कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर एक साल हुआ पूरा, कितना सफल रहे मल्लिकार्जुन खड़गे?
कांग्रेस में गांधी परिवार की छाया से निकल कर स्वतंत्र रूप से काम कर पाए मल्लिकार्जुन खड़गे? उनके लिए आगे की राह कैसी नजर आ रही है? ये कुछ सवाल हैं, जो खड़गे की एक साल की यात्रा के नजरिए से पूछे जा रहे हैं.
INDIA Alliance News: 26 अक्टूबर 2022 को मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. उन्हें अपनी इस भूमिका में एक साल बीत गए. इस एक साल में मल्लिकार्जुन खड़गे कितना सफल रहे? क्या वह कांग्रेस में गांधी परिवार की छाया से निकल कर स्वतंत्र रूप से काम कर पाए? मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए आगे की राह कैसी नजर आ रही है? ये कुछ सवाल हैं, जो खड़गे की एक साल की यात्रा के नजरिए से पूछे जा रहे हैं.
पिछले दिनों कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा था कि INDIA (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) गठबंधन सत्ता में आता है, तो खड़गे या राहुल गांधी प्रधानमंत्री के रूप में नामित हो सकते हैं. क्या दलित समुदाय से आने वाले खड़गे का कांग्रेस में कद इतना बड़ा हो गया है कि चुनाव जीतने की स्थिति में वह पीएम भी बन सकत हैं? हमने खड़गे के एक साल के इस कार्यकाल को लेकर वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई से बात की. यह समझने की कोशिश की गई कि अपनी नई भूमिका में खड़गे कितना कामयाब हुए.
छत्तीसगढ़, कर्नाटक, राजस्थान… कई प्रदेशों के विवाद खड़गे ने सुलझाए
रशीद किदवई कहते हैं कि मल्लिकार्जुन खड़गे की सफलता यह रही कि वह कांग्रेस में मौजूद अनिश्चितताओं को खत्म करने में काफी हद तक सफल रहे. पार्टी में नॉर्मलसी लाने की उनकी कोशिश दिखी है. करीब 20 राज्यों में वह संगठन की प्रिव्यू मीटिंग ले चुके हैं. छत्तीसगढ़ में उन्होंने अपनी कलम से टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाया. कर्नाटक चुनावों के बाद नेतृत्व को लेकर ऐसा फैसला लिया, जो सबने माना. राजस्थान के चुनावी नतीजे चाहे जैसे भी आएं, लेकिन गहलोत और सचिन पायलट के विवाद का निपटारा भी बड़ी सफलता रही.
INDIA गठबंधन में निभाई बड़ी भूमिका
रशीद किदवई के मुताबिक खड़गे की एक बड़ी सफलता INDIA गठबंधन भी है. यहां खड़गे विपक्ष के 28 दलों के भीतर कांग्रेस को लेकर विश्वास जगाने में कामयाब रहे. 81 साल की उम्र में भी वह काफी सक्रिय हैं. खड़गे गांधी परिवार से बाहर के दूसरे पार्टी अध्यक्षों से अलग दिखे हैं. सीताराम केसरी जैसे अध्यक्ष, जो गांधी परिवार के साथ टकराव की स्थिति में आ गए, वैसा इनके मामले में नहीं हुआ. रशीद किदवई कहते हैं, मेरे हिसाब से तो खड़गे पार्टी के संगठन के मामले में गांधी परिवार के लिए मनमोहन सिंह जैसे हैं. जैसे सरकार के मामले में मनमोहन सिंह को गांधी परिवार का पूरा सहयोग रहा और उन्होंने ग्रेसफुल तरीके से सरकार चलाई, खड़गे वैसे ही संगठन चला रहे हैं.
क्या पहले दलित प्रधानमंत्री के रूप में भी खड़गे की दावेदारी बन सकती है?
राशिद किदवई कहते हैं कि यह सवाल तब प्रासंगिक होगा, जब कांग्रेस INDIA गठबंधन में अपने बूते पर कम से कम ‘आधे की आधी सीट’ लाती है. यानी लोकसभा में बहुमत के आंकड़े 272 सीट की कम से कम आधी (136+) सीट. अगर कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनावों में ऐसा कर पाती है, तो खड़गे भी दावेदार हो सकते हैं. राजनीतिक चर्चाओं से इतर खड़गे का सियासी अनुभव भी ऐसा होने के लिए पर्याप्त है.