IPS Shivangi Goel: सोशल मीडिया पर शिवांगी गोयल का ये किस्सा क्यों वायरल, CJI Gavai ने ऐसा कहा!

IPS Shivangi Goel: शिवांगी गोयल काे सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अपने पूर्व पति औऱ उनके परिवार से एक पब्लिक अपॉलजी देने को कह दिया. कारण जानकार आप हैरान रह जाएंगे कि सोशल मीडिया पर दिख रही सक्सेस स्टोरी के पीछे कितना बड़ा फेल्योर है. इसलिए आज का चर्चित चेहरा बनी हैं शिवांगी गोयल.

IPS Shivangi Goel:
IPS Shivangi Goel

रूपक प्रियदर्शी

25 Jul 2025 (अपडेटेड: 25 Jul 2025, 12:40 PM)

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IPS Shivangi Goel: उत्तर प्रदेश के हापुड़ की रहने वाली एक महिला ने घरेलू हिंसा का शिकार होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और एक बेटी की मां ने होने के बावजूद भी यूपीएससी एग्जाम क्रैक किया. 2022 में जब 2021 वाला यूपीएससी रिजल्ट घोषित हुआ तो ये सक्सेस स्टोरी सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई. यह कहानी वायरल इसलिए ज्यादा हुई क्योंकि यह एक महिला के संघर्ष की वो कहानी बता रही थी जहां ससुराल वालों की प्रताड़ना से तंग एक महिला, पति की डोमेस्टिक वायलेंस से जूझ रही महिला, डिवोर्स के लिए कोर्ट के चक्कर काटती है. 7 साल की बच्ची को अकेले पालती है और इन सारी कठिनाइयों के बीच भी यूपीएससी की परीक्षा पास कर लेती है. 117वीं रैंक पा जाती है. आईपीएस बन जाती है. नाम है शिवांगी गोयल.

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UPSC के लिए प्रिंसिपल ने किया मोटीवेट 

2022 के बाद 2025 में अब फिर शिवांगी गोयल की चर्चा इसीलिए है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अपने पूर्व पति और उनके परिवार से एक पब्लिक अपॉलॉजी देने को कह दिया. कारण जानकर आप हैरान रह जाएंगे. हैरान रह जाएंगे यह जानकर कि सोशल मीडिया पर दिख रही सक्सेस स्टोरी के पीछे का फेल्योर कितना बड़ा है. इसीलिए आज का चर्चित चेहरा बनी हैं शिवांगी गोयल.

शुरुआत में दो बार मिली असफलता

उत्तर प्रदेश के हापुड़ में जन्मी, पिलखुवा की रहने वाली शिवांगी गोयल, पिता राजेश गोयल व्यापारी हैं. माता होममेकर हैं. जिस वक्त शिवांगी की कहानी सोशल मीडिया पर 2022 में वायरल हुई तब उन्होंने बताया था कि यूपीएससी की तैयारी करने का आइडिया उन्हें उनके प्रिंसिपल ने दिया था. वो शादी से पहले ही आईएएस अधिकारी बनना चाह रही थीं. दो बार उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी भी लेकिन वह क्रैक नहीं कर पाईं.

शादी के बाद उत्पीड़न, फिर मायके से की तैयारी

फिर शिवांगी की शादी दिल्ली बेस्ड बिजनेसमैन से 2015 में हो गई. उनका आरोप था कि ससुराल वाले उन्हें प्रताड़ित करते थे. 7 साल की बेटी को लेकर शिवांगी वापस अपने घर आ गईं. पिताजी ने कहा जो करना चाहती हो कर लो. शिवांगी के मन में आया क्यों न फिर से यूपीएससी की तैयारी की जाए. क्या पता मैं आईएएस बन जाऊं. 170वीं रैंक हासिल कर भी ली.

पत्रकारों से बात करते हुए शिवांगी ने जो कहा उससे मिसाल बनीं कि प्रताड़ना के बाद भी महिलाएं अपनी पहचान खोज सकती हैं. आत्मनिर्भर बन सकती हैं. शिवांगी ने भी अपनी कहानी को वैसा ही प्रेजेंट किया. कहा था कि मैं समाज की उन शादीशुदा महिलाओं को यह संदेश देना चाहती हूं कि यदि उनके साथ ससुराल में कुछ भी गलत हो तो वह डरें नहीं. उन्हें अपने पैरों पर खड़े होकर दिखाना चाहिए. महिलाएं चाहें तो कुछ भी कर सकती हैं. शिवांगी को रोल मॉडल की तरह देखा गया था.

पति और ससुर ने जेल में गुजारे दिन

लेकिन 3 साल बाद सुप्रीम कोर्ट में जब शिवांगी गोयल का मामला आया तो गजब फजीहत हो गई. दरअसल शिवांगी ने अपने पति और उसके पूरे परिवार पर कुल छह आपराधिक केस किए थे. इनमें गंभीर धाराएं शामिल थीं. जैसे आईपीसी की धारा 498ए, घरेलू हिंसा, 307 यानी हत्या की कोशिश, 376 यानी यौन उत्पीड़न और 406 विश्वासघात. इनसे अलग तीन केस घरेलू हिंसा कानून के तहत और फैमिली कोर्ट में तलाक, भत्ते जैसे मामले भी दायर किए गए थे. इन्हीं मामलों के चलते शिवांगी के पूर्व पति को 109 दिनों के लिए जेल रहना पड़ा और ससुर को 103 दिनों के लिए. समझ यह आया कि महिला आईपीएस, एक अधिकारी ने अपने पूर्व पति और ससुराल वालों को झूठे मुकदमे में फंसाकर जेल भिजवा दिया था.

