थोक में सांसद देने वाले मिथिला क्षेत्र की केंद्रीय बजट में अनदेखी, कहीं नीतीश कुमार को पड़ न जाए भारी, समझिए 

केशव झा

Union Budget for Bihar: मोदी सरकार के इस बजट में बिहार को मिली सौगातों की झड़ी के तौर पर देखा जा रहा है लेकिन इसने एक बार फिर मिथिला क्षेत्र की अनदेखी की नई बहस छेड़ दी है. जबकि इस क्षेत्र ने थोक के भाव में NDA को सीटे जिताई हैं और मोदी सरकार 3.0 के गठन में अहम भूमिका निभाई है.

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Union Budget for Bihar: केंद्रीय बजट में बिहार को मिली सौगातों की खूब चर्चा हो रही है. हालांकि विपक्ष इस बजट को 'सरकार बचाने वाला' और 'डरा हुआ बजट' बता रहा है. वैसे अगर हम विपक्ष के आरोपों पर नजर डालें तो उनकी बात में दम दिखाई देता है. मोदी सरकार 3.0 के इस पहले बजट में बिहार, उसमें भी नीतीश कुमार की छाप साफ नजर आ रही है. केंद्र सरकार ने नीतीश कुमार के राज्य बिहार के लिए दिल खोलकर योजनाओं का ऐलान किया है. हालांकि इसमें ये योजनाएं बिहार के कुछ रीजन को ही कवर कर रही है. प्रदेश का एक बड़ा मिथिला रीजन जहां से NDA के सर्वाधिक सांसद चुनकर दिल्ली गए है इस बजट में उस क्षेत्र के लिए कुछ खास नहीं है. इसी बात ने प्रदेश में मिथिला रीजन की अनदेखी की बहस छेड़ है. आइए इसी बात को समझते है. 

पहले जानिए बजट 2024 में बिहार को क्या मिला?

आज तक में छपी खबर के मुताबिक 2024-25 के बजट में बिहार के लिए लगभग 59 हजार करोड़ रुपये का ऐलान किया गया है. इसमें मुख्य रूप से 26 हजार करोड़ रुपए की लागत से पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे और बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेसवे बनेगा. इसके अलावा बोधगया, राजगीर, वैशाली और दरभंगा के रोड प्रोजेक्ट्स भी पूरे होंगे. इनके अलावा बक्सर में गंगा नदी पर दो लेन वाला एक पुल भी बनेगा, जिसमें केंद्र सरकार मदद करेगी. बिहार कों मिली सौगातों में सड़क, हाईवे निर्माण, पावर प्लांट्स के निर्माण पर जोर दिया गया है.

बजट के जरिए बिहार को नहीं नीतीश को खुश रखने की कोशिश?

मोदी सरकार ने इस बार के बजट के जरिए मुख्यमंत्री नीतीश को खुश रखने की पूरी कोशिश की है. दरअसल सीएम नीतीश का गृह क्षेत्र है नालंदा,  जिसके लिए कई घोषणाएं हुई हैं. जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार ने कहा कि राजगीर-नालंदा को वैश्विक पर्यटन के केंद्र बिंदु के तौर पर विकसित किया जायेगा. केंद्र सरकार इसपर विशेष ध्यान देगी.

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इसके अलावा नालंदा विश्वविद्यालय के विकास में केंद्र सरकार पूरी मदद देगी. वहीं गया में विष्णुपद मंदिर और बोधगया में महाबोधि मंदिर का काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर विकास की बात की गई है. यहां ये बात जानना जरूरी है कि केंद्र की तरफ से जितनी भी योजनाएं बिहार के लिए घोषित हुईं हैं उसमें बहुतायत नीतीश कुमार के इलाके या उनके प्रभाव वाले इलाके हैं.

नीतीश के इलाकों के लिए घोषणाओं की झड़ी, मिथिला के हाथ रहे खाली?

मोदी सरकार के इस बजट में बिहार को मिली सौगातों की झड़ी के तौर पर देखा जा रहा है लेकिन इसने एक बार फिर मिथिला क्षेत्र की अनदेखी की नई बहस छेड़ दी है. जबकि इस क्षेत्र ने थोक के भाव में NDA को सीटे जिताई हैं और मोदी सरकार 3.0 के गठन में अहम भूमिका निभाई है. मिथिला और इसके आसपास के मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, झंझारपुर, शिवहर, सीतामढ़ी के साथ-साथ मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, उजियारपुर, सुपौल, भागलपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, हाजीपुर और वैशाली ये वैसे इलाके हैं जो मिथिला क्षेत्र में आते हैं यहां मैथिली भाषा का प्रभाव है. यहां से NDA के सांसद जीते है फिर भी बजट में इन क्षेत्रों की अनदेखी की गई है. 

इतनी संख्या में सांसद जिताने के बाद भी इस क्षेत्र को महज दरभंगा को एक्सप्रेसवे से जोड़ना और बाढ़ से बचाव के लिए फंड, सर्वे और इन्वेस्टिगेशन के अलावा कुछ नहीं दिया गया. वैसे पहले से ही दरभंगा AIIMS, दरभंगा एयरपोर्ट के जीर्णोधार सहित अन्य महत्वाकांक्षी परियोजनाएं कछुए की चाल से चल रही हैं.

विधानसभा चुनाव में विपक्ष को मिलेगा मुद्दा?

जाहिर है विपक्ष आगामी विधानसभा चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बना सकता है. इस क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार और मुख्यमंत्री के प्रभाव वाले इलाकों पर खास तवज्जो देना कहीं बीजेपी और NDA को भारी न पड़ जाए. आपको बता दें कि साल 2025 यानि अगले साल बिहार में विधानसभा के चुनाव होने है. विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे हावी रहते हैं, जहां ये एक बड़ा मुद्दा बन सकता है.

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