मनोज जरांगे ने अनशन खत्म किया, मराठा आरक्षण को लेकर क्या बनी बात?

देवराज गौर

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मनोज जरांजे पाटिल ने आमरण अनशन खत्म करते हुए सरकार को दो महीने का समय दिया है.
मनोज जरांजे पाटिल ने आमरण अनशन खत्म करते हुए सरकार को दो महीने का समय दिया है.
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मराठा आरक्षण आंदोलनः मराठा आरक्षण एक्टिविस्ट मनोज जरांगे पाटिल ने 9 दिनों के बाद गुरुवार को अपना आमरण अनशन खत्म कर दिया. राज्य सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें आश्वासन दिया है कि सरकार दो महीने के भीतर मराठा आरक्षण लेकर आएगी. तो क्या अबव माना जाना चाहिए कि महाराष्ट्र में चीजें सुलझ गईं? इसका जवाब अभी ना है. ऐसा इसलिए क्योंकि मनोज जरांगे ने सरकार को अब 2 जनवरी 2024 तक का अल्टीमेटम दिया है.

जरांगे ने कहा है कि, ‘यह आखिरी बार है जब हम सरकार को समय दे रहे हैं. समय लीजिए लेकिन आरक्षण दीजिए. सरकार के पास दो महीने का समय है सभी मराठाओं को आरक्षण देने के लिए. अगर ऐसा नहीं होता है तो हम महाराष्ट्र में पूरी ताकत के साथ आंदोलन करेंगे.’ उन्होंने अगले आंदोलन में पूरी मुंबई को बंद करने की चेतावनी दी.

अनशन खत्म, लेकिन गांवों में जारी रहेगी भूख हड़ताल

मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि हम अन्य सारे आंदोलन वापस ले रहे हैं लेकिन गांव-दर-गांव में श्रंखलाबद्ध तरीके से भूख हड़ताल जारी रहेगी. सरकारी प्रतिनिधिमंडल में दो पूर्व न्यायाधीश और चार मंत्री शामिल थे, जिन्होंने पाटिल को आश्वासन दिया कि सरकार आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है और उसे आरक्षण लाने के लिए कुछ समय चाहिए.

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आरक्षण लागू न होने तक सरकार न लाए कोई भर्ती

उन्होंने सरकार को के सामने कुछ शर्तें भी रखीं जिसमें उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण लागू होने तक सरकार कोई भर्ती प्रक्रिया चालू न करे. उन्होंने आरक्षण लागू न होने की स्थिति में सरकार के साथ असहयोग करने की चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि हम सरकार के आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक कार्यों को रोक देंगे साथ ही मराठा समाज सरकार को कृषि उपज उपलब्ध कराना बंद कर देगा. गौरतलब है कि महाराष्ट्र में मराठाओं के पास ही सबसे ज्यादा कृषि जोत है.

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