‘चंदा दो, बेल और बिजनेस लो’… डोनेशन को लेकर राहुल गांधी ने BJP पर बोला बड़ा हमला

रूपक प्रियदर्शी

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Rahul Gandhi news: लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी चंदे को लेकर बहुत ज्यादा हल्ला मच गया है. पहले सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगा दी जिससे बीजेपी को बहुत पैसा चुनाव के लिए मिल रहा था. फिर कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी के इशारे पर इनकम टैक्स ने 65 करोड़ बैंक अकाउंट से टैक्स बकाए के तौर पर निकाल लिए. अब जो खुलासा हुआ है उससे बीजेपी बैकफुट पर आ गई है. राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि मोदी राज में बीजेपी को दिया अवैध चंदा और इलेक्टोरेल बॉन्ड ही ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की गारंटी है. राहुल ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाया है कि क्या आपको प्रधानमंत्री की चंदा दो, बेल और बिजनेस लो योजना के बारे में पता है? देश में प्रधानमंत्री ‘वसूली भाई’ की तरह ED, IT और CBI का दुरुपयोग कर ‘चंदे का धंधा’ कर रहे हैं.

राहुल के इस गंभीर आरोप का बैकग्राउंड ये है कि न्यूज लॉन्ड़्री और न्यूज मिनट वेबसाइट ने खुलासा किया है कि बीजेपी को 335 करोड़ का चंदा ऐसी कंपनियों से मिला जिसकी जांच ED, इनकम टैक्स कर रही थी. 4 साल में 335 करोड़ का चंदा 2018-19 से 2022-23 के बीच मिला. चुनाव आयोग के दस्तावेजों की जांच से खुलासा हुआ है.

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न्यूज लॉन्ड़्री-न्यूज मिनट का खुलासा

BJP को 335 करोड़ का चंदा मिला ED, IT जांच में फंसी 30 कंपनियों से चंदा 2018-19 से 2022-23 के बीच BJP को चंदा चुनाव आयोग के दस्तावेजों से खुलासा

कांग्रेस का आरोप है कि 30 कंपनियों में से 23 कंपनियां ऐसी हैं जिन्होंने बीजेपी को 187 करोड़ से ज्यादा चंदा दिया. जबकि पहले कभी नहीं दिया था. 4 कंपनियों ने जांच शुरू होने के 4 महीने के भीतर 9 करोड़ से ज्यादा चंदा बीजेपी को दिया. 6 कंपनियों ने चंदा देने से मना किया तो जांच शुरू हो गई. बाद में इन कंपनियों ने बड़ी रकम चंदे में दी.  

BJP पर कांग्रेस के आरोप

23 कंपनियां 23 कंपनियां 4 कंपनियां 6 कंपनियां
BJP को 187 करोड़ का चंदा BJP को चंदा नहीं देने वाली कंपनियां जांच के 4 महीने में 9 करोड़ का चंदा मना करने पर जांच शुरू, फिर बड़ा चंदा

सरकार पर कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष का ये आरोप पुराना है कि ED, CBI, इनकम टैक्स जैसी सरकारी जांच एजेंसियां सिर्फ विपक्ष के नेताओं को निशाना बना रही हैं. सरकार जांच एजेंसियों को रिमोट कंट्रोल से चला रही है। ED के 95 परसेंट केस विपक्ष के नेताओं के खिलाफ हैं. कांग्रेस ने साफ किया है कि वो ये आरोप नहीं लगा रही है कि जांच एजेंसियों की कार्रवाई गलत है. ये जवाब मांगा है कि ईडी की कार्रवाई के बाद भी वो चंदा क्यों दे रहे हैं? क्या ये सिर्फ संयोग है?

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BJP का दावा- पूरी फंडिंग ट्रांसपेरेंट

इसी रिपोर्ट को आधार बनाकर राहुल गांधी और कांग्रेस ने ऑफिशियल प्रेस कॉन्फ्रेंस करके वसूली भाई, चंदे का धंधा जैसे आरोप लगाए हैं. कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने चिट्ठी लिखकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन से शिकायत की है और चैलेंज किया है कि क्या सरकार बीजेपी के फाइनेंस पर श्वेत पत्र लाएगी. मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच होनी चाहिए. कांग्रेस के आरोपों को बीजेपी ने ये कहकर खारिज किया है कि उसका पूरा इलेक्शन मैनेजमेंट, फंडिंग ट्रांसपेरेंट है.

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पॉलिटिकल पार्टियों की आमदनी और खर्च का हिसाब-किताब तब सामने आता है जब चुनाव आयोग ऑडिट रिपोर्ट जारी करता है. ऐसी ही बीजेपी की ऑडिट रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि 2021-22 में बीजेपी की इनकम 1917 करोड़ होती थी लेकिन 2022-23 में 2361 करोड़ हो गई है. बीजेपी को इलेक्टोरल बॉन्ड से 2022-23 में 1300 करोड़ रुपए की फंडिंग मिली जबकि कांग्रेस को सिर्फ 171 करोड़ मिले. मोदी सरकार के समय शुरू हुए इलेक्टोरल बॉन्ड सिस्टम को गैरकानूनी बताकर सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरेल बॉन्ड का सिस्टम ही खत्म कर दिया है.

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