महाराष्ट्र की 48 सीटों पर क्या होगा? शिवसेना-NCP की फूट ने कैसे जटिल बना दिया पूरा गणित, समझिए
शिंदे और अजित पवार दोनों को अपने तख्तापलट के लिए कोर वोटर्स की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है. इसी तरह कुछ समर्थक कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने और अपनी कट्टर हिंदुत्व विचारधारा से समझौता करने के लिए उद्धव ठाकरे से नाराज हो सकते हैं.
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Maharashtra Politics: लोकसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है. महाराष्ट्र में 5 चरणों में चुनाव होगा. NDA और इंडिया ब्लॉक ने महाराष्ट्र की 48 सीटों पर अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा शुरू कर दी है. महाराष्ट्र उन टॉप पांच राज्यों में से एक है जो लोकसभा में सबसे अधिक संख्या में सांसद भेजते हैं.
पूरे देश की नज़र महाराष्ट्र की पॉलिटिक्स पर टिकी हुई है.2014 और 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा और राज्य की 48 सीटों में से 41 सीटें जीतीं. लेकिन अब महाराष्ट्र का राजनीतिक दृश्य बदल गया है. महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर इंडिया टुडे पर लिखे गए अमिताभ तिवारी के ओपिनियन लेख ने महाराष्ट्र पॉलिटिक्स के गणित को काफी हद तक सॉल्व किया है.
2019 में बीजेपी के साथ मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर बातचीत विफल होने के बाद, महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और NCP सरकार बनाने के लिए महाअघाड़ी में शामिल हो गई. इसके बाद शिवसेना में विभाजन हो गया. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले एक गुट ने 2022 में बीजेपी के साथ मिलकर नई सरकार बनाई। ठीक एक साल बाद NCP के अजीत पवार के नेतृत्व वाला एक धड़ा महायुति बनाकर इस सरकार में शामिल हो गया. इन दोनों गुटों को भारत निर्वाचन आयोग से आधिकारिक चुनाव चिह्न मिल गया है.
महाराष्ट्र में NDA बनाम 'INDIA'
NDA: बीजेपी + शिवसेना (शिंदे गुट) + NCP (अजित पवार गुट) बनाम INDIA: कांग्रेस + शिवसेना (उद्धव गुट) + NCP (शरद पवार गुट)
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नए राजनीतिक गठबंधन ने अभी तक मिलकर कोई चनाव नहीं लड़ा है. मार्च 2023 में चिंचवड़ और कसबा पेठ में उपचुनाव हुए. कांग्रेस उम्मीदवार ने लगभग तीन दशकों से लगातार विजयी रही भाजपा को कसबा पेठ से सत्ता से बाहर कर दिया, जबकि भाजपा ने चिंचवड़ को बरकरार रखा. लेकिन अजित पवार उस समय एमवीए के साथ थे.
NDA और 'INDIA' में महाराष्ट्र की जनता की पहली पसंद कौन?
मुख्य दलों की संख्या चार से बढ़कर छह हो गए। शिंदे और अजीत पवार दोनों को ज्यादातर विधायकों और सांसदों का समर्थन प्राप्त है, लेकिन क्या उन्हें कैडर और कोर शिवसेना-NCP मतदाताओं का समर्थन प्राप्त है? 2019 की बात करें तो बीजेपी का वोट शेयर 27.8%, शिवसेना का 23.5%, कांग्रेस+ का 19.9% और NCP का 15.7% था. NDA को 51.3% और 'INDIA' (उस समय UPA) को 35.6% वोट मिले थे. NDA को करीब 15 फीसदी की बढ़त हासिल हुई थी.
फिलहाल, शिवसेना और NCP का एक-एक गुट NDA और 'INDIA' दोनों गुटों के साथ है. राजनीतिक विश्लेषकों के एक वर्ग का मानना है कि शिंदे और अजीत पवार दोनों को अपनी-अपनी पार्टियों के कोर वोटर्स का समर्थन नहीं है, जिसका असर आगामी लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है. बहरहाल, ये तो 4 जून को लोकसभा नतीजे आने के बाद ही तय हो सकेगा.
अमिताभ तिवारी के मुताबिक शिंदे और अजित पवार दोनों को अपने तख्तापलट के लिए कोर वोटर्स की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है. इसी तरह कुछ समर्थक कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने और अपनी कट्टर हिंदुत्व विचारधारा से समझौता करने के लिए उद्धव ठाकरे से नाराज हो सकते हैं.
अब देखना होगा की महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले कुछ समय में हुई उठा पटक से आम चुनाव पर क्या असर पड़ेगा? पिछले तीन दशकों में, भाजपा-शिवसेना कैडर ने एनसीपी-कांग्रेस कैडर का भरपूर विरोध किया है. क्या वे अब अपने मतभेदों को सुलझा पाएंगे या नहीं?