विधानसभा चुनाव से पहले MP में हुई बड़ी प्रशासनिक सर्जरी, 25 IAS और 42 SAS अफसरों के हुए तबादले
mp news: मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव 3 महीने बाद होने हैं और उससे पहले शिवराज सरकार ने प्रदेश में बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की है. शिवराज सरकार ने अलग-अलग शहरों और विभागों में लंबे समय से जमे हुए 25 आईएएस और 42 राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों के तबादले कर दिए हैं. आईएएस अफसरों में दमोह, […]
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mp news: मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव 3 महीने बाद होने हैं और उससे पहले शिवराज सरकार ने प्रदेश में बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की है. शिवराज सरकार ने अलग-अलग शहरों और विभागों में लंबे समय से जमे हुए 25 आईएएस और 42 राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों के तबादले कर दिए हैं.
आईएएस अफसरों में दमोह, मंडला, रतलाम, बैतूल, उज्जैन, झाबुआ, अनूपपुर के जिला पंचायत सीईओ को एक जिले से दूसरे जिले में ट्रांसफर किया गया है. वहीं 42 राज्य प्रशासन सेवा के अफसरों को एक विभाग से हटाकर दूसरे विभाग में ट्रांसफर किया गया है.
मध्य प्रदेश औद्योगिक केंद्र विकास निगम इंदौर के कार्यपालक संचालक रोहन सक्सेना को अब निवाड़ी का जिला पंचायत सीईओ बनाया गया है. भोपाल की अपर कलेक्टर माया अवस्थी को फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन में जॉइंट कंट्रोलर बनाया गया है. सीहोर के अपर कलेक्टर डॉ. बृजेश सक्सेना को मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम का चीफ जनरल मैनेजर बनाया गया है. इंदौर के अपर कलेक्टर राजेश राठौड़ को औद्योगिक केंद्र विकास निगम इंदौर में कार्यपालक संचालक के रूप में नियुक्त किया गया है. भोपाल नगर निगम के अपर आयुक्त शाश्वत सिंह मीणा को मध्य प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम में महाप्रबंधक के पद पर भेजा गया है.
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इन आईएएस अफसरों के हुए हैं तबादले
कृष्ण गोपाल तिवारी, अजय श्रीवास्तव, रानी बाटड, अजय देव शर्मा, जमुना भिड़े, अर्पिता वर्मा, किरोड़ी लाल मीणा, अभिलाष मिश्रा, अंकिता धाकरे, अमन वैष्णव आदि 25 आईएएस अफसरों के तबादले किए गए हैं. इनमें से 11 अफसरों को विभिन्न जिलों में जिला पंचायत सीईओ बनाया गया है. अभिलाष मिश्रा को इंदौर नगर निगम अपर आयुक्त बनाया गया है. आपको बता दें कि 31 जुलाई तक मध्यप्रदेश में तबादलों पर लगी रोक को हटाया गया है. 31 जुलाई तक विभिन्न विभागों में ट्रांसफर किए जा रहे हैं. राजनीति के जानकार इसे चुनाव से पहले राज्य सरकार की प्रशाासनिक कसावट करने की कवायद से जोड़कर देख रहे हैं तो वहीं कुछ अन्य लोगों का मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में हुए ये ट्रांसफर चुनाव आयोग के निर्देश पर हुए हैं, क्योंकि इनमें से ज्यादातर ने एक ही जिले या एक ही विभाग में 3 साल से अधिक समय से काम कर रहे थे.
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