घर में कनखजुरा निकलने का क्या मतलब होता है, वास्तु शास्त्र में छुपा है इसका अनोखा राज, जानिए

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Vastu Shastra: घर में निकलने वाले ये कीड़े न केवल घर में नमी और गंदगी की ओर इशारा करते हैं, बल्कि ये राहु, केतु और शनि जैसे ग्रहों से जुड़े दोषों को भी दर्शाते हैं.

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Vastu Shastra: क्या आपके घर में कनखजुरा जैसी रेंगने वाले कीड़े दिखाई देते हैं? वास्तु शास्त्र के अनुसार, यह महज संयोग नहीं, बल्कि एक गंभीर वास्तु दोष का संकेत हो सकता है. मशहूर वास्तु और ज्योतिष विशेषज्ञ कमल नंदलाल ने अपने विश्लेषण में बताया कि ये कीड़े न केवल घर में नमी और गंदगी की ओर इशारा करते हैं, बल्कि ये राहु, केतु और शनि जैसे ग्रहों से जुड़े दोषों को भी दर्शाते हैं.

इस लेख में हम जानेंगे कि ये समस्याएं क्यों होती हैं, इनके पीछे वास्तु दोष के कारण क्या हैं और इनसे छुटकारा पाने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं.

कनखजुरा: वास्तु दोष और ग्रहों का संबंध

कमल नंदलाल के अनुसार, कनखजुरा जैसे सौ पैरों वाले जीव घर में तब प्रकट होते हैं, जब वास्तु में असंतुलन होता है. ये कीड़े राहु, केतु और शनि ग्रहों से जुड़े होते हैं.  

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  • राहु: इनका मुंह राहु का प्रतीक है, जो अचानक रोग और हानि का कारण बन सकता है.  
  • केतु: इनकी पूंछ केतु को दर्शाती है, जो वायरल रोगों और संपत्ति के नुकसान से संबंधित है.  
  • शनि: इनका खंडित शरीर शनि का प्रतीक है, जो हड्डियों से जुड़ी बीमारियों और आर्थिक परेशानियों को जन्म देता है.

नंदलाल बताते हैं कि ये कीड़े विशेष रूप से नम जगहों जैसे नालियों, वॉशरूम और पुरानी इमारतों में पाए जाते हैं. अगर आपके घर के आसपास बरगद, पीपल या बबूल जैसे बड़े पेड़ हैं, तो यह समस्या और बढ़ सकती है.

वास्तु दोष के मुख्य कारण

कमल नंदलाल ने कुछ प्रमुख वास्तु दोषों को चिह्नित किया, जो इस समस्या को जन्म देते हैं:  

  • दक्षिण-पश्चिम दिशा (नैऋत्य कोण) का हल्का होना: अगर यह दिशा नीची है या इसमें गटर बना है, तो वास्तु दोष बढ़ता है.  
  • उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) का ऊंचा होना: इस दिशा में टॉयलेट या भारी निर्माण होना भी दोष का कारण है.  
  • पश्चिम दिशा में कमी: यह शनि से जुड़ी दिशा है, और इसकी कमजोरी आर्थिक नुकसान लाती है.  
  • छत पर कूड़ा-करकट या ईंधन: इससे नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है.  
  • बेसमेंट में खालीपन: खासकर दक्षिण-पश्चिम दिशा में खाली जगह होने से दोष उत्पन्न होता है.

इन संकेतों से होने वाली परेशानियां

कमल नंदलाल के मुताबिक, ये वास्तु दोष कई तरह की समस्याएं पैदा करते हैं:  

  • राहु: तपेदिक, बैक्टीरियल इंफेक्शन और अचानक नुकसान.  
  • केतु: वायरल रोग, संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा जुए या सट्टे में हारना.  
  • शनि: हड्डियों की बीमारी, कमाई में रुकावट.

वास्तु दोष दूर करने के आसान उपाय

कमल नंदलाल ने इन समस्याओं के समाधान के लिए कुछ प्रभावी उपाय सुझाए हैं:  

  • उत्तर-पूर्व दिशा को साफ रखें: अगर इस दिशा में टॉयलेट है, तो उसे प्रयोग न करें. जरूरत पड़ने पर वहां सिट्रीन पिरामिड (1 इंच x 1 इंच) रखें.  
  • दक्षिण-पश्चिम दिशा में सुधार: नमी या बदबू की समस्या हो, तो काले हकीक का पिरामिड लगाएं.  
  • पश्चिम दिशा को मजबूत करें: कमाई बढ़ाने के लिए लैपिस लजुली पिरामिड (छुईमुई) का प्रयोग करें.  
  • पिरामिड की देखभाल: इन्हें नमक के पानी में कांच के कटोरे में रखें. हर हफ्ते पानी बदलें और धूप में सुखाकर दोबारा रखें.

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