ग्वालियर में कांग्रेस प्रत्याशी का जबरदस्त विरोध, MPTak के सवाल पर भाग गए प्रवीण पाठक

हेमंत शर्मा

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Gwalior Loksabha Seat 2024: मध्य प्रदेश में कांग्रेस की बची हुई 3 सीटों पर प्रत्याशी घोषित करने के बाद से ही लगातार विरोध के स्वर उठने लगे हैं. ग्वालियर लोकसभा प्रत्याशी के लिए कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रवीण पाठक का नाम घोषित किए जाने के बाद से ग्वालियर के शहर जिला अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा की नाराजगी पार्टी के प्रति देखी जा रही है. रविवार को कांग्रेस के शहर जिला अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा ने एमपी तक से हुई एक्सक्लूसिव बातचीत में इस बात का खुलासा किया था कि पार्टी ने प्रवीण पाठक को टिकट दिया है, इसलिए वे अब आगे पार्टी के लिए काम नहीं करेंगे.

चुनाव के बाद वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे. इस बारे में जब एमपी तक की टीम ने सोमवार को कांग्रेस कार्यालय में कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक से खास बातचीत की, तो प्रवीण पाठक सवाल का जवाब देने की बजाय कैमरे से भागते हुए नजर आए.

एमपी तक की तरफ से प्रवीण पाठक से पहला सवाल आम सभा की बैठक के बारे में किया गया, जिसका जवाब उन्होंने बड़ी आसानी से दिया. फिर प्रवीण पाठक से यह सवाल किया गया कि कांग्रेस ने ब्राह्मण नेता को इतने साल बाद टिकट दिया है. इससे कितना फायदा होगा? इस पर भी प्रवीण पाठक ने बड़े आराम से अपनी प्रतिक्रिया दी, लेकिन जब प्रवीण पाठक से सवाल किया गया कि कांग्रेस के शहर जिला अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा ने उनको टिकट दिए जाने की वजह से इस्तीफा देने की बात कही है, तो इस सवाल के जवाब में पहले वे गोल-गोल जवाब देते रहे और इसके बाद वे एमपी तक के कैमरे से भागते हुए नजर आए.

बैठक के दौरान कांग्रेस जिला का छलका दर्द

ग्वालियर चुनाव लड़ने से पहले कांग्रेस कमेटी में बड़ी फूट आई सामने आई है. भरी सभा में कांग्रेस जिला अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा का टिकट नहीं मिलने का दर्द आया सामने आया है. लोकसभा की चुनावी बैठक में टिकट नहीं मिलने पर कहा यह मेरा आखिरी चुनाव है, इस लोकसभा चुनाव के बाद मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा. कार्यकर्ताओं से इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जिताने की की अपील, गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा टिकट मांगने वालों की लाइन में थे. कांग्रेस भवन में हुई लोकसभा की बैठक में कार्यकर्ताओं के सामने अपना दर्द बयान किया है. 

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ग्वालियर सीट पर कई सालों से है बीजेपी का कब्जा

ग्वालियर लोकसभा सीट पर पर 17 साल से भाजपा का कब्जा है. साल 2000 से पहले यह सीट कांग्रेस के प्रभाव वाली मानी जाती थी, लेकिन 2007 से यह सीट भाजपा जीतती आ रही है. 1952 में ग्वालियर लोकसभा सीट पर पहली बार चुनाव हुए थे. तब यहां हिंदू महासभा ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद ज्यादातर समय सिंधिया राजघराने का ही कब्जा रहा है. 
 

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