RBI ने घटाया रेपो रेट: EMI में राहत लेकिन FD पर कम हो सकती है कमाई, निवेशकों को बदलनी होगी रणनीति
RBI के इस फैसले के बाद अब निवेशकों को सिर्फ FD पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. उन्हें डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो की तरफ कदम बढ़ाना चाहिए, जिसमें कम रिस्क और बेहतर रिटर्न वाले विकल्प शामिल हों.
ADVERTISEMENT

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2025-26 वित्तीय वर्ष के लिए अपनी तीसरी मौद्रिक नीति समीक्षा में शुक्रवार, 6 जून को अपनी रेपो दर में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती करके इसे 5.5 प्रतिशत कर दिया. यह इस वर्ष मौद्रिक नीति समिति (MPC) द्वारा की गई तीसरी सीधी कटौती है.
इस फैसले का असर आपकी जेब पर सीधे पड़ने पड़ने वाला है. चाहे आप लोन ले रहे हों या फिक्स्ड डिपॉज़िट में निवेश करते हों. एफडी पर ब्याज दरें घटने वाली हैं. यानी एकमुश्त पैसे लगाकर हर महीने, तिमही या लंबी अवधि पर बड़ा फंड बनाने वालों को झटका लग सकता है. Personal Finance की इस सीरीज में हम आपको RBI के फैसले से पड़ने वाले असर और निवेशकों के लिए अब नई रणनीति पर विस्तार से बता रहे हैं.
लोन लेने वालों के लिए राहत की खबर
- होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की EMI हो सकती है सस्ती.
- बैंक अब धीरे-धीरे ब्याज दरें कम कर सकते हैं
- नौकरीपेशा और मिडिल क्लास के लिए ये फैसला फाइनेंशियल राहत लेकर आया है
FD और सेविंग्स अकाउंट होल्डर्स के लिए चिंता
- ब्याज दरों में कटौती का नकारात्मक असर FD और सेविंग्स पर पड़ेगा.
- SBI रिसर्च के मुताबिक: फरवरी से मई 2025 के बीच में बैंकों ने FD दरें 30 से 70 BPS तक घटाई हैं.
- सेविंग्स अकाउंट पर ब्याज अब सिर्फ 2.70% तक गिर गया है.
- और अब 50 BPS की ताज़ा कटौती के बाद FD पर ब्याज और गिर सकता है.
अक्सर बुजुर्ग अपने जीवन की गाढ़ी कमाई को एफडी में लगाकर हर महीने एक राशि ब्याज के रूप में लेते हैं जिससे उनका गुजार चलता है. ऐसे में उनको सलाह दी जा रही है कि वे मौजूदा रेट्स पर जल्द ही FD करा लें, खासकर लॉन्ग-टर्म योजनाओं में.
FD के विकल्प क्या हो सकते हैं?
- स्मॉल फाइनेंस बैंक FD- ज़्यादा ब्याज लेकिन थोड़ा ज़्यादा रिस्क.
- वरिष्ठ नागरिक बचत योजना और टैक्स सेविंग FD- टैक्स छूट के साथ महंगाई से लड़ने लायक रिटर्न.
- सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS)
- हाइब्रिड फंड और आर्बिट्राज फंड- सीमित रिस्क और FD से बेहतर संभावित रिटर्न.
- 6-12 महीने की इमरजेंसी फंडिंग- किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए ज़रूरी
- ₹5 लाख तक की FD को अलग-अलग बैंकों में बांटें- ताकि DICGC बीमा का पूरा लाभ मिल सके
RBI ने और क्या किया है?
- CRR घटाकर 4% से 3% किया गया- जिससे बैंकों को ₹2.5 लाख करोड़ अतिरिक्त नकदी मिलेगी
- पॉलिसी स्टांस अब ‘न्यूट्रल’- अब आगे की दरें महंगाई और ग्रोथ के आंकड़ों पर निर्भर होंगी
- NBFC और रियल एस्टेट सेक्टर में रौनक- शेयर बाजार में इन सेक्टरों में तेजी आई
निवेशकों के लिए क्या रणनीति हो?
RBI के इस फैसले के बाद अब निवेशकों को सिर्फ FD पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. उन्हें डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो की तरफ कदम बढ़ाना चाहिए, जिसमें कम रिस्क और बेहतर रिटर्न वाले विकल्प शामिल हों.
यह भी पढ़ें...
यह भी पढ़ें:
EPF से पैसा निकालने पर पड़ सकता है आपकी पेंशन पर असर, जानिए कब और कैसे