जिन कैलाश विजयवर्गीय की हो रही है इतनी चर्चा, जानें उनका अब तक का राजनीतिक सफर
Kailash Vijayvargiya Political Journey: कैलाश विजयवर्गीय बीजेपी का वो चेहरा हैं, जिसने मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में एक लंबे समय तक भाजपा की जड़ों को मजबूती से जमाकर रखा हुआ है. कैलाश विजयवर्गीय इस दौरान कई विवादों से भी घिरे लेकिन उनकी राजनीति करने की स्टाइल ने उनकी छवि एक जन नेता की बनाई. कैलाश […]
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Kailash Vijayvargiya Political Journey: कैलाश विजयवर्गीय बीजेपी का वो चेहरा हैं, जिसने मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में एक लंबे समय तक भाजपा की जड़ों को मजबूती से जमाकर रखा हुआ है. कैलाश विजयवर्गीय इस दौरान कई विवादों से भी घिरे लेकिन उनकी राजनीति करने की स्टाइल ने उनकी छवि एक जन नेता की बनाई. कैलाश विजयवर्गीय के कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इंदौर की लगभग सभी विधानसभा सीटों पर वे 1990 से लगातार 2013 तक विधानसभा चुनाव लड़े और जीते. एक बार भी उनको हार का सामना नहीं करना पड़ा.
उनकी इसी काबिलियत को देखते हुए बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने उनको 2015 में पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया और पश्चिम बंगाल की जिम्मेदारी देकर उनको वहां भेजा गया. इंदौर की एक सीट को छोड़कर शेष सभी सीटों से चुनाव लड़ चुके कैलाश विजयवर्गीय के राजनीतिक जीवन में यह पहली बार होगा कि उनको इंदौर 1 विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ाने का फैसला बीजेपी ने किया है.
लेकिन उन्होंने टिकट मिलने पर जिस तरह से अपनी नाखुशी जाहिर की और कहा कि वे चुनाव ही नहीं लड़ना चाहते थे, उसके बाद से कैलाश विजयवर्गीय को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं राजनीतिक गलियारों में शुरू हो गईं. किसी ने कहा कि अब वे कमजोर पड़ चुके हैं और राजनीतिक जमीन अब पहले जैसी नहीं रही है और इस कारण उनको हार का डर है, इसलिए वे ऐसी बाते बोल रहे हैं तो कुछ अन्य राजनीतिक पंडित बता रहे हैं कि बेटे आकाश विजयवर्गीय को आगे बढ़ाने की उनकी महत्वाकांक्षा ने उनके साथ बड़ा खेला कर दिया.
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कुछ ऐसा है विजयवर्गीय का राजनीतिक कैरियर
1975 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीतिक सफर की शुरूआत की. इसके बाद 1983 में पहली बार इंदौर नगर निगम में पार्षद बने. फिर 1990 में इंदौर 4 सीट से पहली बार विधायक चुने गए. इसके बाद 1993 में इंदौर 2 सीट से टिकट मिला और चुनाव जीतकर फिर से विधायक बने. 1998 के चुनाव में इंदौर 2 से फिर से टिकट मिला और फिर से विधायक चुने गए. 2000 में इंदौर शहर का महापौर बने. 2008 में महू सीट से चुनाव जीतकर फिर से विधायक चुने गए.
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2013 में भी एक बार फिर से महू सीट से चुनाव जीतकर मध्यप्रदेश की विधानसभा में पहुंचे. इस दौरान मप्र सरकार में शिवराज सरकार की कैबिनेट में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली. 2015 में बीजेपी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया और पश्चिम बंगाल भेजकर बीजेपी ने उनके कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी दी. अब एक बार फिर से बीजेपी ने उनको विधानसभा का टिकट दिया है और इस बार इंदौर 1 सीट से चुनावी मैदान में उतारा है. कैलाश विजयवर्गीय इस सीट पर पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. वर्तमान में इस सीट पर कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला हैं और संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस संजय शुक्ला को ही कैलाश विजयवर्गीय के सामने रिपीट करेंगे.