11 जुलाई 2025 से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तराखंड सरकार ने साफ कर दिया है कि यात्रियों की सेहत से किसी भी तरह से समझौता नहीं किया जाएगा. उत्तराखंड सरकार ने साफ-साफ निर्देश दिए हैं कि कांवड़ मार्ग पर जितने भी होटल, ढाबे, ठेले या खाद्य व्यवसाय से जुड़े लोग हैं सभी को अपने पास वैध फूड लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन रखना होगा. अगर कोई कारोबारी इस नियम की अनदेखी करता है तो उस पर ₹2 लाख तक का जुर्माना लग सकता है.
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दुकानों पर साफ-साफ नेम प्लेट और लाइसेंस जरूरी
स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि हर दुकान या फूड स्टॉल पर लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट ऐसी जगह लगाया जाए, जहां से ग्राहक उसे आसानी से देख सके. इसके साथ ही ‘फूड सेफ्टी डिस्प्ले बोर्ड’ भी होना चाहिए ताकि यह पता चल सके कि खाने की गुणवत्ता की जिम्मेदारी किसकी है.
छोटे ठेले या फेरी वालों को भी बिना रजिस्ट्रेशन व्यापार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. नियमों का उल्लंघन करने पर न केवल जुर्माना लगेगा, बल्कि जरूरत पड़ने पर दुकान भी सील की जा सकती है.
भंडारे और पंडाल भी निगरानी में
अधिकारियों का कहना है कि सिर्फ कावड़ यात्रा के दौरान केवल बाजार या होटल ही नहीं, बल्कि पंडालों और भंडारों में भी परोसे जा रहे खाने की गुणवत्ता की जांच की जाएगी. दूध, मिठाई, तेल, मसाले, और पेय पदार्थों के नमूने लिए जाएंगे और अगर कोई चीज़ मानकों पर खरी नहीं उतरी तो उस जगह को फौरन बंद कर दिया जाएगा.
नेताओं ने जताई आपत्ति
इस आदेश पर कुछ नेताओं और संगठनों ने नाराजगी जताई है.
भाकियू (भारतीय किसान यूनियन) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने इस फैसले पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि रोजी-रोटी का सवाल है, किसी धर्म या समुदाय के नाम पर भेदभाव नहीं होना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमान भी फल बेचते हैं, कांवड़ बनाते हैं, ऐसे में जरूरी है कि समाज में जहर न घोला जाए. इतना ही नहीं, टिकैत ने डाक कांवड़ की तेज आवाज और 'आंखें चुभाने वाली लाइट्स' पर भी सख्ती की मांग की. उनका कहना है कि श्रद्धा के इस पर्व में शांति और मर्यादा बनी रहनी चाहिए.
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा- जाएंगे सुप्रीम कोर्ट
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने उत्तराखंड सरकार के फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया. उन्होंने कहा कि यह फैसला खास समुदाय को नाराज करने और एक दूसरे से लड़वाने की कोशिश है. साथ ही उन्होंने कहा कि वह इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे.
स्वास्थ्य विभाग का पक्ष भी जान लीजिए
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर. राजेश कुमार ने साफ कहा है कि इस बार कांवड़ यात्रा में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने बताया कि हरिद्वार, देहरादून, टिहरी, पौड़ी और उत्तरकाशी में स्पेशल टीमों की तैनाती की गई है जो खाद्य सामग्री की जांच करेंगी और जहां भी गड़बड़ी मिलेगी वहां तुरंत कार्रवाई होगी.
नियम सबके लिए बराबर
उत्तराखंड सरकार का मकसद श्रद्धालुओं को साफ और सुरक्षित खाना देना है, लेकिन कुछ लोगों को यह नियम पक्षपातपूर्ण लग रहे हैं. धार्मिक यात्राओं में व्यवस्थाओं का सख्ती से पालन ज़रूरी होता है, लेकिन अगर इन नियमों को लागू करने में भेदभाव की बू आई, तो यह सामाजिक टकराव को भी जन्म दे सकता है.
इनपुट- कृष्ण गोपाल राज
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