चुनाव से पहले BJP की मुश्किलें नहीं हो रही कम, अब पार्टी को विंध्य क्षेत्र में लगा बड़ा झटका!
MP Election 2023: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. पिछले एक सप्ताह से लगातार हर रोज कोई न कोई बीजेपी का नेता पार्टी को अलविदा कह रहा है. पहले इंदौर, बालाघाट और बैतूल के बाद अब बीजेपी को विंध्य क्षेत्र में बड़ा झटका लगा […]
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MP Election 2023: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. पिछले एक सप्ताह से लगातार हर रोज कोई न कोई बीजेपी का नेता पार्टी को अलविदा कह रहा है. पहले इंदौर, बालाघाट और बैतूल के बाद अब बीजेपी को विंध्य क्षेत्र में बड़ा झटका लगा है. यहां प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य सुभाष शर्मा ने पाटी को बाय-बाय कह दिया है.
दरअसल भारतीय जनता पार्टी में टिकट बंटवारे के बाद विंध्य में बगावत शुरू हो गई है. सतना जिले के चित्रकूट विधानसभा प्रत्याशी की घोषणा होने के बाद भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य सुभाष शर्मा डोली ने भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने शुक्रवार को बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया है. सुभाष शर्मा का पार्टी छोड़ना बीजेपी के लिए कहीं न कहीं चिंता का सबब बन सकता है, क्योंकि सुषाष शर्मा का चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं के बीच अच्छी दबदबा है. टिकट की आस में सुभाष बीते 10 वर्षों से इस क्षेत्र में खासे सक्रिय रहे हैं.
UP से सटे होने के कारण BSP का प्रभाव
उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे होने की वजह से चित्रकूट क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी का भी अच्छा खासा प्रभाव है. 2018 के आम चुनाव में चित्रकूट विधानसभा में बसपा को करीब 24 हजार वोट मिले थे. गौरतलब है कि भाजपा ने चित्रकूट विधानसभा के लिए प्रत्याशी के तौर पर सुरेंद्र सिंह गहरवार की घोषणा की है, पिछले चुनाव में भी सुभाष शर्मा ने टिकट की आस पाल रखी थी, लेकिन पार्टी ने सुरेंद्र सिंह गहरवार को टिकट दी थी.
यह बात और है कि कांग्रेस के नीलांशु चतुर्वेदी ने सुरेंद्र सिंह गहरवार को मात दे दी थी. चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाता अधिक हैं. उस पर बसपा का वोट बैंक, इस लिहाज से यहां कांग्रेस और भाजपा दोनों की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं. सुभाष शर्मा डोली वर्ष 2014 में कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे. एक बार फिर सुभाष ने दलबदल किया है.
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