EPF से पैसा निकालने पर पड़ सकता है आपकी पेंशन पर असर, जानिए कब और कैसे

बृजेश उपाध्याय

EPF से पैसा निकालने पर आपकी पेंशन खतरे में पड़ सकती है. जानें कि EPS से राशि निकालने पर पेंशन कैसे प्रभावित होती है और कब न निकालना ही बेहतर होता है.

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तस्वीर: न्यूज तक.
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अगर आप नौकरीपेशा हैं और EPF (Employees' Provident Fund) में योगदान कर रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है. अक्सर नौकरी बदलते समय या किसी जरूरत पर लोग EPF से पैसा निकाल लेते हैं. पर क्या आपने कभी सोचा है कि इसका असर आपकी भविष्य की पेंशन पर भी पड़ सकता है?

दरअसल, EPF के साथ-साथ हर कर्मचारी के खाते में EPS (Employees' Pension Scheme) का भी हिस्सा जुड़ता है, जो आपकी रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली मासिक पेंशन तय करता है. Personal Finance की इस सीरीज में पेंशन का पूरा कैलकुलेशन बताने के साथ हम ये भी बताएंगे कि PF का पैसा बीच में निकालने पर इसपर क्या असर पड़ता है? 

अगर आप EPF से केवल आंशिक निकासी करते हैं- जैसे घर खरीदने, मेडिकल या शादी के लिए तो आपकी पेंशन पर कोई असर नहीं पड़ता, लेकिन अगर आप पूरे पैसे निकाल लेते हैं, खासकर EPS से, और आपकी सेवा 10 साल से कम रही है, तो भविष्य में आपको पेंशन नहीं मिलेगी. 

कैसे होता है EPF का कैलकुलेश?

  • कर्मचारी का 12% बेसिक + डीए जाता है EPF में.
  • नियोक्ता (employer) भी 12% योगदान करता है.
  • इसमें से 8.33% EPS (पेंशन फंड) में जाता है, लेकिन एक सीलिंग लिमिट है.

EPS की पूरी गणित

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  • माना कि बेसिक + DA = ₹30,000
  • कर्मचारी PF: ₹3,600 (12%)
  • नियोक्ता PF: ₹3,600
  • इसमें से EPS (8.33% of ₹15,000) नियोक्ता के कंट्रीब्यूशन से जाएगा = ₹1,250
  • बाकी PF में = ₹2,350
  • यानी कुल PF योगदान = ₹3,600 + ₹2,350 = ₹5,950
  • मंथली EPS योगदान = ₹1,250

नोट: EPS की अधिकतम गणना ₹15,000 की बेसिक सैलरी पर ही होती है, भले ही आपकी सैलरी ज्यादा हो.

EPS पेंशन कब और कितनी?

सुपरएनुएशन पेंशन

  • पात्रता: 58 वर्ष की उम्र + कम से कम 10 साल की सेवा
  • (पेंशन योग्य वेतन × सेवा वर्ष) / 70
  • (₹15,000 × 20 साल) / 70 = ₹4,286 मंथली पेंशन

अर्ली पेंशन (Early Pension)

  • पात्रता: 50 वर्ष की उम्र + 10 साल सेवा
  • हर साल 4% की कटौती
  • 8 साल पहले लेने पर 32% कटौती
  • ₹4,286 − 32% = ₹2,915 प्रति माह

विधवा/विधुर पेंशन

  • कर्मचारी की मृत्यु के बाद जीवनसाथी को पेंशन
  • शर्त: EPS में 10 साल सेवा
  • पेंशन = सुपरएनुएशन के बराबर

बच्चों की पेंशन

  • कर्मचारी की मृत्यु पर अधिकतम 2 बच्चों को 25 वर्ष की उम्र तक पेंशन.
  • माता/पिता को मिलने वाली पेंशन राशि का 25% प्रति बच्चों को मिलता है. 
  • यदि माता/पिता को 4,286 रुपए महीने की पेंशन मिल रही है तो प्रति बच्चे को 1071 रुपए के मंथली मिलेगा. 

ऑर्डिनरी फैमिली पेंशन (Ordinary Family Pension)

  • यदि कर्मचारी की मृत्यु नौकरी के दौरान हो जाती है और उसकी कुल सेवा अवधि 7 साल से कम है, तो उसके परिवार को "ऑर्डिनरी फैमिली पेंशन" दी जाती है.
  • इस स्थिति में कर्मचारी के पति या पत्नी (नॉमिनी) को सरकार की तय न्यूनतम फैमिली पेंशन दी जाती है, जो फिलहाल ₹1,000 प्रति माह है. 
  • यह पेंशन आजीवन मिलती है. 

एन्हांस्ड फैमिली पेंशन (Enhanced Family Pension)

  • अगर कर्मचारी की सेवा अवधि 7 साल या उससे ज्यादा रही है और उसकी मृत्यु नौकरी के दौरान हुई है, तो उसके परिवार को "एन्हांस्ड फैमिली पेंशन" का लाभ दिया जाता है.
  •  इसमें पेंशन की राशि पहले 7 वर्षों तक या कर्मचारी की उम्र 58 साल होने तक (जो भी पहले हो).
  • इसमें पहले 7 वर्ष तक नॉमिनी को सुपरनुएशन के बराबर पेंशन दी जाती है. उसके बाद 1000 रुपए आजीवन पेंशन मिलने लगता है. 

EPS का फायदा कब नहीं मिलता?

  • अगर EPS से पैसा निकाल लिया और सेवा 10 साल से कम रही हो.
  • तो आप पेंशन के पात्र नहीं होंगे.
  • लेकिन मृत्यु पर परिवार को लाभ मिलेगा.

क्या रखें ध्यान

  • EPS से पेंशन पाने के लिए कम से कम 10 साल की सेवा जरूरी है.
  • अगर आपने EPS का पैसा निकाल लिया, तो आपका पेंशन हक खत्म हो सकता है.
  • नौकरी बदलते समय PF को ट्रांसफर करें, निकालें नहीं. 

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