समलैंगिक विवाह पर शंकराचार्य सदानंद सरस्वती की आपत्ति, कहा- ये सामाजिक दृष्टि से अनैतिक

अनुज ममार

Narsinghpur News:  नरसिंहपुर जिले के परमहंसी गंगा आश्रम में ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती गुरु स्थान पर आए शारदा द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती पहुंचे. उन्होनें एमपी तक से बात करते हुए समलैंगिक कानून पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अदालत का यह प्रस्ताव धर्म विरुद्ध है शास्त्र विरुद्ध है, व्यावहारिक दृष्टि […]

ADVERTISEMENT

NewsTak
social share
google news

Narsinghpur News:  नरसिंहपुर जिले के परमहंसी गंगा आश्रम में ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती गुरु स्थान पर आए शारदा द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती पहुंचे. उन्होनें एमपी तक से बात करते हुए समलैंगिक कानून पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अदालत का यह प्रस्ताव धर्म विरुद्ध है शास्त्र विरुद्ध है, व्यावहारिक दृष्टि से भी ठीक नहीं है. सामाजिक दृष्टि से भी अनैतिक है.

शंकराचार्य  ने कहा कि आने वाली पीढ़ी पर दुष्प्रभाव पड़ेगा, इसमें अच्छी बात यह है कि भारत सरकार ने इस के विरोध में अपना अभिमत दिया है. इसके दुष्प्रभावों पर उन्होंने आगे कहा कि इससे गुप्त बीमारियां बढ़ेंगे, अनाचार बढ़ेगा, कौन पति होगा कौन पत्नी होगी कैसे उनको मान्यता दी जाएगी. उसका आधार क्या होगा?

हिंदू संस्कृति में होते हैं 3 धर्म
हमारे यहां तो विवाह एक धार्मिक पद्धति है अग्नि को साक्षी मानकर विवाह संपन्न होता है. एक पुरुष और एक स्त्री पति-पत्नी होते हैं. 3 तरह के धर्म होते हैं एक सामान्य धर्म, एक विशेष धर्म,और एक आपात धर्म सामान धर्म के 10 लक्षण होते हैं जो सभी के लिए हैं. विशेष धर्म जो होता है उसमें पिता का धर्म पुत्र का धर्म पिता का कर्तव्य क्या है, पुत्र का कर्तव्य क्या है, पति का कर्तव्य क्या है पत्नी का कर्तव्य क्या है. न्यायालय इस तरह से प्रस्ताव पास करेगा तो धर्म की कोई आवश्यकता ही नहीं रह जाएगी.

यह भी पढ़ें...

ये भी पढ़ें: पीएम मोदी 4.11 लाख लाभार्थियों को करायेंगे गृह प्रवेश, जानें रीवा दौरे का पूरा कार्यक्रम

हिंदू राष्ट्र के हो रामराज्य की स्थापना
हिंदू राष्ट्र क्या है राम राज्य आना चाहिए. 1962 66 में करपात्री जी महाराज शंकराचार्य ने यह प्रश्न उठाया था. रामराज्य चाहते हैं राम राज्य में हिंदू राष्ट्र अपने आप समाहित हो जाएगा. रावण भी हिंदू था कंश भी हिंदू था कहां इन्होंने हिंदू धर्म का पालन किया. हिंदू धर्म यानि सदाचार युक्त धर्म.  गाय में जिसकी भक्ति हो पुनर्जन्म में जो विश्वास रखता हो. ओंकार जिनका मूल मंत्र हो, माता पिता की जो सेवा करते हो, जो कुल देवी देवताओं की पूजा करते हो, कथावाचक द्वारा हिंदू राष्ट्र का मुद्दा उठाना गलत नहीं है. लेकिन हमारा इतना संशोधन है कि हिंदू राष्ट्र का प्रारूप क्या होगा हम हिंदू राष्ट्र के साथ यह चाहते हैं कि राम राज्य की स्थापना हो.

ये भी पढ़ें: टाइगर की पीठ पर जख्म ने बढ़ाई वन्य अधिकारियों की चिंता, तलाश में जुटी टीमें

    follow on google news
    follow on whatsapp