हत्याकांड या सामाजिक विफलता? सोनम-राजा रघुवंशी केस में विकास दिव्यकीर्ति ने उठाए समाज पर सवाल
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने सोनम-राजा हत्याकांड को सामाजिक दबाव की देन बताया, उनका कहना है कि अगर सोनम यूरोप में होती, तो शायद राजा आज जिंदा होता और ये प्रेम कहानी खूनी ना बनती.
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हनीमून के दौरान अपने पति की हत्या करने वाली इंदौर की सोनम रघुवंशी का मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है. दरअसल हाल ही में मशहूर शिक्षक डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने इस हत्याकांड को लेकर एक ऐसी बात कह दी है जिसे सुनने के बाद आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे.
विकास दिव्यकिर्ति ने कहा कि सोमन रघुवंशी ने ये सबकुछ केवल विदवा होने के लिए किया था. ताकि उसके परिवार वाले उसकी शादी उसके प्रेमी से करवा दें.
वो अगे कहते हैं, 'लड़की ने अपराध किया है और उसे इसकी सजा भी मिलनी चाहिए. फिर चाहे वह उम्रकैद हो या फांसी, लेकिन इस अपराध के पीछे की जो सोच और सामाजिक दबाव है वह और भी ज्यादा डरावना है.”
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यूरोप में होती तो प्रेमी से करती शादी
दिव्यकिर्ति आगे कहते हैं, 'अगर यही सोनम भारत की जगह यूरोप या अमेरिका में होती तो अपने प्रेमी से शादी कर पाती और आज जो राजा मारा जा चुका है वो आज जिंदा होता.'
भारत में प्यार की इतनी बड़ी कीमत
डॉ. दिव्यकीर्ति कहते हैं कि, 'सोनम शुरुआत से ही अपने ब्वायफ्रेंड से शादी करना चाहती थी लेकिन उसके परिवार वाले, समाज उसके अस फैसले के सख्त खिलाफ था. सोमन के पिता हार्ट पेशेंट थे इसलिए वह अपने परिवार पर दबाव नहीं बना सकी.
ऐसे में उसे लगा होगा कि अगर वह विधवा हो जाति है तो परिवारवाले दूसरी शादी के लिए राजी हो जाएंगे. बस इसी सोच को लेकर उसने अपने पति राजा की हत्या की योजना बना डाली.
पुलिस से नहीं बच सकी”
डॉ. दिव्यकीर्ति आगे कहते हैं कि सोनम ने भले ही अपने पति को मारने का प्लान बना लिया हो लेकिन उसे पुलिस की तकनीकियों की समझ नहीं थी. उसने राजा कि जिस जंगल में हत्या की थी वहां केवल 4-5 मोबाइल ही चालू थे. ऐसे में पुलिस को पता लगाना ज्यादा मुश्किल नहीं था कि हत्यारा कौन है.
उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच के बाद पता चला कि सोनम ने अपने प्रेमी और उसके दोस्तों के साथ मिलकर इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया है. हनीमून के बहाने उसे जंगल ले जाया गया और वहीं उसकी जान ले ली गई. प्यार का सम्मान नहीं करेंगे, तो खून बहता रहेगा
क्या समाज को इतना सख्त होना चाहिए
इस केस का जिक्र करने के बाद डॉ. दिव्यकीर्ति ने लोगों से एक बड़ा सवाल पूछते हुए कहा, 'क्या वाकई हमारे समाज को इतना सख्त होना चाहिए कि दो प्यार करने वाले लोगों को जाति, परिवार की इज्जत और सामाजिक बंदिशों से लड़ना पड़े?”
वो कहते हैं कि अगर भारतीय समाज थोड़ा सा खुले दिमाग सोचे तो शायद आद राजा आज जिंदा होता, सोनम जेल में नहीं होती, और यह प्रेम कहानी एक खूनी कहानी न बनती.
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