तिलक नगर: 3 बार से एकतरफा जीत रहे जरनैल सिंह का इस बार क्या होगा?

दिनेश यादव

जरनैल सिंह की जीत का मार्जिन हर चुनाव में बढ़ा है, जिससे उनका पलड़ा भारी नजर आ रहा है. हालांकि, 10 साल की एंटी-इंकम्बेंसी और बुनियादी सुविधाओं की समस्याएं 'आप' के लिए चुनौती बन सकती हैं.

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Tilak Nagar Seat Analysis: दिल्ली चुनावी चर्चाओं में आज हम बात करेंगे तिलक नगर विधानसभा सीट की. यह सीट कभी भारतीय जनता पार्टी का मजबूत गढ़ मानी जाती थी, लेकिन साल 2013 में आम आदमी पार्टी के जरनैल सिंह ने ऐसी झाड़ू चलाई कि बीजेपी और कांग्रेस का वजूद यहां लगभग खत्म हो गया.  

जरनैल सिंह की लगातार तीन जीत और हर चुनाव में बढ़ता मार्जिन इस बात का संकेत है कि इस सीट पर 'आप' का दबदबा कायम है. तो इस बार क्या होगा? आइए, तिलक नगर सीट के समीकरण और बीते चुनावी नतीजों पर नजर डालते हैं.  

कौन है आमने-सामने?  

तिलक नगर सीट पर इस बार तीन प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार मैदान में हैं:  

पार्टी उम्मीदवार
आम आदमी पार्टी जरनैल सिंह
कांग्रेस पीएस वावा
बीजेपी श्वेता सैनी

बीते तीन विधानसभा चुनावों में इस सीट पर आम आदमी पार्टी का एकछत्र राज रहा है.  

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जरनैल सिंह का बढ़ता जलवा

साल पार्टी उम्मीदवार जीत का अंतर
2013 AAP जरनैल सिंह 2,088 वोट
2015 AAP जरनैल सिंह 19,890 वोट
2020 AAP जरनैल सिंह 28,029 वोट

2020 के विधानसभा चुनावों में जरनैल सिंह ने 62,436 वोट हासिल किए, जबकि बीजेपी के राजीव बब्बर 34,407 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. कांग्रेस के रमिंदर सिंह सिर्फ 1,807 वोट ही जुटा सके.  

तिलक नगर सीट का जातीय और राजनीतिक समीकरण  

- वोटर्स की कुल संख्या: 1,59,261  
  - पुरुष वोटर्स: 81,127  
  - महिला वोटर्स: 78,129  
- मुख्य जातीय समूह:  
  - 36% पंजाबी-सिख  
  - 9% स्वर्ण  
  - 3% मुस्लिम  
  - शेष ओबीसी और दलित  

यह सीट सिख बाहुल्य क्षेत्र है और वेस्ट दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है.  

जरनैल सिंह के पक्ष में और विपक्ष में फैक्टर  

जरनैल सिंह के पक्ष में: 
1. लगातार तीन बार बड़े अंतर से जीत.  
2. 2024 के लोकसभा चुनाव में 'आप' ने इस क्षेत्र में बढ़त हासिल की थी.  
3. 2022 के नगर निगम चुनावों में 'आप' ने 3 में से 2 वार्ड जीते.  
4. साफ-सुथरी छवि और जनता के बीच लोकप्रियता.  
5. सिख बहुल क्षेत्र में सिख चेहरा होना.  
6. बीजेपी द्वारा गैर-सिख उम्मीदवार उतारने का फायदा.  

जरनैल सिंह के खिलाफ: 
1. 10 साल की एंटी-इंकम्बेंसी.  
2. पानी की समस्या जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव.  

क्या फिर 'आप' का दबदबा रहेगा बरकरार?  

जरनैल सिंह की जीत का मार्जिन हर चुनाव में बढ़ा है, जिससे उनका पलड़ा भारी नजर आ रहा है. हालांकि, 10 साल की एंटी-इंकम्बेंसी और बुनियादी सुविधाओं की समस्याएं 'आप' के लिए चुनौती बन सकती हैं.  लेकिन इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के पास अभी तक ऐसा कोई मजबूत चेहरा नहीं है, जो जरनैल सिंह को कड़ी टक्कर दे सके.  आखिरकार, फैसला जनता का होगा. तिलक नगर की जनता इस बार किसे चुनती है, यह देखना दिलचस्प होगा.

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