Karawal Nagar: BJP ने MLA का टिकट काटकर Kapil Mishra को उतारा, पत्रकारों ने बताए समीकरण

शुभम गुप्ता

क्या 2020 में हुए नॉर्थ ईस्ट के दंगे कपिल मिश्रा की तस्वीर को सामने लाएंगे क्योंकि कई लोग उन पर सीधे तौर पर दंगों में शामिल होने का आरोप लगाते हैं तो आज फिर हमारा विशेष पैनल इस सीट का पूरा विश्लेषण किया है.

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Karawal Nagar Seat Analysis: दिल्ली विधानसभा चुनावों ने हमेशा से देश की राजनीति में एक खास जगह बनाई है. हर बार यहां चुनावी मुद्दे, व्यक्तित्व, और समीकरण नई कहानी लिखते हैं. 2015 में अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली में राजनीतिक क्रांति लाई. यह बदलाव न केवल प्रशासनिक ढांचे में था, बल्कि दिल्ली की सियासत में भी बड़ा बदलाव हुआ. लेकिन वक़्त के साथ यह भी देखा गया कि केजरीवाल के करीबी सहयोगियों में से कई उनसे दूर हो गए. इन्हीं में से एक बड़ा नाम है कपिल मिश्रा, जो 2015 में केजरीवाल की सरकार का अहम हिस्सा थे.  

तो आज हम बात करेंगे करावल नगर सीट की. क्या कपिल मिश्रा के आने और कई बार बीजेपी से विधायक रह चुके मोहन सिंह बिष्ट के जाने से राजनीतिक समीकरण बदलेंगे क्योंकि  पिछले कई चुनावों में अगर किसी ने मोहन सिंह बिष्ट को हराया है तो वो कपिल मिश्रा ही हैं और उन्होंने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर 2015 में मोहन सिंह बेस्ट को हराया था तो ये दिलचस्प सीट कैसी होगी? क्या 2020 में हुए नॉर्थ ईस्ट के दंगे कपिल मिश्रा की तस्वीर को सामने लाएंगे क्योंकि कई लोग उन पर सीधे तौर पर दंगों में शामिल होने का आरोप लगाते हैं तो आज फिर हमारा विशेष पैनल इस सीट का पूरा विश्लेषण किया है.

कपिल मिश्रा का राजनीतिक सफर

सवाल- कपिल मिश्रा करावल नगर सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार हैं. क्या आप इस सीट के बारे में कुछ बताना चाहेंगे?"  

जवाब- कपिल मिश्रा का नाम तो सब जानते हैं, खासकर उनकी आक्रामक राजनीति के लिए. 2015 में जब वो आम आदमी पार्टी के टिकट पर करावल नगर से चुनाव लड़े, तो उन्होंने बीजेपी के कद्दावर नेता मोहन सिंह बिष्ट को हराया. लेकिन राजनीति में उनकी यात्रा हमेशा सीधी नहीं रही. जब उन्होंने केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, तो उनकी पार्टी से दूरी बन गई और उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया."  

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करावल नगर की चुनावी जमीनी हकीकत

डॉ. रामेश्वर दयाल ने बातचीत करते हुए बताया कि "करावल नगर की सीट हमेशा से चुनावी लिहाज से दिलचस्प रही है. यह इलाका यमुना पार के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में है. 80% से ज्यादा वोटर अनधिकृत कॉलोनियों में रहते हैं. यहां के मुद्दे साफ-सफाई, पानी और सीवर से जुड़े हैं."   पिछले चुनावों में मुफ्त बिजली और पानी जैसे मुद्दों पर आम आदमी पार्टी को बढ़त मिली थी. लेकिन अब बीजेपी इस क्षेत्र में आक्रामक प्रचार कर रही है. कपिल मिश्रा का आक्रामक रवैया और उनके हिंदू वोटों पर पकड़ उन्हें बढ़त दिला सकती है."  

ध्रुवीकरण और राजनीतिक समीकरण

संजय ने कहा कि करावल नगर में मुस्लिम वोटरों का भी अच्छा खासा प्रभाव है. यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ध्रुवीकरण इस बार बड़ा फैक्टर बनेगा. पिछली बार के CAA-NRC विरोध के दौरान यह मुद्दा काफी उछला था. कपिल मिश्रा के बयानों के कारण वो विवादों में भी रहे."  

सुमन ने बताया कि इस सीट पर ध्रुवीकरण का असर दिखेगा. खासकर जब योगी आदित्यनाथ जैसे स्टार प्रचारक चुनावी मैदान में उतरेंगे. बीजेपी इस बार हर सीट पर रणनीतिक तौर पर लड़ रही है."  

क्या होगा करावल नगर का भविष्य?

डॉ. दयाल ने सीट का विश्लेषण करते हुए बताया कि "इस सीट पर तीन प्रमुख उम्मीदवार हैं – बीजेपी के कपिल मिश्रा, आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार और कांग्रेस के पीके मिश्रा. जहां बीजेपी मिश्रा के आक्रामक तेवरों पर भरोसा कर रही है, वहीं आम आदमी पार्टी के काम को भुनाने की कोशिश होगी. लेकिन अनधिकृत कॉलोनियों के मुद्दे और क्षेत्रीय समीकरण इस चुनाव का भविष्य तय करेंगे."  

करावल नगर सीट पर इस बार मुकाबला कड़ा होने वाला है. कपिल मिश्रा के राजनीतिक सफर और उनके आक्रामक रवैये ने उन्हें एक अलग पहचान दी है. क्या वो इस बार बीजेपी को जीत दिला पाएंगे, या आम आदमी पार्टी अपनी पकड़ बरकरार रखेगी? यह तो वक्त ही बताएगा. 

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