BJP की लिस्ट में दिल्ली के चार सांसदों के कटे टिकट, जानिए आखिर इसके पीछे की क्या रहीं प्रमुख वजहें

प्रियंका भल्ला

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Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव आने में बस अब कुछ ही वक्त बचा है. इसी बीच बीजेपी ने दो मार्च को उम्मीदवारों की अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी. इस लिस्ट में कुल 195 कैंडिडेट के नामों की घोषणा की गई है लेकिन इस लिस्ट में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात रही दिल्ली की सात सीटों की. जी हां, यहां बीजेपी ने अपने मौजूदा चार सांसदों के टिकट काट दिए है जिसके बाद सबके मन में ये सवाल उठने लगे हैं कि, आखिर ऐसा क्यों हुआ? साथ ही बीजेपी ने आखिर क्यों अपने दो बार के सांसदों के टिकट काट दिए. आइए हम आपको बताते हैं इसके पीछे की पांच प्रमुख वजहें.

सबसे पहले तो आपको बताते हैं कि, किन सांसदों के टिकट काटकर बीजेपी ने उनकी जगह किन चेहरों पर दांव खेल है. 

किनका कटा टिकट, किन्हें मिला?

- दक्षिणी दिल्ली से सांसद रमेश बिधूड़ी का टिकट काटकर उनकी जगह दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी को टिकट दिया गया है.

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- वेस्ट दिल्ली से सांसद प्रवेश वर्मा का टिकट काटकर उनकी जगह द्वारका से पार्षद कमलजीत सहरावत को मौका दिया गया है. 

- चांदनी चौक से डॉ. हर्षवर्धन का टिकट काटकर उनकी जगह व्यापारी प्रवीण खंडेलवाल को टिकट दिया गया है. 

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- नई दिल्ली से सांसद और मंत्री मीनाक्षी लेखी का टिकट काटकर पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को टिकट दिया गया है. 

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टिकट कटने के पीछे की ये रही पांच प्रमुख वजहें

1- मौजूदा सांसदों के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी

दिल्ली में जिन चारों सांसदों के टिकट बीजेपी ने काटे है वो सभी 10 साल से सांसद थे. जाहिर सी बात है कि, वोटरों के बीच सत्ता विरोधी भावना और सांसदों के प्रति नारजगी थी जो उनकी टिकट कटने की पीछे की प्रमुख वजह बनी. 

2- विधानसभा चुनाव 2025 और केजरीवाल को चुनौती

लोकसभा के बाद अगले साल यानी 2025 की शुरूआत में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं. मौजूदा सांसद जिनके टिकट कटे वो सभी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए फायदेमंद नहीं साबित हो पाए और ना ही वे दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल को चुनौती दे पाए, जिस वजह से पुराने सांसदों के टिकट काटकर नए चेहरों को मौका दिया जा रहा है. 
 

3- पार्टी को बदनाम करने वाले विवादित बयान

रमेश बिधूड़ी और प्रवेश वर्मा ये दो सांसद ऐसे रहे जो अपने विवादित बयानों के चलते काफी चर्चा में रहें हैं. इनके बयानों से पार्टी को काफी फजीहत झेलनी पड़ी है और साथ ही अल्पसंख्यक वोटरों के बीच नाराजगी भी बढ़ी. 

4- नई लड़ाई के लिए नए चहरें 

बीजेपी ने इस बार 400 पार का नारा दिया है. पार्टी इस मुकाम को हासिल करने के लिए लड़ाई नए तरीके से लड़ाई लड़ने जा रही है. यही वजह है कि, नए चेहरों के साथ पार्टी मैदान में उतर रही है. 

5- जातीय और क्षेत्रीय संतुलन स्थापित करना

बीजेपी के टिकटों में पार्टी के भीतर जातीय संतुलन का खासा ख्याल रखा गया. मसलन, रामवीर सिंह बिधूड़ी गुर्जर हैं. कमलजीत सहरावत जाट हैं. प्रवीण खंडेलवाल बनिया समुदाय से आते हैं वहीं बांसुरी स्वराज और मनोज तिवारी ब्राह्मण चहरें हैं. 

कुल मिलाकर सत्ता विरोधी लहर, विवाद और राजनीतिक रणनीति में बदलाव ये वो अहम फैक्टर रहे जिसे बीजेपी हाईकमान ने तरजीह देते हुए अपने मौजूदा पांच में से चार सांसदों के टिकट काट दिए. जिसके बाद ये कयास लगाए जा रहे हैं कि, जिन दो सीटों यानी नॉर्थ वेस्ट दिल्ली जहां से हंसराज हंस सांसद है और पूर्वी दिल्ली जहां से गौतम गंभीर सांसद हैं इनके भी टिकट कट सकते है.

खैर, अब देखना ये होगा कि क्या मौजूदा सांसदों का टिकट काट नए चेहरों पर दांव लगाने वाला सौदा बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित होगा या फिर बाजी उलटी पड़ जाएगी. 

 

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