वायनाड हादसे पर अर्ली वॉर्निंग सिस्टम को लेकर उठे सवाल, शाह ने भी दिया जवाब, जानिए क्या है EWS
अमित शाह ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि ये लोग अर्ली वॉर्निंग की बात करते हैं. मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि 23 जुलाई को भारत सरकार ने घटना होने से 7 दिन पहले ही केरल सरकार को पूर्व चेतावनी दे दी थी
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Amit Shah on Wayanad Landslide: केरल के वायनाड में लैंडस्लाइड से हुई घटना के बाद मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. अबतक कुल 158 लोगों की मौत की पुष्टि की गई है. अब इस मामले में राजनीति भी शुरू हो गई है. राज्यसभा में कांग्रेस सांसद जेबी माथर ने अपने संबोधन के दौरान इस मामले को लेकर एक बड़ा बयान दिया था. दरअसल, वायनाड आपदा के बाद उनका कहना था कि हमें भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ऐसे क्षेत्रों पर चेतावनी प्रणाली के जरिए खास ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि क्या हमारे पास कोई चेतावनी प्रणाली है? एक अलर्ट प्रणाली? क्या हम मिलकर कोशिश करते हैं? दुर्भाग्य से हम ऐसा नहीं करते हैं. कांग्रेस की सांसद के बयान के बाद 31 जुलाई को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उनके बयान का पलटवार किया है.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने वायनाड में हुए भयंकर भूस्खलन को लेकर राज्यसभा में चर्चा की. इस दौरान उन्हें घटना में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों के प्रति अपने संवेदनाएं व्यक्त की. अमित शाह ने कहा कि अपने संबोधन के दौरान कहा कि मुझे लगा आज का दिन शायद राजनीति से परे होगा लेकिन कुछ द्वेष से टिपण्णी हुईं. केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जानकारी के आभाव में दोषारोपण हुआ ये तो मुझे मालूम नहीं है लेकिन मुझे स्पष्टाता देनी है.
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'7 दिन पहले भेजी थी अर्ली वॉर्निंग'
अमित शाह ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि ये लोग अर्ली वॉर्निंग की बात करते हैं. मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि 23 जुलाई को भारत सरकार ने घटना होने से 7 दिन पहले ही केरल सरकार को पूर्व चेतावनी दे दी थी. फिर 24 और 25 जुलाई को भी पूर्व चेतावनी दे दी गई थी, 26 जुलाई को चेतावनी दी गई थी कि और 20 सेमी से अधिक भारी बारिश होने की संभावना है और भूस्खलन की संभावना थी.इसमें कीचड़ हो सकता है और इसमें लोगों की जान भी जा सकती है. सरकार की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (EWS) पर सवाल उठाए जा रहे हैं. अमित शाह ने कहा कि मैं इसलिए कहता हूं कि कृपया कर के हमें सुनें, जो अर्ली वॉर्निंग भेजी है उसे पढ़िए.
अमित शाह ने आगे कहा कि देश में कई ऐसी राज्य सरकारें हैं जिन्हें हमने early warning दी है और उन्होंने जीरो केजुअल्टी भी मेन्टेन की है. हमने ओडिशा सरकार को अर्ली वॉर्निंग भेजी थी, जब नवीन बाबू की सरकार थी. हमने साइकलॉन से 7 दिन पहले अलर्ट भेजा था, उसमें एक शख्स की जान गई वो भी गलती से. गुजरात सरकार को हमने साइकलॉन का अलर्ट तीन दिन पहले भेजा एक पशु भी नहीं मरा.
EWS पर ₹2000 करोड़ किए खर्च
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मैं किसी को ताना नहीं मार रहा हूं, लेकिन हमारे पास बारिश, हीटवेव, बिजली गिरने का भी अर्ली वार्निंग सिस्टम है. उन्होंने कहा कि ये सूचना साइट पर माननीय सदस्यों के लिए भी उपलब्ध रहती है, लेकिन कुछ लोगों को तो विदेश की ही साइट खोलनी होती है. अमित शाह ने कहा कि 2014 के बाद से सरकार ने पूर्व चेतावनी प्रणाली पर 2000 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. आज सात दिन पहले अर्ली वार्निंग का सिस्टम दुनिया के चार देशों के पास उपलब्ध है जिनमें से एक भारत भी है.
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तो अब ये समझना होगा कि क्या है अर्ली वॉर्निंग सिस्टम जिसको लेकर राजनीति गरमाती हुई नजर आ रही है.
क्या है अर्ली वॉर्निंग सिस्टम?
अर्ली वॉर्निंग सिस्टम नाम से ही समझ आ जाता है इसका क्या मतलब है. आसान भाषा में समझें तो भविष्य में आने वाली आपदा के बारे में पहले से जानकारी उपलब्ध करा देने वाली प्रणाली. जैसे की किसी भी क्षेत्र में भूकंप आने वाला होगा तो ये अर्ली वार्निंग सिस्टम भूकंप आने से कुछ मिनट पहले ही चेतावनी जारी कर देगा कि धरती हिलने वाली है. मान लीजिए किसी इलाके में भूकंप आने वाला है और इसका केंद्र कहां होगा ये सिस्टम पहले ही बता देगा कि किस इलाके में भूकंप आया और यहां कितनी देर में पहुंच जाएगा. अगर लोगों को भूकंप आने के कुछ मिनट पहले भी जानकारी मिल जाए तो बड़ी तादाद में लोग सुरक्षित जगहों तक पहुंच सकते हैं.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अपने संबोधन के दौरान इसी अर्ली वॉर्निंग सिस्टम की बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि मेरे अनुमोदन से NDRF की नौ टीमें 23 तारीख को केरल के लिए रवाना हो गई थीं. घटना के बाद तीन टीमें 30 जुलाई रवाना की गईं. उन्होंने कहा कि केरल सरकार एनडीआरएफ के पहुंचने पर भी अलर्ट हो गई होती तो जानें बचाई जा सकती थीं. गृह मंत्री ने कहा कि केरल की सरकार ने वहां से लोगों को क्यों नहीं निकाला.
वायनाड में अब तक 158 लोगों की मौत
केरल के वायनाड में मंगलवार तड़के पहाड़ से बहकर आए सैलाब ने हाहाकार मचा दिया है. करीब 22 हजार की आबादी वाले 4 गांव सिर्फ 4 घंटे में पूरी तरह तबाह हो गए हैं. घर दफन हो गए और सैकड़ों लोग मलबे में दब गए. अब तक 158 लोगों की मौत होने की खबर है. 100 लोग अभी भी लापता हैं. राहत और बचाव कार्य में भी मुश्किलें आ रही हैं. चारों तरफ बर्बादी ने इन गांवों की खूबसूरती को उजाड़ दिया है.
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