'महामारी' बन गया डिजिटल अरेस्ट? पीएम मोदी को इस पर करनी पड़ी बात, बता दिए ये तीन मंत्र!

शुभम गुप्ता

PM Modi Mann Ki Baat: पीएम मोदी ने कहा कि हर वर्ग और उम्र के लोग इस फ्रॉड के शिकार हो रहे हैं. कई लोगों ने डर की वजह से अपनी मेहनत की कमाई गंवा दी है. उन्होंने कहा, “अगर इस तरह का कोई कॉल आए, तो डरें नहीं. किसी भी जांच एजेंसी की ओर से फोन कॉल या वीडियो कॉल पर पूछताछ नहीं की जाती.

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PM Modi on Digital Arrest: डिजिटल अरेस्ट से जुड़ी खबरें इन दिनों लगातार सुर्खियों में हैं. इस तरह की धोखाधड़ी में लोगों को डरा-धमकाकर उनसे पैसे ऐंठे जाते हैं. आए दिन कोई न कोई इसका शिकार हो रहा है. किसी न किसी के साथ इस तरह के स्कैम की खबरें सामने आ रही हैं. इस गंभीर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में चर्चा की और देश के सभी लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी. रविवार, 27 अक्टूबर को 'मन की बात' के 115वें एपिसोड में पीएम मोदी ने डिजिटल अरेस्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

पीएम मोदी ने दी सलाह

पीएम मोदी ने कहा, “डिजिटल अरेस्ट के फ्रॉड में कॉल करने वाले कभी पुलिस, कभी CBI, कभी नार्कोटिक्स या RBI जैसे अलग-अलग संस्थानों के अधिकारी बनकर बात करते हैं. वे सबसे पहले व्यक्तिगत जानकारी जुटाते है. वे आपके बारे में इतनी जानकारी रखते हैं कि आपको उनकी बातों पर यकीन हो जाता है. दूसरा दांव में वे आपके मन में डर पैदा कर देते हैं. सरकारी दफ्तर का सेटअप, वर्दी, और कानूनी धाराएं बता कर वे आपको डराते हैं. तीसरा दांव है समय का दबाव. इसमें वे कहते हैं कि अभी फैसला लेना होगा, नहीं तो आपको गिरफ्तार कर लिया जाएगा. इनकी बातों से पीड़ित दबाव में आकर ठगी का शिकार हो जाते हैं.”

पीएम मोदी ने कहा कि हर वर्ग और उम्र के लोग इस फ्रॉड के शिकार हो रहे हैं. कई लोगों ने डर की वजह से अपनी मेहनत की कमाई गंवा दी है. उन्होंने कहा, “अगर इस तरह का कोई कॉल आए, तो डरें नहीं. किसी भी जांच एजेंसी की ओर से फोन कॉल या वीडियो कॉल पर पूछताछ नहीं की जाती.”

डिजिटल सुरक्षा के तीन चरण

पीएम मोदी ने डिजिटल सुरक्षा के तीन चरण बताए—‘रुको-सोचो-एक्शन लो’. उन्होंने कहा, “कॉल आते ही रुकें, घबराएं नहीं और जल्दबाजी में कोई कदम न उठाएं. किसी को अपनी व्यक्तिगत जानकारी न दें. स्क्रीनशॉट लें और रिकॉर्डिंग जरूर करें. इसके बाद सोचें, कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर इस तरह धमकी नहीं देती और न ही वीडियो कॉल पर पूछताछ करती है. अगर डर लगे तो समझें कुछ गड़बड़ है. और अब तीसरा चरण है—एक्शन लो. इसके लिए आप नेशनल साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें, cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट दर्ज कराएं, और परिवार व पुलिस को सूचित करें. 

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क्या है डिजिटल अरेस्ट?

डिजिटल अरेस्ट एक नई तरह की धोखाधड़ी है. इसमें पीड़ित से वीडियो कॉल के जरिए कॉन्टेक्ट किया जाता है. उन्हें धमकाकर या लालच देकर घंटों या दिनों तक कैमरे के सामने रखा जाता है. आमतौर पर इसमें रिटायर्ड या काम कर रहे लोगों को निशाना बनाया जाता है. क्योंकि उनके सेविंग अकाउंट में अच्छी-खासी रकम होती है और वे तकनीकी रूप से उतने अपडेटेड नहीं होते हैं.

डिजिटल अरेस्ट के मामले

हाल ही में, लखनऊ में SGPGI अस्पताल की एक महिला डॉक्टर रुचिका टंडन के साथ डिजिटल अरेस्ट का मामला सामने आया. ठगों ने खुद को CBI और TRAI अधिकारी बताकर उनसे 2.8 करोड़ रुपए ठग लिए. उन्होंने रुचिका टंडन को मनी लॉन्ड्रिंग केस का झांसा देकर कई घंटों तक डिजिटल अरेस्ट किया और उनके बैंक खातों की जानकारी हासिल कर ली. ठगी का एहसास होने पर उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.

इसी तरह, वर्धमान ग्रुप के चेयरपर्सन एसपी ओसवाल के साथ भी ठगी का मामला सामने आया. 82 साल के ओसवाल को ठगों ने फोन कर खुद को CBI अधिकारी बताया और एक फर्जी अरेस्ट वारंट की फोटो भेज दी. उन्होंने कहा कि “आप डिजिटल अरेस्ट हैं, और कहीं आ-जा नहीं सकते.” इसके बाद ठगों ने ओसवाल के डिवाइसेज के एक्सेस ले लिए और उनके खातों से करीब 7 करोड़ रुपये अपने खातों में ट्रांसफर करा लिए.

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