49 सांसद फिर निलंबित, ये संख्या 141 पर पहुंची, कांग्रेस बोली- सदन में सिर्फ PM के मन की बात

देवराज गौर

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Suspension of MP's
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Suspension of Members of Parliament: संसद के शीतकालीन सत्र के 12 वें दिन फिर ससंद सुरक्षा चूक मामले पर विपक्षी सांसदों का हंगामा जारी रहा. साथ ही सांसदों के निलंबन को लेकर भी विपक्षी सांसदों ने सदन से लेकर सदन परिसर तक में नारेबाजी और प्रदर्शन किया. हंगामें की वजह से सदन को तीन बार स्थगित करना पड़ा. इसके बाद विपक्ष के 49 सांसदों को आज फिर सदन से निलंबित कर दिया गया.

इनमें कांग्रेस सांसद शशि थरूर, समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव और एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले शामिल हैं. इस तरह इस सत्र में अब तक कुल 141 विपक्ष के सांसद सदन से निलंबित किए जा चुके हैं. इसके साथ लोकसभा की प्रश्नसूची से 27 सवाल तक हटा दिए गए हैं. जो विपक्षी सांसदों ने सदन में उठाए थे.

कांग्रेस ने इसे लेकर तीखा विरोध दर्ज कराया है. कांग्रेस ने ट्वीट कर लिखा है कि अब सदन में जनता की आवाज नहीं गूंजेगी, सिर्फ पीएम मोदी के मन की बात सुनाई जाएगी.

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आपको बता दें कि 18 दिसंबर को भी सदन से 78 सांसदों को निलंबित किया गया था. जिसमें लोकसभा से 33 और राज्यसभा के 45 सांसद शामिल हैं. इससे पहले पिछले हफ्ते भी सदन से 14 सांसदों को निलंबित किया गया था.

निष्कासित सांसदों ने संसद परिसर में की धनखड़ की मिमिक्री

तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी ने संसद परिसर में राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री (नकल) की. उनके साथ लोकसभा और राज्यसभा से निष्कासित सांसद भी मौजूद थे. इस पर धनखड़ ने राज्यसभा में नाराजगी व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि एक सांसद ने टीवी पर गिरावट की हद पार कर दी है. उन्होंने सदन की मर्यादा को तार -तार किया है. भगवान उन्हें सदबुद्धि दे.

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लोकसभा में संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सदन में सांसदों को निलंबित करने का प्रस्ताव रखा. लोकसभा से सांसदों के निष्कासन को लेकर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि ये लोग अगर दूसरी बार सरकार में आ गए तो यहां बाबासाहेब अंबेडकर का संविधान नहीं बचेगा, और हम और आप दरवाजे (संसद) से अंदर नहीं घुस पाएंगे.” वहीं नेशनल कांफ्रेंस के सांसद फारुक अबदुल्ला ने कहा है कि जब तक संसद के अंदर एक भी विपक्षी सांसद रहेगा, प्रोटेस्ट चलता रहेगा. वहीं कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा है कि यह संसदीय लोकतंत्र के साथ विश्वासघात है.

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