शिवांगी और पति के बीच कानूनी जंग पहुंची कोर्ट

22 जुलाई 2025 को शिवांगी गोयल का मामला सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच के सामने आ गया. शिवांगी ने पति के खिलाफ यूपी की अदालतों में डोमेस्टिक वायलेंस, रेप केस, इनकम टैक्स कंप्लेंट्स कर दी थीं. वहीं, पति ने शिवांगी के खिलाफ दिल्ली की रोहिणी कोर्ट में केस डाल दिए थे.

पति ने शिवांगी पर मानहानि यानी डिफेमेशन का मुकदमा डाला और उनके आईपीएस कैंडिडेचर तक भी सवाल उठा दिए थे. वहीं शिवांगी गोयल ने डिवोर्स मांगा था. किसी तरह की एलिमनी या मेंटेनेंस को फॉरगो करते हुए मांग नहीं की. फिर कुछ ऐसा हुआ कि सीजेआई ने शिवांगी को उनके पूर्व पति और उनके परिवार से पब्लिक अपॉलॉजी देने के लिए कह दिया. साथ ही चेतावनी भी दी.

बताया माफी का पूरा फॉर्मेट 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़ित पति और उनका परिवार जो कुछ उन्होंने सहा, उसकी भरपाई या क्षतिपूर्ति किसी भी तरह से नहीं की जा सकती. आईपीएस शिवांगी और उनके माता-पिता अपने पति और उनके परिवार के सदस्यों से बिना शर्त माफी मांगेंगे, जिसे एक पॉपुलर अंग्रेजी और हिंदी अखबार के राष्ट्रीय संस्करण में प्रकाशित किया जाएगा.

इस तरह की माफी को फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी पब्लिश और सर्कुलेट किया जाएगा. सीजेआई गवई की कोर्ट ने कहा कि इस तरह की माफी को बोझ मानने के तौर पर नहीं माना जाएगा और इसका कानूनी अधिकारों, दायित्वों या कानून के तहत पैदा होने वाले परिणामों पर कोई असर नहीं होगा.

सख्त चेतावनी, ताकत का दुरुपयोग न करें

कोर्ट ने शिवांगी को कहा कि माफी आपको आदेश के 3 दिन के अंदर पब्लिश करानी होगी. साथ ही कोर्ट ने यह भी बताया कि माफी लिखनी कैसे है. पूरा फॉर्मेट कोर्ट की तरफ से बताया गया. कोर्ट ने आईपीएस शिवांगी को यह भी चेतावनी दी कि वह अपने पद या ताकत या अपने किसी अवसर या जान-पहचान वालों की ताकत का इस्तेमाल पति और उसके परिवार के खिलाफ अब या भविष्य में नहीं करेंगी. दूसरी तरफ कोर्ट ने शिवांगी के पति और उसके परिवार को भी चेतावनी दी कि वह इस पब्लिक अपॉलॉजी का इस्तेमाल किसी भी कोर्ट या संस्था में शिवांगी के खिलाफ नहीं करेगा. वरना यह कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी.

कोर्ट ने दिया केस खत्म करने का आदेश

कोर्ट ने इस फैसले में संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेष अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए दोनों का तलाक मंजूर किया. साथ ही सभी केसों को खत्म करने का आदेश भी दे दिया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा आदेश भी दिया जो नजीर बन जाएगा. कोर्ट ने कह दिया जब कोई महिला अपने ससुराल पक्ष के खिलाफ दहेज प्रताड़ना एक्ट के तहत केस दर्ज कराए तो पुलिस 2 महीने तक पति या उसके रिश्तेदारों को गिरफ्तार न करें. इलाहाबाद हाई कोर्ट के ऑर्डर को अंडरलाइन किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट का आदेश बना नजीर

बता दें आईपीसी की 498ए के दुरुपयोग की चर्चा होती रही है. मई 2025 में भी सुप्रीम कोर्ट ने 26 साल पुराने दहेज और क्रूरता के एक मामले में एक व्यक्ति को बरी करते हुए कहा था कि हम इस बात से व्यथित हैं कि किस प्रकार आईपीसी की धारा 498ए और दहेज निषेध अधिनियम 1961 के तहत अपराधों को दुर्भावनापूर्ण तरीके से शामिल किया जा रहा है.

इस कड़ी में शिवांगी गोयल केस के बहाने सुप्रीम कोर्ट का यह कहना कि दहेज प्रताड़ना मामलों में 2 महीने तक गिरफ्तारी नहीं हो सकती. यह आदेश अपने आप में नजीर पेश करता है. क्योंकि शिवांगी के पति और ससुर को इन सभी मामलों में 100 से ज़्यादा दिनों तक जेल में रहना पड़ा.

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