हरियाणा में दुष्यंत चौटाला की तरह बलराज कुंडू भी अस्तित्व बचाए रखने के संकट में?

Balraj Kundu: विधायक बनने के बाद बलराज कुंडू ने हरियाणा जनसेवक पार्टी बनाई फिर 2024 में महम विधानसभा सीट से बलराज कुंडू को कांग्रेस के प्रत्याशी बलराम दांगी से 18 हजार से अधिक वोटों से हार का सामना करना पड़ा.

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हरियाणा में बलराज कुंडू अस्तित्व के संकट से गुजर रहे हैं.
हरियाणा में बलराज कुंडू अस्तित्व के संकट से गुजर रहे हैं.
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हरियाणा में राजनीति में चर्चित रही महम विधानसभा के पूर्व विधायक बलराज कुंडू की सियासी पारी फिलहाल थोड़ी थमी सी दिख रही है. वर्ष 2019 विधानसभा चुनाव में बलराज कुंडू करीब 12 हजार वोटों से जीते थे. बलराज कुंडू को 49418 वोट, कांग्रेस के उम्मीदवार आनंद सिंह दांगी 37371 व शमशेर खरकड़ा को 36106 वोट मिले थे.

विधायक बनने के बाद बलराज कुंडू ने हरियाणा जनसेवक पार्टी बनाई फिर 2024 में महम विधानसभा सीट से बलराज कुंडू को कांग्रेस के प्रत्याशी बलराम दांगी से 18 हजार से अधिक वोटों से हार का सामना करना पड़ा.

एक समय बलराज कुंडू की गिनती हरियाणा के सबसे अमीर विधायकों में होती थी. 2019 में इलेक्शन कमीशन को दिए हलफनामे में उनकी वार्षिक आय 7.71 करोड़ के अलावा 141 करोड़ की सम्पत्ति बताई थी. बलराज कुंडू, हरियाणा के चार जिलों में महिलाओं के लिए 18 बसें चलवाते थे. महम सीट पर चुनाव हार गए. हार के बाद बलराज कुंडू ने लड़कियों के लिए चलाई निशुल्क बस सेवा बंद करवा दी थी.

कुंडू की दफ्तर बंद करने की आ गई नौबत

इन्होंने हरियाणा जनसेवक पार्टी बनाई, फिर पूरे हरियाणा की पैदल यात्रा की. उस समय उन्हें लगता रहा कि ये विधानसभा चुनाव में कई सीटें जीतकर दुष्यंत चौटाला की तरह किंगमेकर वाली भूमिका में आ सकते हैं. इन्होंने महम से निकलकर पूरे सूबे में अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश की. इन्होंने सबसे ज्यादा फोकस जींद पर किया. जींद में कई बड़ी रैलियां की थी जिनमें कई बड़े नेता शामिल हुए थे. कुंडू ने जींद में दफ्तर खोला और आज दफ्तर बंद करने की नौबत आ गई है.

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पशोपेश में हैं बलराज कुंडू

महम से वर्तमान कांग्रेस विधायक बलराम डांगी अगले कम से कम अगले दस साल तक अपना खूंटा मजबूत करने की कोशिश पर हैं. कांग्रेस, इनेलो या AAP से बलराज कुंडू कोई भी सहयोग लेने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि ना ये खुद की पार्टी बनाकर बड़ा नेता बन जाए और ना ही जनमत जोड़ पाए. अब दूसरे दल में अपना दल मर्ज करें या दूसरा दल ज्वाइन करें, इनमें से कोई भी विकल्प फिलहाल तो सिरे चढ़ते नहीं दिख रहा है. फिलहाल दुष्यंत चौटाला की तरह बलराज कुंडू भी अस्तित्व बनाए रखने के संकट में हैं.

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