What is Flash Flood: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में मंगलवार को गंगोत्री के पास हर्षिल में बादल फटने से पूरा इलाका तहस-नहस हाे गया. देखते ही देखते फ्लैश फ्लड ने धराली गांव के नदी किनारे मौजूद मकानों, होटलों और होमस्टे को तबाह कर दिया. इससे पहले भी ये फ्लैश फ्लड कई बार विनाश का कारण बन चुका है. बताया जाता है कि फ्लड्स के बाकी प्रकारों से सबसे भयानक और अनप्रेडिक्टेबल फ्लैश फ्लड होता है. ये कुछ की मिनटों में अपने सामने आने वाली चीजाें को बर्बाद कर देता है. कहा जाता है कि अक्सर एक्सपर्ट भी इसके आने का अंदाजा नहीं लगा पाते हैं. आइए जानते हैं कि यह आखिर है क्या और क्यों यह इतनी तबाही मचाती है.
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फिलहाल, इस समय उत्तरकाशी में सेना, SDRF, NDRF की टीमें युद्ध स्तर पर लोगों काे रेस्कयू का कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही हैं. अब तक 130 से ज्यादा लाेगों सुरक्षित स्थानों पर भेज जा चुका है. वहीं, इस हादसे में अबतक 5 लोगाें की मौत हो चुकी है, 11 जवान समेत 70 लोग लापता हैं और 190 लोगों का रेस्क्यू कर लिया गया है. इसके साथ ही कई लोगों के मलबे में दबने की आशंका है.
क्या है Flash Flood?
फ्लैश फ्लड बाढ़ का एक प्रकार है. ये बिना किसी चेतावनी के अचानक आ जाता है. जानकारी के अनुसार, फ्लैश फ्लड कुछ ही मिनटों या घंटों में इतना पानी भर देता है कि बचने का मौका ही नहीं मिलता. इसकी सबसे बड़ी वजह अचानक और बहुत तेज बारिश या बादल फटना होती है. आमतौर पर मौसम विभाग के एक्सपर्ट भी इसका सटीक पूर्वानुमान नहीं लगा पाते.
कितने प्रकार के होते हैं Flood
- फ्लैश फ्लड
- रिवर फ्लड
- कोस्टल फ्लड
- अर्बन फ्लड
- फ्लविअल फ्लड
उत्तराखंड के कुछ बड़े Flash Flood हादसे
उत्तराखंड में फ्लैश फ्लड के कई भयावह उदाहरण मौजूद हैं.
- 2025 में जून में बादल फटने से यमुनोत्री नेशनल हाइवे पर फ्लैश फ्लड आ गया था
- 2024 में अगस्त में केदारनाथ घाटी में भी बादल फटाने के बाद ऐसी ही स्थिति बनी
- 2022 में अगस्त में देहरादून, टिहरी और पौड़ी में बादल फटने से तबाही मची थी
- 2022 में सितंबर में धारचूला (पिथौरागढ़) में फ्लैश फ्लड की वजह से काली नदी में बाढ़ आ गई थी
सूखे इलाकों में भी आ सकती है बाढ़
फ्लैश फ्लड पहाड़ी इलाकों के साथ ही बंजर या सूखे इलाकों में भी आ सकता है. बता दें कि अगर किसी जगह पर लगातार सामान्य से अधिक समय तक तेज बारिश हो रही है तो ऐसे में वहां की जमीन अतिरिक्त पानी को सोख नहीं पाती. ऐसे में यही पानी बाढ़ का रूप ले लेता है. वहीं, दशकों से सूखे से जूझ रहे इलाकाें में जहां पानी की कमी से जमीन सख्त हो चुकी हो. यहां बारिश का पानी सूख नहीं पाता.इसके कारण वॉटर का लेवल बढ़ जाता है. इसी को फ्लैश फ्लड कहा जाता है.
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