़ ले चुका है. रविवार को कांवड़ यात्रा रूट पर स्थित एक ढाबा ‘पंडित जी वैष्णो ढाबा’ को लेकर उस वक्त विवाद शुरू हो गया जब कुछ लोगों ने कथित तौर पर ढाबा मालिक की धार्मिक पहचान जानने के लिए उसकी पैंट उतारने की कोशिश की.
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इस घटना का वीडियो वायरल हुआ, जिसके आधार पर पुलिस ने छह लोगों की पहचान की. इनमें सुमित बहरागी, रोहित, विवेक, सुमित, सनी और राकेश को पुलिस ने नोटिस जारी करते हुए थाने में हाजिर होने का निर्देश दिया है.
यशवीर महाराज का नाम क्यों आया?
बताया जा रहा है कि इन सभी का संबंध यशवीर महाराज नामक व्यक्ति से है. हालांकि, यशवीर महाराज ने इन आरोपों से साफ इनकार किया है. पुलिस ने भी स्पष्ट किया कि ये लोग बिना प्रशासनिक अनुमति के ढाबों की जांच कर रहे थे और ग्राहकों व कर्मचारियों से धर्म को लेकर सवाल कर रहे थे.
इधर पैंट उतारकर चेक करने की बात को यशवीर महाराज ने खारिज किया है. उनका कहना है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ था.
अब ढाबा मालिक के खिलाफ ही दर्ज हुई FIR
मामले ने तब पलटी खाई जब ढाबे के पूर्व मैनेजर धर्मेंद्र ने ढाबा मालिक सनव्वर, उसके बेटे आदिल, जुबैर और दो अन्य लोगों के खिलाफ मारपीट की शिकायत दर्ज कराई. FIR में कहा गया है कि धर्मेंद्र ने जब इस बात का खुलासा किया था कि हिंदू नाम वाले इस ढाबे को एक मुस्लिम परिवार चला रहा है, और इसी बात से नाराज होकर उसकी पिटाई की गई.
राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू
इस मामले में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी बयान जारी किया और यूपी सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने आरोप लगाया कि कांवड़ यात्रा के नाम पर मुस्लिम व्यापारियों को निशाना बनाया जा रहा है, उनके आधार कार्ड देखे जा रहे हैं और धार्मिक पहचान के लिए कपड़े उतरवाने तक की घटनाएं हो रही हैं.
ओवैसी ने सवाल उठाया कि जिन लोगों ने ढाबा मालिक से बदसलूकी की, उनके खिलाफ गिरफ्तारी की जगह सिर्फ नोटिस क्यों जारी किया गया?
फिलहाल स्थिति क्या है?
- पुलिस मामले की दोनों दिशाओं से जांच कर रही है.
- धार्मिक आधार पर पूछताछ करने वाले छह लोगों को नोटिस मिला है.
- दूसरी ओर, मारपीट के आरोप में ढाबा मालिक और उसके परिजनों पर केस दर्ज हुआ है.
- प्रशासन ने अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं की है, लेकिन जांच जारी है.
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