मेरठ के खरखौदा गांव में दो घरों के बीच चल रही दोस्ती ने ऐसा मोड़ लिया कि गांव मातम में डूब गया. गांव के दीपांशु और उसी गांव की 15 साल की लड़की जोया (बदला हुआ नाम) बचपन से ही एक-दूसरे के घर आते-जाते थे. धीरे-धीरे ये दोस्ती प्यार में बदल गई. जोया नाबालिग थी लेकिन वह दीपांशु से शादी करने का सपना देखने लगी थी.
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पिछले दो साल से दोनों एक-दूसरे से मिलते रहे लेकिन जैसे ही परिवारों को यह बात पता चली तो परिवार वालों मे दोनों के बीच दीवार खड़ी कर दी गई. अलग-अलग धर्मों का मामला होने और लड़की के नाबालिग होने के कारण घरवालों ने इस प्रेम कहानी को पूरी तरह नामंजूर कर दिया.
काउंसलिंग के दौरान आई मौत की खबर
शुक्रवार को जोया की बुआ उसे समझाने के लिए महिला ग्राम प्रधान संयोगिता के घर लेकर पहुंचीं. वो वहां इसलिए पहुंची थी कि किसी तरह लड़की को समझाया जाए कि अभी वह छोटी है और इस रिश्ते पर फिलहाल रोक लगानी चाहिए. प्रधान ने उसे समझाने की कोशिश भी की और फिर रसोई में चाय बनाने चली गईं.
इसी बीच गांव में यह खबर फैल गई कि दीपांशु ने जंगल में फांसी लगाकर जान दे दी. यह सुनते ही जोया बुरी तरह घबरा गई. जानकारी अधूरी थी, असली बात ये थी कि दीपांशु ने खुदकुशी करने की कोशिश जरूर की थी लेकिन वह जिंदा था और अस्पताल में इलाज चल रहा था.
झूठी खबर का भयानक असर
इस वायरल खबर के बाद दीपांशु को मरा हुआ समझकर जोया टूट गई. वह उसे देखने जाने की जिद करती रही. बताया गया कि वह वहां गई भी लेकिन बाद में वापस लौट आई. लौटने के कुछ ही मिनट बाद उसने ग्राम प्रधान कार्यालय में दुपट्टे से फांसी लगाकर खुद अपनी जान ले ली.
गांव वालों को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि सिर्फ एक अफवाह ने पंद्रह साल की किशोरी की जिंदगी हमेशा के लिए खत्म कर दी.
अब आरोप और विवाद
किशोरी की मौत के बाद दोनों परिवार आमने-सामने आ गए. जोया के घर वालों का दावा है कि उनकी बेटी की हत्या की गई है. जबकि दीपांशु के परिवार का आरोप है कि लड़की के परिवारवाले उनके बेटे और पूरे परिवार को फंसाने की साजिश कर रहे हैं.
पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और पूरी जांच शुरू कर दी है. मामला संवेदनशील है, इसलिए पुलिस सतर्कता के साथ कदम उठा रही है.
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