अहमदाबाद प्लेन क्रैश से वो बड़ा हादसा जिसने छीन ली थी 349 जिंदगियां, 29 साल भी याद कर कांप जाती हैं रूह
Charkhi dadri plane crash: अहमदाबाद विमान हादसे ने चरखी दादरी की 29 साल पुरानी उस त्रासदी की यादें ताजा कर दी हैं, जब 12 नवंबर 1996 को दो विमानों की टक्कर में 349 लोगों की जान चली गई थी.
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Charkhi dadri plane crash: हाल ही में अहमदाबाद में हुए विमान हादसे(Ahmedabad Plane Crash) ने एक बार फिर चरखी दादरी के लोगों के जख्म हरे कर दिए. आज से 29 साल पहले, 12 नवंबर 1996 को हुए भीषण विमान हादसे की यादें आज भी स्थानीय लोगों के दिलों में बसी हैं. उस दिन आसमान में दो विमानों की टक्कर ने 349 जिंदगियों को पलभर में छीन लिया था.
यह हादसा न केवल भारत बल्कि दुनिया के सबसे भयावह विमान हादसों में से एक था. आज भी उस काले दिन की कहानी को बताते हुए प्रत्यक्षदर्शियों सिहर उठते हैं.
क्या हुआ था उस दिन?
12 नवंबर 1996 की शाम को चरखी दादरी से करीब पांच किलोमीटर दूर टिकान कलां और खेड़ी सनसनवाल गांव के पास सऊदी अरब का मालवाहक विमान और कजाकिस्तान एयरलाइंस का यात्री विमान आपस में टकरा गए. टक्कर इतनी जोरदार थी कि आसमान में बिजली कौंधी और दोनों विमानों में सवार 349 लोग आग के शोलों में समा गए.
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स्थानीय लोगों के मुताबिक, उस सर्द शाम को अचानक खेतों में आग के गोले बरसने लगे. लोग घबराकर घरों से बाहर भागे और सामने का मंजर देखकर स्तब्ध रह गए. चारों तरफ शव बिखरे पड़े थे, खेत बंजर हो गए और करीब 10 किलोमीटर के दायरे में विमानों के मलबे फैल गए.
प्रत्यक्षदर्शियों की जुबानी: वह भयावह मंजर
वरिष्ठ पत्रकार दयानंद प्रधान, जो उस हादसे के प्रत्यक्षदर्शी थे, बताते हैं,
“आसमान में आग के गोले बरसते देख मैं तुरंत मौके पर दौड़ा. वहां का दृश्य आज भी मेरे रोंगटे खड़े कर देता है. चारों तरफ लाशें बिखरी थीं. मैंने सबसे पहले पुलिस को सूचना दी और मौके के फोटो-वीडियो बनाए, जो आज भी उस भयावह मंजर की गवाही देते हैं.”
वहीं, एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी महासिंह ठेकेदार उस दिन को याद कर भावुक हो जाते हैं. वे बताते हैं,
“मैं झज्जर से अपनी जीप में गांव मौड़ी लौट रहा था. दादरी में प्रवेश करते ही आसमान में बिजली कौंधी और तेज आवाज के साथ आग के गोले बरसने लगे. मैं तुरंत मौके पर पहुंचा. वहां शव पेड़ों पर लटके थे, चारों तरफ तबाही का मंजर था. मैंने चार लोगों को जीप में डालकर अस्पताल पहुंचाया, लेकिन किसी को बचाया नहीं जा सका. यह दर्द आज भी सालता है.”
हादसे ने छोड़ा गहरा असर
यह हादसा इतना भयानक था कि ज्यादातर शवों की पहचान तक नहीं हो सकी. उस समय के प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और हरियाणा के मुख्यमंत्री बंशीलाल भी घटनास्थल पर पहुंचे थे. अस्पतालों में शवों के ढेर लग गए थे. सामाजिक संस्थाओं ने राहत कार्यों में मदद की, और बाद में जेसीबी की मदद से शवों को दफनाया गया. आज भी विदेशों से लोग अपने परिजनों को याद करने के लिए चरखी दादरी के कब्रिस्तान पहुंचते हैं.

आज भी बरकरार है दर्द
चरखी दादरी के निवासियों के लिए यह हादसा एक ऐसा जख्म है, जो समय के साथ भले ही हल्का हुआ हो, लेकिन पूरी तरह मिटा नहीं. अहमदाबाद के हालिया हादसे ने एक बार फिर उन पुरानी यादों को ताजा कर दिया. यह हादसा हमें हवाई यात्रा में सुरक्षा के महत्व को फिर से याद दिलाता है.