बिजली से दमकता बिहार! 20 साल में 12 गुना बढ़ी खपत, 70 यूनिट से बढ़कर 374 यूनिट तक पहुंची प्रति व्यक्ति खपत

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20 सालों में बिजली खपत में 12 गुना बढ़ोतरी! बिहार में प्रति व्यक्ति खपत 70 से बढ़कर 374 यूनिट हुई. हर घर तक पहुंची बिजली, अब उजाले की रफ्तार तेज.

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बिहार अब अंधेरे से उजाले की ओर सिर्फ नहीं बढ़ा है, बल्कि इस वक्‍त अपनी रफ्तार पर है. बीते 20 वर्षों में बिजली की मांग, खपत और आपूर्ति जिस तेजी से बढ़ी है, वह एक ‘ऊर्जावान बिहार’ की तस्वीर दर्शाने के लिए काफी है. जो संभव हुआ है बिहार सरकार के मुखिया नीतीश कुमार के 20 सालों के अथक प्रयास से. साल 2005 में जहां राज्य की अधिकतम बिजली खपत महज 700 मेगावाट हुआ करती थी, वहीं ये आंकड़ा 2025 में जून तक बढ़कर 8,428 मेगावाट तक पहुंच गया है. 

प्रति व्‍यक्ति पांच गुना बिजली खपत में इजाफा 

बिहार वो राज्‍य है जो बिजली की तेजी से विकास पथ पर रफ्तार पकड़ रहा है. ये बात इन आंकड़ों से साबित होती है कि जिस राज्‍य में बीस साल पहले महज 700 मेगावाट बिजली खपत हुआ करती थी, वहीं ये आंकड़ा 2025 में जून तक बढ़कर 8,428 मेगावाट तक पहुंच गया है. यानी ये, 12 गुना से भी अधिक का उछाल है. यही नहीं, प्रति व्यक्ति खपत में भी पांच गुना का इजाफा दर्ज किया गया है. जो 70 यूनिट से बढ़कर 374 यूनिट पहुंच गया है.

यूं ही नहीं आया बदलाव...

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साल 2018 में "मुख्यमंत्री विद्युत संबंध निश्चय योजना की शुरुआत की, जो बाद में ‘सौभाग्य योजना’ हो गई. इस योजना के तहत राज्य के कमजोर तबके तक, हर घर को बिजली पहुंचा दी गई. और वो भी तय समय से पांच महीने पहले. इस बड़ी पहल ने बिहार को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत आधार दिया है.

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हर गांव, हर घर रोशनी का वादा हुआ पूरा

राज्य सरकार का लक्ष्य केवल शहरों को रोशन करना नहीं है, बल्कि हर गांव, टोला और घर तक बिजली पहुंचाना है. आज बिहार के लगभग 100 फीसद घरों में बिजली कनेक्शन है. ऊर्जा विभाग की रिपोर्ट बताती है कि पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के साथ-साथ अक्षय ऊर्जा पर भी तेजी से ध्यान दिया जा रहा है, ताकि भविष्य में मांग के अनुसार ऊर्जा की सप्लाई सुनिश्चित हो सके.

सिर्फ बिजली नहीं, विकास की रफ्तार भी!

आज जहां बिहार के गांव-गांव के घरों में बल्ब जल रहे हैं, कारखाने, कोल्ड स्टोरेज, स्टार्टअप्स और डिजिटल सेवाएं निर्बाध रूप से काम कर रही हैं. किसानों को खेत में पंप चलाने के लिए बिजली मिल रही है, तो वहीं, बच्चे रात में भी पढ़ पा रहे हैं. बिजली की रोशनी ने बिहार से सिर्फ अंधेरा नहीं हटाया है, बल्कि अवसरों की सुबह ला दी है.

बिहार मॉडल से रोशन हो रहा भविष्य

आज का बिहार, 20 साल पहले वाले बिहार से पूरी तरह अलग है. जहां बिजली कटौती आम बात थी, वहीं अब लगभग हर गांव को 24 घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित हो रही है. ये किसी प्रदेश के बदलाव की कहानी है. बिजली सिर्फ सुविधा नहीं, सशक्तिकरण का प्रतीक है। बिहार इस बदलाव का चमकता उदाहरण है.

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