विधानसभा के बाद अब लोकसभा चुनाव में फिरोजिया और परमार की टक्कर, दें पाएंगे फिर से शिकस्त?

एमपी तक

उज्जैन-आलोट लोकसभा चुनाव की फाइट अब साफ हो गई है. कांग्रेस ने विधायक महेश परमार पर जताया भरोसा है, जो 2018 के चुनाव में अनिल फिरोजिया को मात दे चुके हैं. देखना होगा फिरोजिया इस बार हार का बदला लेंगे या परमार फिर भारी पड़ेंगे.

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Loksabha Chunav 2024: चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. मध्य प्रदेश में 4 चरणों में लोकसभा चुनाव पूरे होंगे. प्रदेश की धार्मिक नगरी और सीएम डॉ. मोहन यादव के क्षेत्र उज्जैन में 13 मई को वोटिंग कराई जाएगी. जिसके परिणाम 4 जून को आएंगे. बीजेपी ने मध्य प्रदेश की सभी सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान चुनावों की घोषणा से ठीक पहले ही कर दिया है, तो वहीं कांग्रेस ने अभी तक केवल 22 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं.

उज्जैन से बीजेपी ने अनिल फिरोजिया को दोबारा मौका दिया है, तो वहीं कांग्रेस ने तराना से मौजूदा विधायक महेश परमार को चुनावी मैदान में उतारा है. यह दूसरा मौका होगा, जब परमार और फिरोजिया आमने-सामने चुनाव लड़ेंगे. आपको बता दें तराना विधानसभा क्षेत्र में 2018 में परमार और फिरोजिया आमने-सामने हो चुके हैं. 

आपको बता दें संसदीय क्षेत्र में उज्जैन जिले की सात और रतलाम की एक विधानसभा सीट शामिल है. इस लोकसभा सीट के तहत आने वाले 8 (नगाड़ा-खचरौड़, घटिया, वडनगर, महीदपुर, उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण, अलोट, तराना) में से 6 विधानसभा क्षेत्रों पर बीजेपी और 2 (महिदपुर और ताराना) पर कांग्रेस का कब्जा है. यही कारण है कि कांग्रेस ने बजाय किसी अन्य प्रत्याशी को उतारने के मौजूदा विधायक को ही चुनावी मैदान में उतारा है.

 

 

दूसरी बार आमने-सामने फिरोजिया-परमार

विधानसभा चुनाव 2018 में तराना सीट पर भाजपा के अनिल फिरोजिया और कांग्रेस के महेश परमार आमने-सामने हुए थे. तब फिरोजिया सिटिंग विधायक थे. महेश परमार उस समय करीब २ हजार वोटों से उन्हें हराकर विधानसभा में प्रवेश लिया था. वर्ष 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में परमार ने भाजपा के ताराचंद गोयल को हराया और दोबार विधायक चुने गए.

अब लोकसभा का टिकट मिलने के चलते एक बार फिर फिरोजिया व परमार आमने-सामने हो रहे हैं. ऐसे में मालवा क्षेत्र में चर्चांए तेज हैं कि क्या एक बार फिर फिरोजिया को चुनाव हरा पाएंगे परमार? यही कारण है कि इस सीट पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. 

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क्या रहा था उज्जैन का 2019 का रिजल्ट

BJP ने उज्जैन से एक बार फिर अनिल फिरोजिया को मौका दिया है. 2019 के चुनाव में फिरोजिया ने कांग्रेस के बाबूलाल मालवीय को 3 लाख 65 हजार 637 वोटों से करारी शिकस्त दी थी.  अनिल फिरोजिया को 7,91,663 वोट मिले थे और बाबू लाल मालवीय को 4,26,026 वोट मिले, तो वहीं बीएसपी के सतीश परमार को 10,698 वोट से संतुष्ट होना पड़ा. 

2014 में कांग्रेस का कैसा था प्रदर्शन?

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रो. चिंतामणि मालवीय ने कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू को मात दी थी. आपको बता दें प्रेमचंद गुड्डू ने 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से बगावत कर दी थी. जिसके बाद वे निर्दलीय चुनावी मैदान में थे जहां उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था.

 2014 लोकसभा चुनाव में चिंतामणि को 6,41,101(63.08फीसदी) 63.08फीसदी) वोट मिले थे और प्रेमचंद को 3,31,438 (32.61 फीसदी) वोट मिले थे. दोनों के बीच जीत हार का अंतर 3,09,663 वोटों का था. वहीं बसपा उम्मीदवार रामप्रसाद .98 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थे. 

10 साल से है उज्जैन सीट पर बीजेपी का कब्जा

इससे पहले 2009 के चुनाव में कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू को जीत मिली थी. उन्होंने बीजेपी के सत्यनारायण जटिया को हराया था. प्रेमचंद को 3,26,905 (48.97 97 फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं सत्यनारायण को 3,11,064( 46.6 फीसदी वोट मिले थे. दोनों के बीच हार जीत का अंतर 15,841 वोटों का था. वहीं बसपा 1.38 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थी.  

कितनी है उज्जैन लोकसभा सीट की आबादी?

2011 की जनगणना के मुताबिक, उज्जैन की जनसंख्या 22,90,606 है. यहां की 63.49 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 36.51 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है.  यहां पर अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या अच्छी खासी है. 26 फीसदी आबादी यहां की अनुसूचित जाति के लोगों की है और 2.3 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति की है.
 

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