प्रख्यात हिंदी कवि और जन बुद्धिजीवी बद्री नारायण को इस वर्ष का ‘कविता के लिए कन्हैया लाल सेठिया पुरस्कार’ देने की घोषणा की गई है. यह पुरस्कार उन्हें उनकी उत्कृष्ट काव्य रचनाओं और सामाजिक-राजनीतिक संदेशों के लिए प्रदान किया जाएगा. यह पुरस्कार जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के अवसर पर 1 फरवरी को दिया जाएगा.
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बद्री नारायण की कविताओं ने साहित्य जगत में अपनी विशेष पहचान बनाई है. ‘सच सुने कई दिन हुए’ (1994), ‘शब्दपदीयम’ (2004), ‘खुदाई में हिंसा’ (2011), और ‘तुमड़ी का शब्द’ (2019) जैसे कविता संग्रह उनकी रचनात्मकता और समाज के प्रति संवेदनशीलता की मिसाल प्रस्तुत करते हैं. अपनी कविताओं के माध्यम से बद्री नारायण ने कमजोर वर्गों, पिछड़े हुए समुदायों और मजलूमों की आवाज़ को साहित्य में जगह दी है.
उनकी कविता में लोक ज्ञान और जीवन के सरल, मगर गहरे अनुभवों का समावेश है. वे गोरखनाथ, दादू, पीपा, धाना, कबीर, और रैदास जैसे संतों की उपदेशों और विचारों को अपनी कविताओं में सहज रूप से पिरोते हैं. इसके साथ ही उनका लेखन प्रेम, संघर्ष और मानवता के विभिन्न पहलुओं को उजागर करता है.
बद्री नारायण की कविताएं का कई भाषाओं में अनुवाद
बद्री नारायण की कविताएं न केवल हिंदी में, बल्कि अंग्रेजी, डच, फ्रेंच और उड़िया जैसी भाषाओं में भी अनुदित हो चुकी हैं. उनके कविता पाठों का आयोजन न केवल भारत के प्रमुख नगरों में, बल्कि विदेशों में भी किया गया है. उनकी रचनाओं को पहले ही कई प्रतिष्ठित सम्मान मिल चुके हैं, जिनमें साहित्य अकादमी सम्मान, भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार, बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान, केदार सम्मान, स्पंदन कृति पुरस्कार, राष्ट्रकवि दिनकर पुरस्कार, शमशेर सम्मान और मीरा स्मृति सम्मान शामिल हैं.
कन्हैया लाल सेठिया पुरस्कार पहले भी देश के प्रसिद्ध कवियों, जैसे अरुंधती सुब्रमण्यम, के. सच्चिदानंदन, और रंजीत होस्कोटे को दिया जा चुका है, और अब बद्री नारायण इस सम्मान के हकदार बने हैं. यह पुरस्कार उनके काव्य लेखन को न केवल सराहता है, बल्कि उन्हें भारतीय कविता की समृद्ध परंपरा में महत्वपूर्ण स्थान पर स्थापित करता है. इस सम्मान से बद्री नारायण की काव्य यात्रा को एक नई पहचान मिलेगी और यह उन्हें और उनके कार्यों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी सम्मान दिलाएगा.
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