CM मोहन यादव की पहल पर शुरू हुआ जल गंगा अभियान बना जनआंदोलन, प्रदेश में 84 हजार खेत तालाब और 2 हजार बावड़ियों का हुआ पुनर्जीवन

न्यूज तक

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश का जल गंगा संवर्धन अभियान जल संरक्षण को जन आंदोलन में बदल रहा है. जानिए कैसे यह अभियान प्रदेश को जल समृद्ध और भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित बना रहा है.

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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव. (तस्वीर: इंडिया टुडे)
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मध्यप्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान ने जल संरक्षण को एक जन आंदोलन का स्वरूप दिया है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की प्रेरणा से शुरू हुआ यह 90 दिवसीय अभियान जल स्रोतों के पुनर्जनन, पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का प्रतीक बन गया है. यह पहल भावी पीढ़ियों के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

जल: जीवन की नींव

“क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा, पंचतत्व से बना शरीरा”—रामचरित मानस की यह पंक्ति जल के महत्व को दर्शाती है. प्राचीन ग्रंथों जैसे ऋग्वेद, रामायण और महाभारत में जल संरक्षण का उल्लेख मिलता है. यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है, जिसे संरक्षित कर अगली पीढ़ियों तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य है.

प्रेरणा का स्रोत और अभियान की शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जल संरक्षण की दृष्टि से प्रेरित होकर मध्यप्रदेश ने जल गंगा संवर्धन अभियान शुरू किया. 30 मार्च को गुड़ी पड़वा के अवसर पर उज्जैन के शिप्रा नदी तट से इसकी शुरुआत हुई. अभियान का लक्ष्य जल संरक्षण, स्रोतों का पुनर्जनन और जन जागरूकता को बढ़ावा देना रहा. इसने जल संग्रह के कई कीर्तिमान स्थापित किए और जल समृद्धि का उत्सव बन गया.

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भू-जल भंडारण में हासिल किया पहला स्थान

90 दिनों तक चले इस अभियान में मध्यप्रदेश ने जल संरचनाओं के निर्माण में उल्लेखनीय प्रगति की. खंडवा जिले ने 1.29 लाख जल संरचनाएं बनाकर भू-जल भंडारण में पहला स्थान हासिल किया. प्रदेश में 84,930 खेत तालाब और 1,283 अमृत सरोवर बनाए गए, जिससे 1.67 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा बढ़ेगी. यह किसानों के लिए समृद्धि का नया मार्ग प्रशस्त कर रहा है.

कैच द रेन और मिशन लाइफ की प्रेरणा

प्रधानमंत्री के कैच द रेन अभियान से प्रेरित होकर मध्यप्रदेश ने वर्षा जल संग्रह पर जोर दिया. इसने भू-जल पर निर्भरता कम करने और पानी की प्रत्येक बूंद के उपयोग को सुनिश्चित किया. मिशन लाइफ के मंत्र को अपनाकर पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाई गई और जीवनशैली में बदलाव लाने की परंपरा स्थापित हुई.

री-यूज वाटर पोर्टल, एक क्रांतिकारी कदम

मध्यप्रदेश में पहली बार री-यूज वाटर पोर्टल का निर्माण शुरू हुआ, जो जल संरक्षण और पुन: उपयोग में मील का पत्थर साबित होगा. यह पहल री-यूज, रीड्यूस और री-साइकल के सिद्धांतों पर आधारित है, जो जल प्रबंधन को और प्रभावी बनाएगी.

नदियों और बावड़ियों का पुनर्जनन

मध्यप्रदेश, जो नर्मदा, शिप्रा, ताप्ती और बेतवा जैसी 267 नदियों का उद्गम स्थल है, ने 145 से अधिक नदियों के उद्गम स्थलों की सफाई और पौधरोपण का कार्य शुरू किया. भोपाल की बड़े बाग की बावड़ी और अहिल्याबाई होलकर द्वारा निर्मित बावड़ियों का जीर्णोद्धार किया गया. 2,000 से अधिक बावड़ियों को पुनर्जनन के साथ बावड़ी उत्सव मनाया गया.

जल दूत और पानी चौपाल की भूमिका

प्रधानमंत्री के आह्वान पर 2.30 लाख जल दूत बनाए गए, जो जल संरक्षण के अग्रदूत बनेंगे. 1.5 लाख से अधिक किसानों ने 812 पानी चौपाल आयोजित कर जल स्रोतों के संरक्षण और जीर्णोद्धार पर विचार-विमर्श किया. यह जनभागीदारी अभियान की सबसे बड़ी ताकत रही.

सिपरी सॉफ्टवेयर, एआई और प्लानर सॉफ्टवेयर की मदद से 83,000 से अधिक खेत तालाबों का चयन और निर्माण किया गया. यह किसानों को एक से अधिक फसल लेने में सक्षम बनाएगा. डैशबोर्ड डेटा और एआई के उपयोग से अभियान की प्रगति को गति और गुणवत्ता मिली.

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