प्रयागराज में यूपीएससी की तैयारी करने वाले एक युवक द्वारा खुद से अपना प्राइवेट पार्ट काटने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. 22-23 साल के युवक ने खुद को एनेस्थिसिया का इंजेक्शन लगाया और सर्जिकल ब्लेड से प्राइवेट पार्ट काट लिया.
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ऐसा करने के बाद युवक की हालत बिगड़ गई. उसे कमरे में तड़पता देख मकान मालिक ने बेली अस्पताल में भर्ती कराया, जहां से डॉक्टरों ने गंभीर हालत देखते हुए उसे एसआरएन अस्पताल रेफर कर दिया. फिलहाल एसआरएन अस्पताल के सर्जिकल वार्ड में भर्ती युवक का इलाज चल रहा है.
वजह आई सामने
युवक का दावा है कि वह लड़का नहीं बल्कि लड़की है, लेकिन कोई उसकी यह बात सुनने को तैयार नहीं था. इसलिए उसने ऐसा कदम उठाया. वह पूरी तरह से लड़की बनना चाहता है. उसके मुताबिक वह जब 14 साल का तभी उसे यह लगने लगा था कि वो लड़का नहीं बल्कि लड़ककी है.
छात्र अमेठी जिले का रहने वाला है. उसके मुताबिक मां-बाप का इकलौता लड़का होने के कारण वह अपने परिवार वालों से कुछ नहीं बता पाता था. वह कुछ दिन अपनी मौसी के यहां रहा था. इसके बाद पढ़ाई करने के लिए प्रयागराज आ गया था. शहर में एक किराए का कमरा लेकर रहने लगा और यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करता था.
जेंडर चेंज करने के लिए यूट्यूब पर किया सर्च
युवक ने जेंडर चेंज करने के लिए यूट्यूब पर सर्च किया. युवक ने कटरा में एक झोलाछाप डॉक्टर जेनिथ मिला. उसी के कहने पर छात्र ने एनेस्थिसिया का इंजेक्शन और सर्जिकल ब्लेड मेडिकल स्टोर से खरीद लिया. फिर अकेले अपने किराए के कमरे में इंजेक्शन लगाया और कमरे के नीचे का हिस्सा सुन्न हो गया. इसके बाद उसने अपने हाथों से प्राइवेट पार्ट काट दिया.
पहले शर्म से बताया नहीं, फिर दर्द सह नहीं पाया
जब तक एनेस्थिसिया इंजेक्शन का असर रहा तब तक वह सामान्य स्थिति में था, लेकिन एनेस्थिसिया का असर खत्म होते ही वह दर्द से तड़प उठा. हालांकि शर्म की वजह से किसी से कहना नहीं चाहता था. करीब एक घंटे तक कमरे में छात्र दर्द से तड़पता रहा. पहले दर्द की दवा खाई और फर्श पर पूरा ब्लड बह रहा था. इसके बाद उसने मकान मालिक को आवाज दी.
मकान मालिक ने एंबुलेंस बुलाई और उसे लेकर तेज बहादुर सप्रू बेली अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां उसकी हालत गंभीर देखते हुए उसे स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल के लिए रेफर कर दिया. युवक का कहना है कि मुझे लड़कियों में कोई इंट्रेस्ट नहीं है. मुझे लगता है कि मेरी आवाज भी लड़कियों जैसे ही है. मेरी चलने की भी स्टाइल भी लड़कियों जैसी है.
मुझे पता नहीं था, ये इतना रिस्की है- पीड़ित
छात्र का कहना है कि मुझे पता नहीं था कि इसमें मेरी जान जा सकती थी और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था. उसके मुताबिक वह जेंडर चेंज करना चाहता था, बस इसीलिए उसने यह कदम उठाया है.
बेटे की हालत देख मां डॉक्टर के जोड़ रही हाथ
वहीं बेटे की हालत देखकर मां के आंसू नहीं थम रहे हैं. देखभाल के लिए मां भी अस्पताल पहुंच गई हैं. वार्ड में जो भी डॉक्टर पहुंचता है उसे देखकर मां हाथ जोड़ ले रही हैं. सिर्फ यही गुहार लगा रही है कि उसके इकलौते बेटे को किसी तरह से पहले की तरह कर दें.
युवक को जेंडर डिस्फोरिया की बीमारी- डॉक्टर
एसआरएन अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन संतोष सिंह के मुताबिक छात्र जेंडर आईडेंटिटी डिसऑर्डर या जेंडर डिस्फोरिया की बीमारी से पीड़ित है. उसने अपने हाथ से ही अपना प्राइवेट पार्ट काट लिया है. जब वह अस्पताल लाया गया था तो प्राइवेट पार्ट से काफी ब्लीडिंग हो रही थी. उनके मुताबिक इस बीमारी में मरीज को लगता था कि वह लड़की है, इसलिए उसने अपनी जान जोखिम में डाल दिया.
डॉ. संतोष सिंह के मुताबिक छात्र की मनोचिकित्सक के जरिए भी काउंसिलिंग कराई जाएगी और उनकी राय भी ली जाएगी. डॉक्टर संतोष सिंह के मुताबिक इस तरह का केस पहली बार आया है. काउंसिलिंग के बावजूद यदि वो जेंडर चेंज करना चाहेगा तो उसे पहले एक साल तक इलाज और हार्मोन की दवा चलाने के बाद जेंडर चेंज करने की प्रक्रिया की जा सकती है. इसके लिए सेक्स री-एसाइनमेंट सर्जरी की जरूरत पड़ती है. इसके लिए मेडिकल की एक मल्टी डिसिप्लिनरी टीम होती है. इस टीम में सर्जन, प्लास्टिक सर्जन, मनोचिकित्सक,यूरोलॉजिस्ट सभी शामिल होते हैं.
स्टोरी: पंकज श्रीवास्तव
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