बिहार में गर्मियों से पहले जल संकट से निपटने की तैयारी, 1.20 लाख चापाकलों की मरम्मति शुरू

NewsTak

Bihar News: बिहार सरकार ने गर्मी के मौसम में संभावित पेयजल संकट से निपटने के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार की है. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने पूरे राज्य में चापाकलों की मरम्मति, टैंकर से आपूर्ति, जल गुणवत्ता सुधार, और पशुओं के लिए जल प्रबंधन को प्राथमिकता दी है.

ADVERTISEMENT

NewsTak
Representational Image
social share
google news

राज्य सरकार ने आगामी ग्रीष्म ऋतु के दौरान संभावित जल संकट से निपटने की तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) द्वारा इस संबंध में व्यापक कार्ययोजना तैयार की गयी है. मंत्री नीरज कुमार सिंह के मुताबिक, चापाकलों की मरम्मति एवं रखरखाव के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है. जिन पंचायतों में भू-जल स्तर नीचे चला गया है, वहां राइजर पाइप बढ़ाकर चापाकलों को क्रियाशील बनाए रखने की व्यवस्था की जा रही है. 
        
मंत्री नीरज सिंह ने बताया कि मौजूदा वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए कुल 1520 नए चापाकलों के निर्माण की अग्रिम स्वीकृति दी जा चुकी है. साथ ही, निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप राज्यभर में कुल 1,20,749 चापाकलों की मरम्मति का कार्य शुरू कर दिया गया है. सभी चापाकलों की मरम्मति की रिपोर्ट ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज की जा रही है और जिओ टैग्ड फोटोग्राफ एवं सामाजिक प्रमाणिकरण भी प्राप्त किये जा रहे हैं. 

गर्मी में पेयजलापूर्ति की चुनौती से निपटने के लिए लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री नीरज कुमार सिंह ने अधिकारियों को व्यापक दिशा-निर्देश दिए हैं. सर्वप्रथम अकार्यरत चापाकलों की तत्काल मरम्मति कराने एवं जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में 'हर घर नल का जल' संरचनाओं के अतिरिक्त टैंकरों के माध्यम से जल आपूर्ति कराने का उन्होंने निर्देश दिया है. सार्वजनिक स्थलों, विद्यालयों और महादलित टोलों में चापाकलों को प्राथमिकता के आधार पर दुरुस्त किया जा रहा है. साथ ही भूजल स्तर में सम्भावित गिरावट को देखते हुए पंचायत स्तर पर जल स्रोतों की स्थिति का दैनिक आधार पर आकलन किया जा रहा है. 
       
जिन क्षेत्रों में भूजल का स्तर अत्यधिक नीचे चले जाने से जलापूर्ति योजनाएं प्रभावित होती हैं , वहां टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति सुनिश्चित की जा रही है. जल संकटग्रस्त पंचायतों को प्राथमिकता के आधार पर जल वितरण का रूट चार्ट तैयार किया गया है, ताकि किसी भी गांव या टोले में पेयजल की कमी न हो. पूरी व्यवस्था की जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष के माध्यम से निगरानी भी की जा रही है. इसके साथ ही विभाग के स्तर से जल गुणवत्ता को लेकर विशेष अभियान चलाया जा रहा है.

इसके तहत उन जलस्रोतों को लाल रंग से चिह्नित किया जा रहा है, जिनमें आर्सेनिक, फ्लोराइड या आयरन की मात्रा मान्य सीमा से अधिक पाई गई है. साथ ही, "हर घर नल का जल" योजना के तहत स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों को जोड़ने का काम भी तेज कर दिया गया है. इसके अलावा गर्मी के मौसम में पशुओं के लिए भी पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने की विभाग द्वारा पहल की गई है. राज्य में कुल 261 कैटल ट्रफ (पशु प्याऊ) का निर्माण किया गया है और इनकी क्रियाशीलता सुनिश्चित करने के लिए इसका भौतिक सत्यापन भी किया जा रहा है. 
       
विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार ने गर्मी के मौसम में राज्य के सुखाग्रस्त हिस्सों में सम्भावित भूजल स्तर में आने वाली गिरावट के कारण उत्पन्न पेयजल की समस्या से निपटने की तैयारियों पर पिछले दिनों सभी क्षेत्रीय कार्यपालक अभियंताओं के साथ बैठक भी की है.

यह भी पढ़ें...

    follow on google news